मैंने पूछा था एक सितारे से, इंतजार सफर की है कोई सुनके मेरे सवाल को शबनम रात भर फुट-फुट कर रोई ..”
भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यू था तुमने उल्फत का याकी मुझे दिलाया क्यों था…
एक भटके हुए राही को सहारा देकर जूती मंजिल का निशा तुमने देखा क्यों था..
खुद ही तूफ़ान उठा था मोहब्बत में अगरडूबने से मेरी कशती को बचाया क्यों था..
जिस्की तबीर अब आशको के शिवा कुछ भी नहींख़्वाब ऐसा मेरी आँखों को देखा क्यों था..
अपने अंजाम पे अब क्यू हो पशमान सबएक बे-दर्द से दिल तुमने लगाया क्यों था..
