✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़… पिछले सप्ताह रायगढ़ तहसील कार्यालय में घटित घटना की वजह से चोली-दामन सा साथ समझे जाने वाले जिरहबाजो एवं दस्तख्तबाजो में दो फाड़ हो गई।जिसका कारण रायगढ़ तहसीलदार सुनील अग्रवाल एवँ वकील के बीच लेनदेन की राशि पर परस्पर तालमेल न बन पाना माना जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वकील के द्वारा मुवक्किल से मोटी धनराशि लेकर अधिकारी को कम दिया जाना बतलाया जा रहा है। जिस वजह से अधिकारी ने हस्ताक्षर करने से मना कर देना ही समूचे विवाद का कारण बतलाया जा रहा है। दो लोगो की लड़ाई में पूरा प्रदेश झुलस रहा है। प्रदेश के वकील एवँ कनिष्ठ अधिकारी,कर्मचारी संघ इसे प्रतिष्ठा की बात मानकर आमने सामने आ गए है। टूटी कलम
नोटरी तो सरकारी मुलाजिम होता है…विवाद के बाद अधिवक्ता संघ ने ऐलान कर दिया कि राजस्व विभाग से सम्बंधित किसी भी दस्तावेजो पर नोटरी नही किया जायेगा परन्तु यहां यह बतलाना लाजिमी है कि नोटरी की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है एवं प्रशासनिक अधिकारियों को सरकार का अंग माना जाता है।इस वजह से यदि कोई नोटरी राजस्व विभाग के किसी दस्तावेजो पर तरह तरह के रबर के ठप्पे लगाने से इंकार करेगा तो सरकार उसकी मान्यता रद्द कर किसी अन्य वकील को नोटरी नियुक्त कर सकती है। वकीलों में सबसे ज्यादा पूछ परख एवँ कमाऊ नोटरी को माना जाता है। इसलिए कोई भी नोटरी (वकील) सरकारी कार्यो का विरोध करने में सक्षम नही होता। इस वजह से राजस्व विभाग को वकीलों के धरना प्रदर्शन करने से किंचित भी फर्क नही पड़ने वाला। टूटी कलम
विधिवत अनुमति के बगैर प्रदर्शन बचकाना आरोप….वकीलों ने कनिष्ठ अधिकारियों ,कर्मचारियों के द्वारा किये जा रहे धरना प्रदर्शन को विधिवत अनुमति लेकर करना नही बतलाया तो यहां यह स्पष्ट कर देना भी लाजिमी होगा कि जिलादण्डाधिकारी भी प्रशासनिक अधिकारी होते है। वे अगर अपने अधीनस्थों के बचाव में पिछली दिनांक अंकित किये गए सहमति पत्र या अनुमतिपत्र पर भी हस्ताक्षर कर दे तो यह आरोप भी एक शिरे से खारिज हो जायेगा। टूटी कलम
बिलासपुर से झुनझुना थामे लौटे…बड़ी उम्मीद के साथ रायगढ़ के वकील उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से अपना दुखड़ा सुनाने बिलासपुर गए थे। जहां सारी बात सुनने के बाद उन्हें यह आश्वासन देकर विदा कर दिया गया कि 2 सदस्यीय टीम रायगढ़ जाकर हर पहलू की छानबीन करेगी। जिसके बाद अगली कार्रवाई की जायेगी। टूटी कलम

रखी जा रही है तीसरी आंख से नजर…राजस्व विभाग ,जिला प्रशासन अपनी खिलाफत करने वालो एवँ वकीलों को समर्थन देने वालो पर निगाह जमाये हुए है एवँ उनको चिह्हाँकित किया जा रहा है ताकि भविष्य में उनके कार्यो,जमानतों पर विचार नही किया जा सके और लेनदेन के द्वारा भी किसी तरह की सहानुभूति का मरहम न लगाया जा सके। टूटी कलम