✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़….नगर स्थित अम्बेडकर चौक वकीलों के धरना एवँ भाजपाइयों के समर्थन देने आने की वजह से चर्चा में है। समय निकालकर भाजपाई टेंट में जाकर अपना समर्थन देने की घोषणा कर रहे है।सांसद गोमती साय, आशीष ताम्रकार,सुभाष पांडेय,ओ पी चौधरी,उमेश अग्रवाल धरना स्थल पर पहुंचकर भ्र्ष्टाचार का विरोध जतला चुके है। जो कि सही विपक्ष की पहचान भी है परन्तु जब राजनीतिक लोग नारे लगाते है कि “भ्र्ष्टाचार के दलालों को जूता मारो सालों को” तब उपस्थित एवँ आने जाने वाले राहगीर मुस्कुराए एवं हंसे बगैर नही रह पाते। स्थिति तब विकट हो जाती क्योंकि शायद अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी के जिम्मेवार पदाधिकारी भी है एवं कई वकील कांग्रेस समर्थित तो कई वकील आर एस एस,भाजपा खेमे से है। ऐसे में अपनी सरकार के खिलाफ भाजपा नेताओं का उद्बोधन सुनना किसी यंत्रणा से कम नही है। भाजपा नेता भूपेश सरकार हाय-हाय,मुर्दाबाद के नारे लगाए और कांग्रेस समर्थित लोग कानो में अंगुलिया ठूंसकर मूकदर्शक बन बैठे रहे। हाथापाई,मारपीट,गाली गलौज, पुलिस रिपोर्ट,गिरफ्तारी के बाद,भ्र्ष्टाचार के मुद्दे पर आकर मामला अटक गया है। जो विवादित तहसीलदार के तबादला आदेश के बाद भी थमता नही दिख रहा है। जिसका एकमात्र कारण कांग्रेसियो की कमजोरी और भाजपाइयों की बढ़ती सक्रियता है। कलेक्टर भीम सिंह ने तहसीलदार सुनील अग्रवाल का तबादला रायगढ़ से धरमजयगढ़ कर दिया गया परन्तु भाजपाइयों के उकसाने पर धरमजयगढ़ अधिवक्ता संघ इसका पुरजोर विरोध कर रहा है। यदि सुनील अग्रवाल का तबादला तत्काल कर दिया जाता ।जब आग लगी थी तो लोगो को सोचने समझने का मौका ही नही मिल पाता।अब आग ठंडी पड़कर भीतर ही भीतर सुलगने लगी है। सम्भवतः सुनील अग्रवाल के द्वारा धरमजयगढ़ में पदभार सम्भालने के बाद लगी आग ठंडी पड़ जाये या फिर इनका रायगढ़ जिले से सटे जिलो जशपुर,जांजगीर,कोरबा तबादला उच्च स्तरीय प्रयास के बाद कर दिया जाये। टूटी कलम
मैं भ्र्ष्टाचार का समर्थन नही करता हूँ परन्तु हिंसा का घूर विरोधी हूँ।इसके अतिरिक्त महात्मा गांधी के हत्यारे का समर्थन करने वाले एवँ गोडसे विचारधारा का समर्थन करने वालो का समर्थन ताजीवन नही कर सकता। अगर हिंसा से कुछ प्राप्त किया जा सकता है तो पाकिस्तान की स्थिति दयनीय नही होती। महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के पिछवाड़े में लात मारकर नही अपितु उनके पेट पर लात मारकर भगाया था। अधिवक्ता संघ में अनेक ऐसे चेहरे जो टेंट में रहकर कई मुखोटे लगाये हुए है और सोशल मीडिया पर गांधी को गाली देने वाले और गोडसे को पूज्यनीय मानने वाले जेल दाखिल होकर अधिवक्ता संघ से अपनी जमानत होने की बांट जोह रहे है। टूटी कलम
