✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़…..समाजिक बुराई कहे जाने वाले जुए,सट्टे के खेल में बड़े बड़े नामचीन महारथी सलग्न है परन्तु करवाई हर हमेशा टटपुँजिया लोगो पर ही कर पुलिस स्वंय की पीठ थापथपवाती है।गरीब आदमी चौक ,चौराहों,गली,मोहल्लों,बाजारों,पान दुकानों,बाजारों में लुक छिप कर इस सामाजिक बुराई का सहारा लेकर अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करता है। जिसे एक मजबूरी माना जा सकता है परन्तु सर्वसुविधायुक्त आलीशान बंगलो में रहने वाले,लग्जरी कारों में घूमने वाले,विदेशों की यात्रा करने वाले,ब्रांडेड समानों का उपयोग करने वाले,हाई सोसायटी मेंटेन करने वाले,अपने बच्चों को बड़ी बड़ी स्कूलों में पढ़ाने वाले,वेल मेंटेंड आफिस में बैठने वाले,जमीनों की दलाली करने वाले प्रतिष्ठित होटलों का व्यवसाय करने वाले आदि लोगो की क्या मजबूरी होती है कि वे समाजिक बुराइयों के बादशाह कहलाते है। गरीबो एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की खून पसीने की कमाई पर अघोषित डाका डालने वालों का परिणाम अंततः बुरा ही निकलता है। टूटी कलम
पुलिस के द्वारा जुआ सट्टा अभियान के तहत की गई डेढ़ दर्जन कार्रवाई में 24 लोगो पर जुआ अधिनियम की कार्रवाई की गई । मगर इस अभियान की कार्रवाई में किसी भी बड़े एक खाईवाल पर कार्रवाई न होना संरक्षण देना हो सकता है।
गरीबजादो पर कार्रवाई,रईसजादों पर नरमाई इस दोहरे चरित्र के कारणों से आमजनता का विश्वास पुलिस पर कम रह गया है। जिले के बड़े बड़े खाईवालों के नाम जब आम इंसान जानता है तो क्या वे नाम पुलिस से छिपे रह सकते है। पुलिस जब ब्लाइंड मर्डर केस हल कर सकती है तो क्या इन बड़े खाईवालो को नही पकड़ सकती। खाईवाल हीरो धर्मेन्द्र तो है नही की जिसको पकड़ने के लिए पूरी बटालियन लगाकर पवन को भी रोक दिया जाए। मेरे करण अर्जुन आयेंगे तब सबको बताएंगे सरीखी कहानी भी नही है कि पुलिस इनके ठिकानों पर छापेमारी से डर जाये। टूटी कलम
माना कि पुलिस एवँ अपराधियो का चोली-दामन सा सांथ रहता है परन्तु कभी कभार इनको धोना भी पड़ता है अन्यथा सड़ने-गलने की संभावना भी बलवती रहती है। जहां ज्यादा मीठा होता है चींटी भी वहीं लगती है है और हमेशा चिराग तले ही अंधेरा होता है। गरीब आदमी जुआ सट्टा पर दांव लगाकर और गरीब होते जा रहे है और खाईवाल ज्यादा खाईवाली करके शुगर,बीपी,हार्ट, पथरी आदि सरीखी बीमारी के रोगी बनते जा रहे है एवं कमाया हुआ धन महानगरों के 5 स्टार,7 स्टार अस्पतालों में डाक्टरो को दे आते है। टूटी कलम
- चााणक्य नीति का श्लोक
अन्यायोपार्जितं द्रव्यं दश वर्षाणि तिष्ठति।
प्राप्ते एकादशे वर्षे समूलं च विनश्यति।।
इस श्लोक का अर्थ यही है कि अन्याय और गलत कार्यों से कमाया हुआ धन ज्यादा से ज्यादा 10 वर्षों तक ही व्यक्ति के पास रह सकता है। 11वें वर्ष से उस व्यक्ति के धन का विनाश होना शुरू हो जाता है। चाणक्य नीति के अनुसार पापकर्म द्वारा या किसी को कष्ट और क्लेश पहुंचाकर कमाया पैसा अभीशापित होकर मनुष्य का नाश कर देता है। इस धन के प्रभाव से सज्जन पुरुष भी पाप की और बढ़ने लगते हैं। इसलिए ऐसे पैसाें से बचना चाहिए, वरना जल्दी ही कुल सहित उस इंसान का नाश हो जाता है। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि ऐसा धन दस साल से ज्यादा नहीं टिक पाता। उसके बाद दुगना खर्चा या नुकसान होकर ऐसा पैसा चला जाता है। टूटी कलम
पिछले 30,40 साल पहले और अब की स्थिति पर देश,राज्य,जिला,शहर, गांव,मोहल्ले पर निगाह घूमा कर देखें तो चाणक्य नीति शत प्रतिशत सही साबित होते दिख जाएगी। अखबारों,वेब पोर्टलों मात्र पुलिस dsr, पीआरओ, निगम के समाचारो ,विज्ञप्तियों का पम्पलेट बनकर रह गए है। यदि जन समस्याओ,समाधानों को स्थान दिया जाये तो अपराध पर लगाम स्वमेव कस जाएगी। आजकल अपराध की गति में भी शायद इसलिए इजाफा हो रहा है क्योंकि अखबारों, वेब पोर्टलो पर मुफ्त में अपराधियों की फोटो छापकर हीरो बना दिया जाता है। टूटी कलम