आज घोर कलयुग काल में इंसान ही इंसान का जानी दुश्मन बनकर दुसरो का निवाला छीनने की कोशिश में लगा है और मौका मिलने पर एक दूसरे को काट खाने से भी नही हिचकता वही चंद लोग ऐसे भी होते है जो अपनी परवाह न कर इंसान तो क्या पशु-पक्षियों तक कि चिंता करते है। उनके खान पान का ध्यान रखने में सारा दिन गुजार देते है।यह एक निस्वार्थ सेवा भावना कहलाती है एवं ये मूक पशु अंतरात्मा से दुआ देने के अतिरिक्त कुछ नही देते।यह सच है कि दुआओ में दम होता है।इसके लिए यह जरूरी नही की दुआ किसी मनुष्य ने दी हो।
गौसेवा अवश्य पुनीत कार्य है जिसके लिए सरकार द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है।मगर कुछ स्वार्थी किस्म के लोग गौमाता की सेवा के नाम पर अपनी सेवा कर एवं फायदा उठाकर अपना पल्ला झाड़ लेते है।कुछ दिन गौसेवा के नाम का दिखावा कर अखबारों,सोशल मीडिया में झूठी वाहवाही बंटोरकर गौ माता के नाम पर राजनीति कर छुट्टे सांड की तरह धमाचौकड़ी मचाकर शांत बैठ जाते है एवं उसके बाद उनकी आंखों के सामने गाय बूचड़खाने जाये या गौमांस बिके इससे उनको कोई सरोकार नही रहता। कभी बछड़े का रूप धारण कर गौमाता की सेवा करने वाले लगभग अंतर्धान हो चुके है।
इन दिनों कोरोना नामक घातक माहमारी का प्रकोप पूरे ब्रम्हांड पर फैल गया है।लोगो की जान सांसत में अटकी हुई है।हवा में वायरस तैरने की आशंका के मद्देनजर पूरे भारत मे लाकडाउन चल रहा है एवं आपातकाल की स्थिति बनी हुई है।पूरे बाजारों के बंद हो जाने की वजह से गांव, शहरों की सड़कों पर मवेशियों ने डेरा जमा लिया है कारण यह कि इन पशुओं के सामने दाना पानी की भीषण समस्या उत्तपन्न हो रही है।खेत-खलिहान, जंगलो पर इंसानों ने अधिकार जमा लिया है।जिस वजह से ये पशु शहर में सड़ी गली सब्जियों,घरो के बाहर फेकी गई जूठन,होटलो से निकली बासी खाद्य सामग्रियों को ही खाकर अपना जीवन गुजार रहे है। गौ पालक भी जब तक गाय दूध देती है तभी तक इनको अच्छे से पौष्टिक आहार खिलाता है ।जिससे ज्यादा दूध प्राप्त कर धन कमाया जा सके एवं बाद में इन्हें लावारिश सड़को पर छोड़ कर अपनी खुदगर्जी दिखला ही देता है।
लाकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित ये चौपाये हुए है परन्तु यह सच है कि ऊपर वाले ने सबके खाने पीने की व्यवस्था कर रखी है। इन पशुओं की सेवा सत्कार के लिए इन दिनों शहर की एक युवती शोनल अग्रवाल की सक्रियता काबिले तारीफ है।जो प्रतदिन आटे से बनी 150-200 रोटियां अपने घर पर ही बनाती है और अपने साथी आरती स्वर्णकार, भाविका पांडे (कराटे),याशी जैन(पर्वतारोही) के साथ शहर की गली,मोहल्ले में विचरण कर रही गौमाता को खिलाती है। इसके अतिरिक्त्त सांड, कुत्ते,बकरियो से भी इनका लगाव देखते बनता है। ये पशु शोनल के इंतजार में उनके घर के सामने उस समय आकर बैठ जाते है जो समय शोनल इनको रोटियां खिलाती है। शोनल बतलाती है कि उनको इस कार्य के लिए सरकार द्वारा भी मदद की जाती है।मदद न मिलने पर भी ये इनकी सेवा करती रहेगी

