रायगढ़—– देश के आपातकाल, संकटकाल के समय जब लोग कोरोना माहमारी से लड़ने एवं एक दूसरे का साथ देने के लिए एक पैर पर तैयार खड़े है।जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन,निगम प्रशासन, स्वास्थ विभाग,चौकन्ने होकर अपनी आंखें खोलकर,24 घँटे पूरी ऊर्जा के साथ एक एक व्यक्ति की परवाह कर रहे है। वहीं आम दिनों में चांदी काटने वाले सोनोग्राफी,पैथालॉजी संचालको ने अपने अपने सेंटरो पर बड़े बड़े ताले जड़ दिये है। अपना क्या बनता भाड़ में जाये जनता खुदगर्जी की तमाम हदें तो ऑलिव डायग्नोस्टिक सेंटर ने कर डाली लाकडाउन की घोषणा होते ही शहर में सबसे पहले भाग खड़े होने वाला यह प्रथम दुकानदार है। जिसे रोगियों से ज्यादा अपनी फिकर लगी और आनन फानन शटर खींच कर गधे के सींग की तरह से गायब हो गया। कुछ इसी तरह का हाल कोतरारोड की सड़क को अपनी सड़क समझकर व्यवसाय कर रहे अनुपम डायग्नोस्टिक सेंटर का भी है। ये लोग सुख के साथी है,दुख में भाग खड़ा होना जगहंसाई का कारण बन गया है। इन सेंटरो के मनमानी तालाबंदी पर कलेक्टर क्या संज्ञान लेते है यह विचारणीय है। समय की नजाकत को देखते हुए यह कृत्य अति निंदनीय है।अब कलेक्टर यशवंत कुमार इन अमानवीय ,अव्यवहारिक दुकानों पर जो भी निर्णय लेंगे वह स्वागतेय होगा।जो शहर के संकट काल के समय लोगो के काम नही आ सके ऐसे अति आवश्यक सेवा से भविष्य में कोई उम्मीद नही की जा सकती।तो क्यो न अति आवश्यक सेवा के समय अविवेकी पूर्ण निर्णय लेने वाले सेंटरो की मान्यता ही समाप्त कर दी जाये ताकि आगे से कोई भी सेंटर देश,समय,काल,परिस्थितियों के समय देश का साथ न छोड़े।
