🏹 टिल्लू शर्मा 🖋️टूटी कलम रायगढ़ ….. जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे उद्योग मैनेजमेंट की चिंताएं बढ़ती ही जा रही है चूंकि जनाक्रोश सड़क पर उतर कर उनका विरोध करने लगा है। मैनेजमेंट अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहा है कि साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर किसी भी तरह से जनसुनवाई संपन्न की जा सके एवं जिससे कई आने वाली पीढ़ियों तक का भला हो सके। उद्योग प्रबंधन के द्वारा शुरुआत में ही कर दी गई चूक की वजह से आज खुलकर मुखर विरोध होने लगा है। हर किसी का एक ही तरह का आंकलन,मूल्यांकन करना भारी पड़ता दिख रहा है। पिछली बार सार एवं वेदांता के द्वारा बनाई गई नीतियां अब उद्योगपति अपनाने लगे हैं कि 2 उद्योगों की सुनवाई एक साथ या आसपास की दिनांक में करवा कर एक ही जन सुनवाई के माध्यम से पूरा मैनेजमेंट संभाल लिया जाए। ग्रामीणों ने पंच, सरपंच बीडीसी, मेंबरो ने मैनेजमेंट में शामिल होने से इंकार कर अपने क्षेत्रवासियों का साथ देना स्वीकार कर लिया। जिससे होने वाली जनसुनवाई बाधित होते और निरस्त होते दिखलाई पड़ रही है जिसकी पुष्टि आज शाम या कल सुबह तक रायपुर से हो जाएगी।
शक्कर के एक कण पर लड़ते रहो सरीखी स्थिति उद्योगपतियों के द्वारा निर्मित कर दी गई है। मगर अब प्रश्न उठता है कि उद्योग प्रबंधन के द्वारा किए गए मैनेजमेंट में खर्चे की क्या वापसी की शर्तें भी निर्धारित की गई थी। अगर नहीं की गई थी तो सारा मैनेजमेंट पानी में बह गया समझा जाना चाहिए। मैनेजमेंट के अंतर्गत हर किसी को एक ही लाठी से हाका जाए। यह कहावत चरितार्थ होते नहीं दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में रायगढ़ जिले की पांचों सीट कांग्रेस की झोली में जनता ने डाल दी थी. जिसका कर चुकाने का समय अब आ चुका है. इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपेक्षा है कि वे संज्ञान लेकर उक्त जनसुनवाईयों को तत्काल रद्द करवाने के दिशा में पहल करें ताकि आगामी चुनाव में भी कांग्रेस का झंडा शिखर पर लहराता रहे. टूटी कलम
क्रमशः