🏹 टिल्लू शर्मा 🖋️ टूटी कलम रायगढ़ ….. उड़ीसा रोड में शहर के अंतिम छोर पर बसी पास कॉलोनी में हुई लाखों रुपए की चोरी की खबर पाकर संबंधित लोग लाइट, कैमरा ,एक्शन के साथ मौके पर जा पहुंचे। इतना दिल है पर पुलिस के अधिकारी हुई फॉरेंसिक एक्सपर्ट एवं स्नेफर डॉग रूबी के साथ पहुंच कर हुई घटना पर बारीकियों पर तफ्तीश करने में जुट गए। पतला या जा रहा है कि पानी का व्यवसाय करने वाले किसी पंडा नामक व्यवसाई के आवास पर चोरों ने धावा बोलकर लाखों रुपए की चोरी को अंजाम देकर फरार हो गए। जांच में जुटी पुलिस को स्निफर डॉग रूबी से कुछ आस लगी थी परंतु रूबी पिछले कई घटनाओं में लगातार फ्लावर होती जा रही है। जिसका कारण रूबी को उचित ट्रेनिंग नहीं दिया जाना हो सकता है। इस बार भी रूबी घटनास्थल पर ही गोल गोल चक्कर खाकर रुक गई। जिसके बाद पुलिस के अधिकारियों ने कॉलोनी में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगालना शुरू किया तो सीसीटीवी फुटेज में दो लड़के दिखलाई पड़े. पुलिस आप अपना पूरा फोकस उन दो लड़कों को तलाशने में कर दी है. जो बहुत जल्द ही पुलिस के गिरफ्त में होंगे उसके बाद ही खुलासा हो पाएगा की चोरी में उनका हाथ था या नहीं.
चोरी हुए नगदी एवं सम्मान को लेकर संशय की स्थिति…… अभी तक जो समाचार प्राप्त हुए हैं उस अनुसार घर मालिक यह नहीं बतला पा रहा है कि कुल कितने की चोरी हुई है. मीडिया में जो समाचार आ रहे हैं उसमें भी भिन्न-भिन्न मत है। किसी के द्वारा 40,00000 रुपए के आसपास की चोरी होना बताया जा रहा है तो किसी के द्वारा 24 लाख की चोरी होना बताया जा रहा है। पुलिस भी अब तक या नहीं बतला सकी है कि आखिर चोरी कितने की हुई है। शायद इसका खुलासा तो चोर के पकड़े जाने के बाद ही हो सकेगा कि उसने कितने रुपए नकदी ,जेवर के अतिरिक्त और क्या क्या समान आदि चोरी किए थे।
एक बार पुनः कॉलोनी में सिक्योरिटी गार्ड व्यवस्था की पोल खुल गई…. लगता है कि अब अपराधियों के निशाने पर शहर की पाश कालोनियां है जिसमें सिक्योरिटी गार्ड की कमी को देखते हुए अपराधी अपने मंसूबों में कामयाब होकर निकल जाते हैं ।पुलिस के द्वारा समय-समय पर कॉलोनाइजर एवं कॉलोनी वासियों को सीसीटीवी कैमरे लगाने सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था उचित रखने की समझाइश दी जाती रही है परंतु इनके कानों पर जूं भी नही रेंगती। इस तरह की व्यवस्था पर पैसा देना कॉलोनी के रहवासी फालतू समझते हैं ।मगर जब कोई घटना घट जाती है तब फिर जब जागे तब सवेरा होता है।
शहर की अंतिम काशीराम चौक पर दिन ढलते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा देखा जा सकता है इस क्षेत्र में महुआ शराब गांजा की उपलब्धता भरपूर मात्रा में होती है। आखिर पुलिस करे भी तो क्या करें कितने घरों पर छापा मार गई कार्रवाई करें एवं कितने लोगों को थाना लाकर जमघट लगाए। सबसे बड़ी विडंबना यह है की पुलिस को आबकारी विभाग का कार्य भी संभालना पड़ता है एवम कारवाई करनी पड़ती है। और आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, आरक्षक, उड़नदस्ता आदि सभी चैन की बंसी बजा कर अपना महीना वसूलने का कार्य मात्र करते है।



