👁️ टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़…. अपने कार्यकाल के दौरान सिटी कोतवाली थाना प्रभारी मनीष चंद्र नागर ने बहुत ही कम समय में सभी तत्वों के बीच अपनी जोरदार पकड़ बना ली थी. इनके कार्यकाल के दौरान मानो तो शहर में रामराज्य सरीखा माहौल दिखलाई देता था. हर कोई धंधेबाज अपने अपने धंधे बहुत ही निर्भीकता एवं स्वच्छदता से संचालित कर रहे थे. हर कोई मनीष नागर की तारीफ करते नहीं थकते थे. शहर के सभी कबाड़ी,कोल व्यवसाई, ठेकेदार, उद्योगपति,पशु तस्कर, सट्टेबाज,शराब गांजा के व्यवसाई, जुआरी आदि सिटी कोतवाली की चौखट पर मत्था टेकते देखे जाते रहे हैं. थाना प्रभारी के कक्ष में हर समय कोई ना कोई अपनी समस्या का समाधान ढूंढने बैठा पाया जाता रहा है. यहां तक की पुलिस की सरकारी वाहन में भी कई लोगों को शहर में इनके द्वारा घुमाते एवं शिनाख्त करवाते देखा गया है. शहर के अनेक धंधेबाजों के साथ ये दोस्ताना तरीके से गलबहियां कर फोटोशूट करवाते रहे हैं ताकि लोगों में यह संदेश जाए की पुलिस सदैव आपकी सेवा में तत्पर खड़ी है।
मीडिया से काफी नजदीकियां रही है मनीष नागर की….. स्थानांतरित हो चुके मनीष नागर की मीडिया से काफी नजदीकियां रही है. उनके द्वारा किए गए छोटे से कार्य को भी मीडिया के द्वारा तिल का ताड़ बना कर पेश किया जाता रहा है. मनीष नागर के द्वारा किसी भी कार्रवाई करने से पहले मीडिया से संबंधित लोग उस स्थान पर पुलिस से पहले पहुंच कर पुलिस की भूमिका एवं कार्रवाई को इतना अधिक बढ़ा चढ़ाकर दिखाते रहे हैं कि मानो मनीष नागर से पहले इतना नरम दिल,कड़क, सहयोगात्मक रवैया रखने वाला अन्य कोई थानेदार नहीं आया है. मनीष नागर द्वारा मीडिया को समय-समय पर एवं समय से पहले सहयोग किया जाता रहा है. जिस वजह से दीपावली से पूर्व ही मनीष नागर के कोरबा चले जाना मीडिया में हैरान कर देने वाला एवं त्योहारों का बजट बिगाड़ देने वाला समाचार सिद्ध हुआ है. मनीष नागर के द्वारा दो ,तीन लाख रुपए की बचत अवश्य कर ली परंतु कईयों के त्योहारों पर सामान, कपड़ा ,फटाका, मिठाई आदि खरीदने के सपने बिखर गए. अब लोग इस कशमकश में है की नए थाना प्रभारी शनिप रात्रे कितने मिलनसार एवं कड़क मिजाज के साबित होंगे. ज्ञात रहे कि शनिप रात्रे शहर के ही चक्रधर नगर थाना क्षेत्र के प्रभारी हैं जो कल से नगर कोतवाल का प्रभार संभालेंगे. जिनसे कुछ लोगों के द्वारा जुगलबंदी करनी शुरू की जा चुकी है. अब यह तो समय ही बताएगा कि वे किस तरह के तत्वों के साथ किस तरह से पेश आएंगे. अगर वे भी पूर्व थाना प्रभारी की तरह छपास प्रेमी होंगे तो फिर मनीष नागर का स्थानांतरण करना सही कदम नहीं कहा जा सकता. मनीष नागर के कार्यकाल में पुलिस के नाम का डर एवं भय आमजन के दिल से समाप्त हो गया था। पुलिस के विशेष सहयोगियों के द्वारा हर मामले का सेटलमेंट बहुत ही आसानी से करवा दिया जाता रहा है. रायगढ़ शहर के चारों थाने के इर्द-गिर्द कुछ लोग बैग टांगे घूमते फिरते या फिर थाना प्रभारी के कक्ष में बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ गप्पे हांकते,लंबी-लंबी छोड़ते, भैया दादा बोलते प्रतिदिन दिख जाया करते हैं. शायद इन्हीं की वजह से रायगढ़ पुलिस पिछले 2 साल से अब तक कोई छाप नहीं छोड़ सकी है. जब थाना प्रभारियों के चेंबर में बैठकर मामले सेटलमेंट हो जाएंगे तो फिर पुलिस की कार्यशैली की वाहवाही कब और क्यों होगी और क्यों कोई जबरन का उत्साह वर्धन करेगा यदि कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो पुलिस से कोई संतुष्ट नहीं है.