🔭 टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ के मुख्य जिलों के जिला मुख्यालय के थानों में निरीक्षकों की कमी देखी जा रही थी। पूर्व पुलिस अधीक्षक ने सब उपनिरीक्षको को थाने की कमान सौंपकर अपना उल्लू सीधा करने के साथ साथ उप निरीक्षको को भी अपना लेबल सुधारने का भरपूर मौका दिया गया। लेकिन याद देखा गया की उप निरीक्षक अपने आप को पुलिस अधीक्षक से कम नहीं समझने लगे थे। पुलिस अधीक्षक भी इनोवा की सवारी किया करते थे और सब उपनिरीक्षक भी इनोवा की सवारी करने लगे थे। सब उपनिरीक्षक यह भूल गए थे कि उनका प्रमोशन पुलिस अधीक्षक के द्वारा नहीं किया जाता अपितु नियम कानून एवं समयावधि के बाद उनका प्रमोशन सरकार द्वारा किया जाता है। पुलिस अधीक्षक के द्वारा केवल वैकल्पिक व्यवस्था मात्र की जाती है और अपना मकसद साध लिया जाता है।
उप निरीक्षको के द्वारा टटपूंजीये, चवन्नी अठन्नी,मीडिया वालों के मार्फत स्वयं को काबिल, योग्य, इमानदार ,कर्तव्यनिष्ठ बतलाने का प्रयास किया जाता है परंतु सच आखिर छुपाए नहीं छुपता है एक दिन सामने आ ही जाता है। छपास रोगियों की ज्यादा जिन तक नहीं चल पाती है। इस तरह के छपास प्रेमियों को कितनी शर्मिंदगी उठानी पड़ती होगी जब वे उसी थाने में मातहत के रूप में कार्य करते है। जिस थाने में वे सर्वे सर्वा हुआ करते थे।
मलाई खाते हैं वे थानेदार जिनके थाना क्षेत्र की सीमा ओडिशा, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र एवं शहर के 48 वार्डो से संबंधित मानी जाती है। जिन्हें जूट मिल थाना, कोतरा रोड थाना, भूपदेवपुर थाना एवं सिटी कोतवाली के रूप में जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि जूट मिल थाना, कोतरा रोड थाना, चक्रधर नगर थाना क्षेत्र की कमान सब उपनिरीक्षको के द्वारा संभाली जा रही है क्योंकि पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने इनको थाना का प्रभार सौप कर अपना निशाना साध लिया था। अब क्योंकि समय बदल चुका है और रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक के रूप में पी सदानंद ने प्रभार ले लिया है इसलिए अब वे अपने कमाऊ मोहरो को थानो का प्रभार सौंपेंगे यह तय है। रायगढ़ जिला पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा कमाऊ जिले के रूप में पहचान बन चुका है। इसलिए यहां जो भी अधिकारी आते हैं वे कमाकर ही जाते हैं। बस कमाने का तरीका संतोषप्रद एवं कड़क रहना चाहिए।
