🔥 टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ नए एसपी सदानंद कुमार के द्वारा रायगढ़ पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभालने के पश्चात पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण की संभावना बलवती थी। लोगों के अनुसार एसपी के द्वारा पदभार ग्रहण करने के पश्चात 1 सप्ताह के भीतर ही पुलिसकर्मियों को इधर से उधर किया जाना था, परंतु सदानंद कुमार ने धैर्य से कार्य करते हुए सबसे पहले पूरे रायगढ़ जिले के थानों का निरीक्षण किया गया एवं गोपनीय रूप से सूची तैयार की गई। जिसे इंडियन प्रीमियर लीग मैच (आईपीएल) शुरू होने से पहले जारी कर दी गई। एक माह पहले से रायगढ़ में टाइट पुलिसिंग की खातिर 3- 4 निरीक्षकों को भेजा गया था. जिन्हें रक्षित केंद्र में काफी आराम करने दिया गया ताकि वे पूरी ऊर्जा के साथ अपने अपने थाना क्षेत्रों का प्रभार संभाल सके. पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के कार्यकाल के दौरान जुट मिल थाना प्रभारी उप निरीक्षक कमल किशोर पटेल ने काफी सुर्खियां बटोरी थी एवं उन्हें थाना प्रभारी के अतिरिक्त सायबर सेल का प्रभार देखकर उपकृत किया गया था।
पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार ने काफी माथापच्ची करने के पश्चात कमल किशोर पटेल को सिटी कोतवाली में अटैच किया गया जिसका बहुत बड़ा कारण हो सकता है। संभवतः अप्रैल माह से शुरू होने जा रहे सट्टे का खेल (आईपीएल) हो सकता है क्योंकि आईपीएल के दौरान बड़े-बड़े सट्टे एवं जुआ शहर की बड़ी होटलों में खेला जाता है। जिसकी पूरी जानकारी कमल किशोर पटेल के पास है एवं वे शहर के सभी बड़े जुआरियों एवं सटोरियों को जानते पहचानते हैं । जिन पर कड़ी कार्रवाई करने के खातिर एसपी ने इन्हें कोतवाली थाना में संलग्न किया गया होगा।
खरसिया के तेजतर्रार थानेदार नंदकिशोर गौतम काफी लंबे समय से खरसिया में सेवा दे रहे थे। जिनकी कड़ी कार्यशैली खरसिया वासियों को रास नहीं आ रही थी। किसी समय खरसिया में हो रही सिलसिलेवार चोरी नंदकिशोर गौतम के खरसिया थाना प्रभारी बनने के बाद से बंद हो गई थी। खरसिया में जुआ सट्टा गांजा शराब अवैध गतिविधियों पर अंकुश लग गया था। गौतम को साइबर सेल का प्रभार दिए जाने के पश्चात साइबर क्राइम में कमी आने की संभावनाएं है।
कोतरा रोड थाना प्रभारी गिरधारी साव के स्थानांतरण न किए जाने की वजह से लोगों के मन में तरह-तरह के प्रश्न उठ रहे हैं कि आखिर निरीक्षकों के उपलब्ध रहते सब उपनिरीक्षक को को थाना प्रभारी पर रहने देने का क्या औचित्य है। यदि पुलिस अधीक्षक चाहे तो इन्हें जिले के किसी भी थाने में संलग्न कर सकते हैं। शायद स्थानांतरण की दूसरी सूची में गिरधारी साव का नाम शामिल किया जा सकता है। कोतरा रोड थाना ही एक ऐसा थाना है जिसका घेराव जब तब किसी के द्वारा भी कर दिया जाता है , क्योंकि घेराव करने वाले के मन में थाना प्रभारी या पुलिस के नाम का का डर रत्ती भर भी नहीं रहता है। वही जब कभी विभागीय बैठक होती है तो उसमें निरीक्षकों के साथ उप निरीक्षक के बैठने पर निरीक्षकों को असहजता महसूस होती होगी जो कि जायज भी है। अतः जिसका काम जो रहे उसे वही काम सौंपा जाना चाहिए