🎤 टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ लगभग चार दशकों से यह देखा जा रहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से खरसिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा कायम है। कांग्रेस को हराने के लिए तत्कालीन जनता पार्टी अब भारतीय जनता पार्टी के द्वारा एक से बढ़कर एक महाबली धनबल, जनबल,लोकप्रिय, कद्दावर नेताओं को चुनाव में उतारकर आजमाया जा चुका है जहां से भाजपा को निरंतर हार का सामना करना पड़ा है। कहते हैं कि यदि छत्तीसगढ़ की एक सीट पर भी कांग्रेस जीतेगी तो वह विधानसभा क्षेत्र खरसिया का होगा। खरसिया विधानसभा को स्वर्गीय नंद कुमार पटेल ने अपने पसीने से सींचा है। स्वर्गीय नंद कुमार पटेल पूरे खरसिया विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बकायदा नाम से जाना पहचाना करते थे। नंदू भैया जब तक जीवित रहे तब तक नंदेली में 24 घंटे लोगों का हुजूम जमा रहता था। नंदू भैया सबको बड़े प्यार से बात करते थे एवं लोगों के यहां सुख दुख में आते जाते थे। जिस वजह से प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को नंदू भैया का सबसे करीबी मानता था। नंदू भैया के पास यदि कोई विरोधी भी फरियाद या समस्या लेकर पहुंचता था तो उसकी फरियाद और समस्या का निदान भी किया जाता था। के मन में किसी के प्रति दूराभाव की भावना नहीं रहती थी। आज यदि नंदू भैया जीवित होते तो वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री होते हैं।
खरसिया विधानसभा सीट पर इन धुरंधरों ने चुनाव हारा है और पुनः खरसिया से चुनाव लड़ने का साहस बटोर सके है। लक्ष्मी पटेल, यशवंत राज सिंह, गिरधर गुप्ता, दिलीप सिंह जूदेव, लखीराम अग्रवाल, जवाहर नायक, कलेक्ट्री छोड़कर राजनीति में उतरे ओम प्रकाश चौधरी आदि सभी खरसिया विधानसभा क्षेत्र में शिकस्त खा चुके हैं
निर्विवाद छवि के व्यक्ति हैं उमेश पटेल. वैसे तो उमेश पटेल की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति की रही है किंतु स्वर्गीय नंद कुमार पटेल अपने लाडले उमेश को राजनीति से दूर रखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने उमेश पटेल को भिलाई से इंजीनियरिंग B TEC की पढ़ाई करवाई और नौकरी करने की खातिर बाहर भेज दिया गया था. वे बेंगलुरु किसी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे थे। राहुल गांधी की समझाइश पर उमेश ने नौकरी छोड़ कर कांग्रेस प्रवेश कर लिया। सन 2013 के चुनाव में उन्होंने जवाहर नायक को लगभग 39,000 वोटों से चुनाव हराया था। तब विपक्षी एवं विरोधियों के द्वारा उमेश की जीत को सहानुभूति की जीत बतला कर हो हल्ला मचाया जाता रहा। चुनाव जीतने के बाद उमेश पटेल ने खरसिया विधानसभा क्षेत्र में इतने अधिक विकास के कार्य करवा दिए की सन दो हजार अट्ठारह में कलेक्ट्री छोड़कर भाजपा में आए नंदेली ग्राम से 1 किलोमीटर के फासले पर रहने वाले ओम प्रकाश चौधरी को लगभग 17000 फोटो से चुनाव हरा दिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उमेश पटेल को कई विभागों का कैबिनेट मंत्री पद का पारितोषिक दिया गया।
नंदकुमार पटेल के समर्थकों को भाव नहीं देते उमेश पटेल विपक्षियों दोस्तों के द्वारा असंतुष्ट लोगों के द्वारा द्वारा समय-समय पर यह अफवाह फैलाई जाती है की उमेश पटेल के दरबार में नंदकुमार पटेल के समर्थकों एवम चहेतो को तवज्जो नहीं दी जाती है। उक्त आरोप एक सिरे से खारिज हो जाती है क्योंकि नंदकुमार पटेल के खासम खास निराकार पटेल को उमेश पटेल ने जिला पंचायत का अध्यक्ष बना दिया है। वैसे भी 40 वर्षीय उमेश पटेल को नौजवानों की फौज की आवश्यकता है। जो चुनाव प्रचार के दौरान साम, दाम, दंड, भेद, की नीति में पारंगत होते हैं। रायगढ़ जिले में खरसिया शहर को विशुद्ध भाजपाइयों के शहर की वजह से जाना जाता है। किंतु आज तक वहां से भाजपा ने जीत का परचम नहीं लहरा पाया है। जिसका कारण स्वर्गीय नंद कुमार पटेल का मधुर व्यवहार है जिसका पूरा फायदा उमेश पटेल को मिलता रहा है और मिलते रहेगा। वैसे भी इंजीनियर दिमाग के मालिक उमेश पटेल को भली-भांति जानकारी होगी कि कौन इंसान उनके कार्य आ सकता है इसीलिए नंदेली हाउस में युवाओं का जमावड़ा लगा रहता है।







