आज दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल के द्वारा मैनेज किये गये मीडिया कर्मी के चाटूकारिता का दंड नन्हों मूनहो बच्चो को भुगतना पड़ गया .अभी आ रहे है,निकल चुके है,बस पहुँचते होंगे,बीच रास्ते मे है,जाम लगा है, आदि का बहाना बनाने एवं मीडिया मैनेज करने वाले अब 60 साल पार वालो में आ गये है. स्कूल प्रबंधन को अब जातिवाद भूल कर *कमल* खिलाना है तो अपना यह रते रहना का भरम त्यागना होगा .
ये बेचारे बच्चे 3,4 घँटे में तैयार होकर अपने मुख्य अतिथि की राह 2 घँटे से जो रहे बच्चे अपने पत्रकार अंकल की बात को ही सच मान रहे ,मगर इन मासूमो को क्या मालूम कि ये अंकल जातिवादी होने के साथ वेतनभोगी भी है कमल के ?