रायगढ़——-कहते है कि हड़बड़ी में अक्सर गड़बड़ी हो जाया करती है। अति उत्साह में किया गया कार्य कभी कभी फजीहत का कारण बन जाता है। चमड़े की जुबान कब फिसल जाये, लिखती कलम कब बहक जाये इसका ध्यान रखना ही महत्वपूर्ण होता है। मजाकिया शैली में दिया गया उत्तर कब नश्तर बन कर चुभ जाये इसका कोई अनुमान नही होता। लोगो की नजरों में चुभना बहुत ही खतरनाक होता है। किसी की एक गलती भी माफी योग्य नही होती तो किसी के सारे गुनाह कुबूल कर लिये जाते है। तर्क -वितर्क करना बुद्धिमत्ता है तो कुतर्क मंद बुद्धि की पहचान है।
आलोक सिंह अपने लेखन शैली के कारण कांग्रेसियों की नजरों में हमेशा से खटकते रहे है। बेबाक आरोप लगाना उमेश पटेल,प्रकाश नायक के लिये मजाकिया उपनाम लिखने को लेकर आलोक सुर्खियों में रहे है।
सोशल मीडिया के द्वारा कांग्रेस पार्टी के साथ ही कांग्रेस के मंत्रियों,विधायकों, समर्थकों पर लगातार अपने हमले जारी रखने वाले अधेड़ हो चले आलोक सिंह अंततः कानूनी झमेले में फंस ही गये। पूर्व केबिनेट राज्य मंत्री सांसद विष्णुदेव साय के प्रतिनिधि आलोक सिंह अपनी वाकपटुता तार्किक शैली के कारण जाने पहचाने जाते है। विष्णुदेव साय के पुनः प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने पर आलोक सिंह इतने अधिक उत्साहित हो गये की उनकी लेखन शैली भी बहक गई और सोशल मीडिया में लिखते लिखते विवादित उत्तर अपनी मर्दाना ताकत आजमाने को लिख डाला। घरघोड़ा निवासी रजनीकांत तिवारी को फेसबुक में दिया गया उत्तर समाज मे अश्लीलता फैलाने का कारण बन गया। रजनीकांत तिवारी ने घरघोड़ा थाने में उक्ताशय की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। जिसपर आलोक सिंह पर धारा 292 एवं 67 का मामला दर्ज किया गया है।