🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹… रायगढ़ जिले के चर्चित ठग रंजीत चौहान और सुदीप मंडल की जोड़ी के ठगी के कारनामे जितने ज्यादा है पुलिस की कार्रवाई उतनी ही कम है. इनके जुर्मों की फेहरिस्त जितनी लंबी है. पुलिस की कार्रवाई उतनी ही छोटी है. जिनको जानकर लोगों के मन में एक ही विचार उत्पन्न हो रहा है. इन दोनों के द्वारा की गई ठगी को बढ़ावा देने में राजनीतिक या पुलिस का पूरा संरक्षण प्राप्त है. जिसकी वजह यह है कि रायगढ़ जिले के अनेक थानों में पीड़ितों के द्वारा लिखित आवेदन प्रस्तुत करने के बावजूद पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. रायगढ़ जिले के उड़ीसा सीमा से लगे गांव बरलिया डूमरपाली के युवक रंजीत चौहान ने बोईरदादर स्थित शरणार्थी बंगाली कॉलोनी के निवासी फुटपाथ पर बैग बेचने वाले और मछली काटने वाले, बीवी बाल बच्चे वाले सुदीप मंडल (असीम) को न जाने अपने लटके – झटके, नैन – मटको के मोहपाश में ऐसा बांधा कि सुदीप ठगी करने के जुर्म में पैर से लेकर सर तक समा गया. इन दोनों ठग राजो ने अपने ठगी को अंजाम देने के लिए “असीम छाया” नाम के एनजीओ की शुरुआत की और भोले भाले, बेरोजगार ग्रामीणों,को सब्जबाग दिखाकर उनका आर्थिक,शारीरिक, मानसिक दोहन करना शुरू कर दिया. मगर जुर्म ज्यादा दिन तक नहीं छिपता है. ऐसा ही उनके मामले में भी हुआ. जब ग्रामीणों को अपने साथ ठगी का एहसास होने लगा तो उन्होंने पुलिस की शरण लेना उचित समझा. रंजीत संदीप की ठगी का शिकार बने ग्रामीणों ने अपने नजदीक थाना में जाकर न्याय दिलाने की खातिर लिखित आवेदन देना शुरू कर दिया. आवेदन जमा होते-होते मोटी फाइल का रूप ले लिया परंतु पुलिस के द्वारा कार्रवाई नहीं करने की वजह से इनके हौसले बुलंद होते गए और इन्होंने शहरी लोगों को अपना निशाना बनाना शुरू किया. शहर के लोग भी अपने साथ हुई ठगी का आवेदन दे दिए थे. मगर शहर के लोग अपनी इज्जत की खातिर सामने आने से कतराने लगे हैं. शहर के दो-तीन लोगों का आवेदन थाना चक्रधर नगर में जमा है जो दिनों दिन पुराना होते जा रहा है. इसी तरह सिटी कोतवाली में भी आवेदन जमा है परंतु कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
रंजीत – सुदीप के खिलाफ ठगी और चेक बाउंस के दर्जनों मामले हैं. मीडिया की आड़ में अपने गोरख धंधे को अंजाम देने वाले दोनों ठग रंजीत सुदीप के पत्रकार होने की मान्यता जनसंपर्क विभाग के द्वारा समाप्त कर देनी चाहिए और जिला प्रेस क्लब के द्वारा भी इन दोनों को प्रेस क्लब से बाहर कर देना चाहिए. जनसंपर्क विभाग और प्रेस क्लब के द्वारा इश्तहार जारी करना चाहिए ताकि लोगों को मालूम चल सके की यह दोनों ना पत्रकार है और ना ही प्रेस क्लब के सदस्य हैं.
महिला समूहों और महिलाओं से व्यापक पैमाने पर की गई ठगी.. इन दोनों ने अपना निशाना बेरोजगार, मजबूर, लाचार,गरीब,निर्धन,परित्या युवतियों,महिलाओं को बनाना शुरू कर दिया. इनके द्वारा महिलाओं को स्वयं के एनजीओ में काम लगाने के नाम एवं आत्मनिर्भर बनाने अनेक मशीन दिलवाने का आश्वासन दिया जाता रहा और मशीनों की फोटो, कोटेशन दिखाकर उनसे मोटी रकम ठगी जाती रही. उनके एनजीओ में काम करने वाली महिलाओं को जब तनख्वाह देने में आनाकानी की जाने लगी तब इनको अपने साथ हुई ठगी का एहसास होने लगा. लेकिन लोक लाज के भय किसी के द्वारा साथ नहीं दिए जाने की वजह से महिलाएं काफी महीनो तक चुप रही. मगर जब इनको अपने परिवार के पालन पोषण में समस्या आने लगी तो इन्होंने भी थानों में लिखित आवेदन देना शुरू कर दिया. क्रमशः बुराई पर अच्छाई की और असत्य पर सत्य की लड़ाई जारी रहेगी. बने रहिए हमारे साथ