🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 मीडिया एवं समाज सेवा का चोला ओढ़ कर तथा कथित पत्रकार एवं एनजीओ “असीम छाया” संचालक एनजीओ के एक अन्य डायरेक्टर सुदीप मंडल के साथ मिलकर पूरे छत्तीसगढ़ में नेटवर्क बनाकर करोड़ों रुपए की नगद ठगी की थी. बताया जा रहा है कि ठगी का यह गोरख धंधा सन 2020-21 से चला आ रहा है. सन 2022 में ग्रामीण युवक के द्वारा ठगी करने संबंधित अपना आवेदन चक्रधर नगर थाने में दिया था, किंतु पुलिस ने इसे हल्के में लेते हुए कोई कार्रवाई नहीं की, जिस वजह से रंजीत और उसके साथी सुदीप मंडल का हौसला दिनों दिन बढ़ता गया. इसके बाद ठगो की जुगलजोड़ी ने छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया. सन 2025 के शुरुआती महीने तक इनके ठगी का काम चला रहा.
ग्रामीण युवको ने की आईजी से शिकायत
ग्राम जुडडा के उत्तम पटेल एवं ग्राम कौवाताल के राज किशोर साहू ने बिलासपुर जाकर बिलासपुर संभाग के पुलिस महा निरीक्षक संजीव शुक्ला से आप बीती बताइए और उनसे अपने रुपए वापस दिलवाने का निवेदन किया. आईजी के आदेश पर भी चक्रधर नगर पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई तब दोनों आवेदक पुनः बिलासपुर पहुंच गए और रिपोर्ट ना लिखे जाने की शिकायत किये. संजीव शुक्ला के कड़े तेवर के बाद चक्रधर नगर थाने में पुलिस के द्वारा मन मार कर रंजीत के खिलाफ 318 का एक मामला और 420, 34, 467, 468, 471, ठगी एवं शासकीय दस्तावेजों,सील,मोहर की कूट रचना करते हुए फर्जी तरीके से नियुक्ति पत्र दिए जाने का गैर जमानती मामला दर्ज किया गया.
रंजीत के शुभचिंतकों की बेचैनिया बढ़ गई
दिनांक 20 3 2025 को मामला दर्ज होते ही रंजीत चौहान रायगढ़ से फरार हो गया था. पुलिस की लगातार छापेमारी और पतासाजी चलती रही. पुलिस को दिगभ्रमित करने के लिए रंजीत के तथाकथित शुभचिंतकों के द्वारा कभी उसके बांग्लादेश, कभी दुबई, कभी मध्य प्रदेश जाने की अफवाह उड़ाई जाती रही. इस बीच चक्रधर नगर पुलिस के द्वारा रंजीत ने ठगी के पैसे से खरीदी हुई KIA SONET कार चक्रधर नगर थाने में लाकर खड़ी कर दी थी. इसके बावजूद भी रंजीत का कोई पता नहीं चल रहा था क्योंकि पुलिस के मुखबिर तंत्र से ज्यादा सक्रिय रंजीत के मुखबिर तंत्र रहे. पुलिस रंजीत पर निगाह रख रही थी और रंजीत के लोग पुलिस की पल पल की कार्यशैली पर निगाह जमाए हुए थे.
सुदीप मंडल पर हुआ मामला दर्ज
रंजीत पर अपराध दर्ज होने के बाद शहर के प्रतिष्ठित हार्डवेयर व्यवसाय एवं समाजसेवी अनिल गर्ग के कथन एवं साक्ष्य दिखाने पर सिटी कोतवाली थाने में असीम छाया फाउंडेशन के डायरेक्टर सुदीप मंडल पर 420 34 का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद सुदीप मंडल भी शहर से फरार हो गया था.
बराबर के भागीदार है दोनों ठग..
करोड़ों रुपए की ठगी के मामले में रंजीत और सुदीप दोनों बराबर के भागीदार हैं क्योंकि “असीम छाया” फाउंडेशन के दोनों डायरेक्टर हैं. मजे वाली बात यह है कि सुदीप मंडल का घरेलू नाम असीम बताया जाता है. रंजीत के द्वारा सुदीप को बाबू, जान, हनी आदि प्यार भरे नाम से बुलाया जाता है. इनके द्वारा दर्जनों बोगस चेक बांटे गए थे. उन सभी चेकों में दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर हैं. इसलिए कोई एक गुनाहगार नहीं हो सकता दोनों के गुनाह 50–50% बराबर है. इसलिए सुदीप मंडल को संदेह का लाभ देना उचित नहीं होगा. दोनों ने पत्रकारिता की, दोनों ने असीम छाया की स्थापना की, दोनों ने ठगी की, दोनों साथ-साथ जाया करते थे, साथ-साथ आया करते थे, और भी न जाने क्या-क्या साथ-साथ किया करते थे ?
कहीं नक्सली कनेक्शन तो नहीं है रंजीत और सुदीप का
गंभीर धाराओं के चलते रंजीत अपनी जमानत की तमाम कोशिश करने के बावजूद पुलिस और मीडिया के दबाव की वजह से 21 मार्च को फरार हो गया था. जिसको ढूंढने में पुलिस के छक्के छूट गए. रंजीत छत्तीसगढ़, उड़ीसा,तेलंगाना,आंध्र प्रदेश,के बॉर्डर घनघोर जंगल और घोर नक्सलाइट एरिया नवरंगपुर जिले के ग्राम उमरकोट (भारत) में बेफिक्र होकर मामला ठंडा होने तक का सोचकर छिपा हुआ. रंजीत के वहां छिपे होने की वजह से यह शंका लग रही है कि कहीं उसका कनेक्शन नक्सलाइट लोगों से तो नहीं है.
रायगढ़ की जांबाज टीम पहुंची उमरकोट
रायगढ़ के जांबाज अधिकारियों एवं कर्मचारियों की टीम रंजीत को खोजते खोजते उमरकोट जा पहुंची. रायगढ़ से लगभग 400 किलोमीटर जाकर इन्होंने रंजीत की पतासाजी की और फोटो के आधार पर पूछताछ की तो ग्रामीणों ने रंजीत के वहां होने की पुष्टि कर दी. जिसके बाद रंजीत ने अधिकारियों को बरलाने की और आर्थिक लालच देकर बचना चाह किंतु ईमानदार अधिकारियों के आगे रंजीत की बेईमानी काम नहीं आई. रंजीत साथ में आने को तैयार नहीं हो रहा था तो पुलिस के द्वारा बल प्रयोग करते हुए,शस्त्र तानते हुए.वाहन में धकेल कर बैठाया गया और उसे रायगढ़ लाया गया.
और भी अलग मामले दर्ज हो सकते हैं
रंजीत पर उमरकोट में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ की गई अभद्रता, धमकी चमकी देने का मामला भी दर्ज किया जा सकता है. वैसे भी अभी रंजीत के खिलाफ कई लोगों की प्राथमिक की दर्ज करनी बाकी है. रंजीत की मुसीबतें दिनों दिन बढ़ती ही जाएगी. जितना उसने गरीब,मजबूर, बेरोजगार,महिलाएं,युवतियों को सताया है,ठगा है,बददुआ ली है, आंखों में आंसू दिए हैं,परिवारों को तोड़ा है, दाने-दाने को मोहताज किया है. उसका फल उसे अवश्य भोगना पड़ेगा.








