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🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹…
गरीब की लुगाई सबकी भौजाई
अक्सर यह देखा जा रहा है कि जब भी कोई छोटा से लेकर बड़ा अपराध होता है. उसका ठीकरा पुलिस के सर फोड़ने की कोशिश की जाती. मगर जब अपराध करने वाले आरोपी को पकड़ने में पुलिस सफल हो जाती है तो पुलिस की वाह वाही न कर यह उनका कार्य बता दिया जाता है. सोशल मीडिया पर लुच्चे,लफंगे,गली,मोहल्लों केछूट भैया नेता और अल्प शिक्षित अर्ध शिक्षित ज्ञानचंद लोग पुलिस को नकारा, निकम्मा, सत्ता पक्ष का, रिश्वतखोर,असफल,नाकाम , और सामाजिक तत्वों का हिमायती आदि से परिभाषित करने से नहीं चूकते है और पुलिस सब सहन करते हुए अपने कार्य में लगी रहती है. इसको कहते हैं “गरीब की लुगाई सबकी भौजाई”छोटे-मोटे लोग भी पुलिस को आंखें दिखाने से परहेज नहीं करते हैं. ज्यादा कुछ होने पर मानव अधिकार की बातें कही जाती है. आम जनता को इतनी स्वतंत्रता प्रदान नहीं करनी चाहिए.
लापरवाही इंसान की और उंगली पुलिस की तरफ
हर किस्म के अपराध में मानव की गलती होती है. जिसे पुलिस की गलती बता कर अपनी गलतियों को छुपाने का प्रयास किया जाता है. पुलिस की पेट्रोलिंग, कार्यशैली पर उंगलिया उठाई जाती है. जबकि अपनी अपने प्रतिष्ठान,अपने घर मकान,गोदाम,वाहन,जेवरात, रकम, बाल बच्चों परिजनों का ख्याल एवं सुरक्षा रखना व्यक्ति का कार्य होता है. पुलिस के पास एक ही कार्य के लिए समय नहीं होता है. पुलिस के पास लगभग सभी सरकारी विभागों के,हाई कोर्ट, विधानसभा, विशिष्ट अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा आदि कार्य भी होते हैं, परंतु मनुष्य चाहता है कि पुलिस सब काम छोड़कर उनकी शिकायत पर कार्यवाही करें. पुलिस हर प्रतिष्ठानो, दुकानो, घरों, कॉलोनियो,गोदामों,मंदिरों आदि बाहर बैठकर देखरेख करने की तनख्वाह नहीं लेती है, और ना ही रात के समय सभी जगह के ताले चेक करने की ड्यूटी नहीं होती है.
किसी का सहयोग नहीं मिलता है
किसी भी अपराध की जांच पड़ताल करने जब पुलिस लग जाती है तो उन्हें लोगों की तरफ से किसी भी तरह का सहयोग प्रदान नहीं किया जाता है. पुलिस अपने मुखबिर तंत्रों,सैकड़ो सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल कर, डॉग स्क्वायड, फॉरेंसिक टीम, आदि के जरिए अपराधी तक पहुंच पाती है. पुलिस वाले भी आखिर इंसान होते हैं जादूगर नहीं या कोई तांत्रिक नहीं की डंडा घुमाए फूंक मारे और आरोपी सामने आ जाए.