रायगढ़—— सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास वाले नारे की पोल भाजपा में ही खुल कर रह गई। जब पार्टी में ही एक दूसरे पर विश्वास नही रह गया तो जनता इनपर क्या विश्वास करेगी।
पार्टी में मनोनयन की परिपाटी रही है। सब एक स्वर में करतल ध्वनि से समर्थन करते है परन्तु कल अतिथि भाटापारा के विधायक शिवरतन शर्मा के सामने रायगढ़ भाजपा की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई। कल निगम के लिए प्रतिपक्ष के नेता का चुनाव किया जाना था परन्तु गुटों में बटी भाजपा में किसी के नाम पर सहमति न बन पाने के कारण मामला रायपुर चला गया है। जहां से प्रदेश आलाकमान प्रतिपक्ष के नेता के नाम का ऐलान करेंगे मगर रायपुर से भी नाम का ऐलान करना इतना आसान नही होगा क्योंकि रायपुर में भी रायगढ़ भाजपा के दिग्गज नेताओं के सम्बंध अपने अपने स्तर पर है।
कल 5 घँटे के माथापच्ची के बाद समझ मे आ गया कि वर्तमान जिला अध्यक्ष की कोई पूछ परख नही है। उनसे ज्यादा तो निष्कासित पूर्व विधायक विजय भैया दमखम रखते है। जो कि अपने विश्वास पात्र को प्रतिपक्ष के नेता पद दिलवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है तो वहीं भाजपा से इन दिनों दूरी बनाकर चल रहे पूर्व विधायक रोशनलाल अपने शागिर्द को उक्त पद दिलवाना चाह रहे है। अभी जुम्मा जुम्मा चंद महीनों पहले भाजपा के राबिनहुड कहलाने वाले मंजुल को हराने वाले अशोक यादव नेता प्रतिपक्ष का सपना संजोए हुए है। गुट बाजी का परिणाम यह होगा कि कहीं विजय भैया के कट्टर समर्थक रिमझिम मुक्तिनाथ के नाम की घोषणा न जो जाये। बरहाल जब तक रायपुर से नाम की घोषणा नही होगी तब तक रोशनलाल के शागिर्द पंकज कंकरवाल अपने पद पर बने रहेंगे।