पूरे देशभर में विजयदशमी पर्व धूमधाम से मनाया जाता रहा है परन्तु इस दफे पूरे विश्व मे कोरोना संक्रमण की सक्रियता के चलते सारे भारतीय त्यौहार शगुन के तौर पर ही मनाये जा रहे है। अबूझ मुहूर्त के रूप में मनाया जाने वाले दशहरा पर्व की रंगत फीकी पड़ गई।शासन ने इतने कड़े नियम जारी किये की टटरे,पुठे,कार्टन,पैरा, बोरा,सनिया से बनाये जाने वाले रावण का कद भी 10 फुट कर दिया गया था। मानव निर्मित रावण के दाह संस्कार में शामिल होने पर भी पाबंदियां लगी हुई थी। आतिशबाजी,पटाको पर मनाही थी। प्रभु श्रीराम, जानकी,लक्ष्मण,हनुमान जी की विजय यात्रा में 144 प्रभावशील थी। हिन्दू धर्म मे सूर्यास्त के बाद मृतक को जलाना निषिद्ध है। इसके बावजूद प्रत्येक वर्ष दिन छिपने के बाद ही रावण को अग्नि दी जाती रही है। शायद इसी वजह से रावण की मृतात्मा की आत्मा को शांति नही मिल पाई है। तभी देश की प्रत्येक गलियों में रावण जन्म ले रहे है। अब इतने सारे रावणो का नाश करने के लिए इतने राम कहां से आ पाएंगे।सबसे मजेदार बात तो तब होती है। जब बेचारे कलाकार जीवंत रामलीला का 9 दिनों तक मंचन करते है और जब रावण को जलाने की बारी आती है तब रामलीला समिति को 1₹ भी चंदा न देने वाले रावणरूपी लोग प्रभु श्रीराम की सेना को दरकिनार कर मैदान में अपने समर्थकों सहित पहुंच जाते है।तब जलता हुआ रावण अट्टाहस कर पूछता है कि आप मे से राम कौन है।कौन है मर्यादा पुरुषोत्तम,कौन है अपने पिता के आदेश का पालनकर 14 वर्ष वनवास झेलने वाला, कौन है कुम्भकर्ण सरीखा भाई,कौन है मेघनाथ का पिता । अगर कोई नही है तो मुझे जलाने का अधिकार तुमको किसने दिया। हिन्दू धर्म मे मृतक को अग्नि देने का अधिकार पुत्र को होता है। मतलब तुम भी मेरे ही वंशज हो तो मेरा रूप,मेरा स्वरूप पृथ्वी से कभी नही मिट सकता। जलता हुआ रावण पुनः अट्टाहस कर पूछता है कि तुम न में से मेरे जितना बुद्धिमान,बलशाली,पराक्रमी,वैज्ञानिक, चरित्रवान, प्रकांड पंडित,शास्त्रों का ज्ञाता,तीनो लोको का विजेता,महादेव का अनन्य भक्त कौन है। तब तक पूरा मैदान खाली हो जाता है। तब रावण सोचता है कि यह उमड़ी भीड़ महज तामाशाई ही है।इसलिये जब तक दुनिया रहेगी मैं किसी न किसी रूप में मौजूद रहूंगा। जय श्रीराम