रायगढ़——- अवैध शराब के मिनी प्लांट पर छापेमारी में व्यापक स्तर पर ओडिसा एवं झारखंड की स्तरहीन शराब को छत्तीसगढ़ शासन के आई.बी, रॉयल स्टेज,मैकडॉनल्ड्स सरीखे ब्रांड में बदलकर ऊंचे दामो में शहर की बड़ी होटलो,बारो,आसपास के ढाबो में बेधड़की से सप्लाई करने का खेल कोतवाली थाना क्षेत्र के बंगलापारा के एक घर मे लम्बे समय से चल रहा था। बतलाया जा रहा है कि देश के विपत्ति के समय कोरोनकाल में कई करोड़ रुपये की नकली शराब लोगो के हलक में उतार दी गई।शायद खुफिया तंत्र भी अवैध शराब के कारोबारी के लिए काम करने लग गए थे। शहर का कोई भी ऐसा क्षेत्र नही होगा जहां “रिजर्वसेवन” नामक घटिया शराब ओने-पौने दाम पर न बिकी हो। मदिरा प्रेमियों को उक्त शराब भी अमृत या संजीवनी बूटी से कम नही लगती थी।
अचानक आबकारी अमले ने शहर के बंगलापारा स्थित एक मकान में छापेमारी कर पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव अवस्थी ने संज्ञान लेते हुए। कोतवाली के एक इंस्पेक्टर एक सब इंस्पेक्टर को तत्काल सस्पेंड कर दिया। इस कार्यवाही से बौखलाई पुलिस चेतन अवस्था मे आ गई और शराब कारोबारी के दूसरे मकान में आबकारी विभाग के साथ मिलकर छापेमारी मे शामिल हो गई। बरहाल उक्त मकान से शराब तो नही मिली परन्तु कुछ शराब की खाली बोतलें,कई मोबाईल सिम कार्ड, लड़कियों के आधार कार्ड,टूटे फूटे खाली कार्टन, सेलो टेप,सूजा, बोतलों में लगने वाली सील,अंग्रेजी शराब बिल्लो के बटन आदि पाये गये।पुष्ट जानकारी के अनुसार छापेमारी से कुछ पहले ही आरोपीगण कुछ चीजों को जलाकर अवैध शराब को ठिकाने लगाकर पुनः फरार हो गए। जिससे यह स्पष्ट होता है कि आरोपी के खबरीलाल सरकारी ख़बरीलालो से ज्यादा सक्रिय है।
*ऐसा कोई सगा नही,जिनको इन्होंने ठगा नही* अवैध शराब प्लांट पर छापेमारी किसके इशारे पर की गई और की जा रही है। इस सम्बंध में जितने मुंह उतनी बाते सुनाई पड़ रही है परंतु कद्दावर रसूखदार के ठिकाने पर बगैर मंत्रालय के आदेश पर कार्रवाई किया जाना संभव नही है। सुनाई यह आ रहा है कि उक्त शराब प्लांट के आरोपी के भाई के सम्बंध सदा से मुख्यमंत्रीयो से रहे है। जिसे “सिंग ईज किंग” के नाम का फायदा भी मिलता रहा है। जिसने कई सिंहो का उपयोग किया गया
सबसे मुख्य प्रश्न सामने यह आया कि आखिर छत्तीसगढ़ शासन की शराब की बोतलों पर लगने वाले ढक्कन,सील,होलोग्राम आदि बाजार में किस तरह से बिक गये। खाली बोतलों के संकलन पर कबाड़ियों ने भी साथ निभाया होगा। रायगढ़ में सर्वाधिक अवैध शराब बिकने की बातें पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमनसिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रेसवार्ता के दौरान कही थी तो आखिर जब बाते ऊपर तक पहुंच सकती है तो इसकी भनक स्थानीय आबकारी अमले को कैसे न हुई। पूर्व आबकारी अधिकारी ने तारापुर मार्ग स्थित किसी ढाबे से 4 पेटी “रिजर्व सेवन” शराब पकड़ी थी तो शराब खरीदी के मूल स्थान एवं मुख्य आरोपी के गिरेबान तक पहुंचने में कोताही एवं नरमी क्यूँ बरती गई। लाकडाउन के दौरान प्रदेश के आबकारी मंत्री का अप्रत्याशित रायगढ़ प्रवास भी कोई कम हैरान कर देने वाला नही था। जहां कोविड़ 19 के नियम कानून भी दरकिनार कर दिए गए थे। मंत्री का अचानक देर रात आगमन करना और अलसुबह प्रस्थान करना भी अपने आप मे कई बातों को जन्म दे गया था।उस समय मंत्री के आसपास शराब कारोबारी का भाई साये की तरह से लगा रहा था। तब लोगो ने दबी जुबान से मंत्री का आगमन लेन देन सम्बन्धित बतलाया जा रहा था और उस समय की जनचर्चा आज हकीकत पड़ती दिख रही है।
“थिंक नेक्स्ट,आबकारी अमला बेस्ट” अवैध शराब प्लांट पर आबकारी अमले ने अपनी पीठ जरूर थपथपा ली हो परन्तु आरोपियों पर एफआईआर दर्ज न करवाना,आरोपी की धरपकड़ के लिए कार्रवाई न करना शायद नमक का कर्ज न उतारना समान है। आबकारी अमला अकेला ही श्रेय क्यों ले जाये। थिंक नेक्स्ट,पुलिस इज बेस्ट पर पुलिस अपनी ऊर्जा झोंकने में लग गई है। थानेदार मनीष नागर ने अपने ख़बरीलालो को चनहुओर सक्रिय कर दिए है। जो शहर में बिकने वाली अवैध शराब के कारोबारियों,आरोपियों के छिपने के संभावित अड्डो पर अपनी पैनी निगाह रख रहे है। कॉर्प ऑफ द ईयर थानेदार मनीष नागर कार्प ऑफ द मंथ बनने के लिए तगडी घेराबन्दी करने में लगे हुए है। घरघोड़ा थानेदार के. के. सिंह को सिटी कोतवाली की कमान सौपना एवं महज 54 दिन में ही उनका ट्रांसफर पूंजीपथरा कर देना और उनकी जगह पूंजीपथरा थानेदार मनीष नागर को शहर का कोतवाल बना देना। कप्तान के सही फील्डिंग जमाने का रूप माना जा सकता है। अपना कोई विकेट गवाएं बगैर जीत भी हासिल कर ली। इसको कहते है दिमाग बा
शराब आरोपी की के सहारे उसके भाई को भी घेरने का प्रयास तेज हो गया है। जहां एक ओर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने आबकारी अधिकारी को आरोपी को अविलंब पकड़ने और कोताही करने पर उग्र आंदोलन करने की बातों वाला आवेदन दिया है तो दूसरी तरफ जिला भाजपा ने भी मोर्चा खोलकर इस कारोबार में संग्लन सभी लोगो की गिरफ्तारी की प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है। आबकारी अमला अलग तो पुलिस प्रशासन अलग अपने खाते में जीत दर्ज करने के लिए एडिचोटी का जोर लगा रहे है।
अवैध तरीके से कमाया हुआ धन 11वे साल से नष्ट होना शुरू हो जाता है। जो चलती में न चलाये वह बेवकूफ और जो ना चलती में चलाए वह बेवकूफ वाली कहावते आज सच साबित होते दिख रही है।