
नियम कानून को चांदी के जूते तले रखकर संचालित हो रहा है महालक्ष्मी क्रेशर।
रायगढ़ जिले के सारंगढ़ क्षेत्र के टीमरलगा,गुडेली में क्रेशर मालिकों की मनमौजी थमने का नाम ही नहीं ले रही है।खनिज विभाग गाड़ियों पर यदाकदा कार्यवाही करता रहता है,लेकिन महालक्ष्मी क्रेशर में अवैध तरीके से गिट्टी डंप की हुई है। जिस पर खनिज विभाग की आंखे क्यों मूंदी हुई है?यह समझ से परे है। गुडेली के महालक्ष्मी क्रेशर में अवैध तरीके से गिट्टी डंप है । इनकी खदान की बात करें तो छोटा सा ही गड्ढा है।अब समझ से परे है कि यहां से इतने पत्थर कैसे उत्खनन कर लिया गया ? ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह अवैध खदानों के पत्थर लेकर क्रेसिंग करके शासन को लाखों करोड़ों की राजस्व की हानि पहुंचा रहे है । यदि खनिज विभाग जांच करे घोर अनिमियता मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता। खनिज विभाग आखिर इस क्रेसर पर इतनी नरमदिली क्यो रखा हुआ है ? खनिज विभाग रूटीन जांच क्यों नहीं कर रहा है ? खनिज विभाग के इंस्पेक्टर यहां जाकर जांच क्यो नही करते है ? कि डंपिंग गिट्टी,बोल्डर क्या वैधानिक तौर पर डंपिंग किया गया है या अवैध डंपिंग का खेल खेला जा रहा है।प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कुंभकर्णी नींद…अगर प्रदूषण विभाग की बात करें तो लगता है प्रदूषण विभाग सुप्तावस्था में रहकर डंपिंग की खुली छूट दे रखे हैं । गिट्टी,बालू के ढ़ेर पर जाली भी नही ढकी गई है जिससे राहगीर एवं और गांव वाले उड़ती डस्ट से परेशान हैं।लोटो कंपनी में दर्जनों क्रेशर हैं लगभग सभी क्षेत्रों में नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन महालक्ष्मी क्रेशर प्रदूषण विभाग को ठेंगा दिखाते हुए काम कर रहा है।
राजनैतिक पहुंच होने की बात…खनिज विभाग के इंस्पेक्टर हाथ धरे हुए बैठे हैं,जिससे लगता है कि कहीं महालक्ष्मी क्रेशर के संचालक की राजनीतिक पहुंच तो आड़े नही आ रही है,इसीलिए शायद महालक्ष्मी क्रेशर की जांच करने में अधिकारीयों के हाथ पांव फूल रहे हैं। तभी इस क्रेशर पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है,या फिर छड़ी के जूते का असर है। इस क्रेशर में खामियां ही खामियां कदम कदम पर मिल जाएगी। इसके बावजूद उक्त क्रेशर संचालित हो रहा है।
अपने आपको मंत्री का करीबी बतलाकर रुतबा झाड़ अनिमियताओ के साथ उद्योग संचालित किया जा रहा है।इस क्रेशर के मालिक अपने आपको मंत्री से कम भी समझता है।कहते हैं कि कांग्रेस सरकार गरीब दुखियों की सरकार है लेकिन यहां तो सरकार को ही गरीब किया जा रहा है एवं माइनिंग विभाग मूकदर्शक बन तमाशा देख रहा है। आज तक कार्यवाही के नाम पर इस क्रेशर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई है।यहां के क्रेशर माफिया शासन सरकारी तनख्वा लेते हैं। मगर कार्य खनिज माफियाओं के लिए करते है।इस ओर रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह को अपनी निगाहें जमानी होगी तभी कड़ी कार्रवाई होनी संभव हो सकती है। कि इस पर क्या कार्यवाही करते हैं?या फिर माइनिंग विभाग खानापूर्ति कर इसको छोड़ देते हैं?या राजनीतिक दबाव में आकर इस क्रेशर वाले को बक्श दिया जाता है?अब तो आगे देखने वाली ही बात होगी? सूत्रों की माने तो महालक्ष्मी क्रेशर का संचालक बंद हो चुके क्रेशरों की रॉयल्टी पर्ची पर खेल खेल कर अवैध कार्य को संचालित कर शासन की आंखों में धूल झोंक रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ विधायक ने विधान सभा सत्र के दौरान इस विषय पर प्रश्न भी उठा चुके हैं कि अवैध खदानो पर क्यों कार्यवाही नहीं हो रही है ? मगर विधायक प्रश्न को ध्यान नही दिया गया क्योंकि इस मामले में मंत्री का नाम सामने आ सकता है।