@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# ….दीपावली का त्योहार नजदीक है। यह त्यौहार जब भी करीब होता है बहुत से कथित फर्जी पत्रकार अचानक बाहर निकल आते है और शासकीय दफ्तरों के साथ जनप्रतिनिधियों के घर का चक्कर लगाते रहते है। जबकी असल पत्रकार जो है वह तो रोज ही समाचार संकलन और अधिकारियों से समाचार सम्बन्धी चर्चा करने जाते है। मगर जब अधिकारियों के चेम्बर में नये नवेले फर्जी पत्रकारों को देखा जाता है तो वह भी दंग रह जाते है। हालांकि यह किस्सा तो हर साल का है। शासकीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी इसे बखूबी समझते है कि कथित फर्जी पत्रकार उनके दफ्तर और घरों तक क्यों आ रहे हैं। दूसरी तरफ इन तथाकथित पत्रकारों के रवैये से स्वछ छवि के पत्रकारों में रोष व्याप्त है। उनकी हरकत की वजह से स्वच्छ छवि वाले मेहनतकश पत्रकारों की छवि पर भी गहरा असर पड़ता है। जिनका कहना है कि जो साल भर कभी कहीं दिखाई नहीं देते अचानक दिवाली के समय कहां से आ जाते है। हालांकि यह वह लोग भी जानते है कि उनका मामला अपनी जेब भरने से जुड़ा हुआ है जो दिवाली के बाद हमेशा की तरह फिर से गायब हो जायेंगे। टूटी कलम
ग्रुप बनाकर पहुंचते हैं –
कुछ जनप्रतिनिधियों अधिकारियों ने बताया कि दिवाली के समय ऐसे लोग भी दिखाई देते है जिन्हें कभी देखा न कभी उनसे बात हुई है। बकायदा ऐसे लोग ग्रुप बनाकर बेधड़क आते है और पत्रकार होने का रौब बताते है। पूरे झुंड का केवल यही एकसूत्रीय कार्यक्रम रहता है अपनी जेब भरना, जिनसे वह लोग भी परेशान हो जाते है। 5000/-₹ से मांगना शुरू करते है। जो धीरे धीरे नीचे उतर कर 200₹ लेकर चले जाते है। अधिकारियों ने बतलाया कि वे पारखी होते है जो पत्रकारो को पूरे शीशे में उतारकर परख लेते है एवं उनके पास जनसम्पर्क विभाग की लिस्ट रहती है। जिनमे से भी वे चिन्हांकित कर परम्परागत तरीके से देने का चलन कायम रखते है। यदि वे सबको देने लगे तो 300 लोगो की लाईन लग जायेगी। टूटी कलम साभार गोल्डी खान