@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम#…जिनकी प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री के हांथो होने जा रहा है। वे अगर आज जिंदा होते तो स्वयं मुख्यमंत्री पद पर आसीन होते। बड़े खेद की बात है कि इस महान सख्श की प्रतिमा को अनावरण करवाने की खातिर कांग्रेसी अति उत्साहित है। मगर इन कांग्रेसियों ने कभी यह जानने का प्रयास भी नही किया कि आखिर नक्सलियों ने किसके कहने पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की लाशें बिछा दी थी. सत्ता तो आनी जानी है मंत्री आने जाने है परन्तु स्व.दिनेश पटेल की प्रतिमा क्यूँ नही लगवाई गई। जबकि वे पुत्रधर्म निभाते हुए नक्सलियों का शिकार बन बैठे थे। वे नंदू भैया के वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी थे।वह प्रश्न देर सबेर जरूर उठेगा टूटी कलम
नंदू हम शर्मिंदा है,तेरे कातिल जिंदा है…उक्त नारे के बाद सहानुभूति की बदौलत नंदू भैया के पुत्र के वोट बंटोरने पर यह ऐहसास होने लगा था कि अब शायद झीरम नर संहार का सच सामने आ जायेगा परन्तु विधायकी मिलते ही सब भुला दिया गया। दूसरी बार के हुए चुनाव में जनता ने विधायक को 20 हजार वोटो से नीचे उतारकर जतला दिया कि वे उनसे नाखुश है। भले ही मंत्री पद नंदू भैया की शहादत के कारण दे दिया गया हो।आगामी चुनाव लगभग कांटे की टक्कर वाला हो सकता है। यदि भाजपा कोई समझौता न कर योग्य प्रत्याशी को मैदान में उतार दे तो,कांग्रेस की परम्परागत समझी जाने वाली सीट पर मतदाताओं का रुझान भाजपा के प्रति बढ़ा है। जिसका एकमात्र कारण ओ पी चौधरी है। जो किसी समय नंदू भैया को वोट दिया करते होंगे।उन्हें भाजपा के अमरू, बिरजू,राजू,रम्मू ने ही जानबूझकर धन खर्च कर चुनाव हरवाया था । टूटी कलम
बहुत बड़ा फर्क है नंदू भैया एवं उनके उत्तराधिकारी में…नंदू भैया समदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। वे नंदेली आने -जाने वाले समथकों एवं विरोधियों का बराबर सम्मान किया करते थे परन्तु अब नंदेली चाटुकारों,दिग्भर्मित करने वालो,फ्लाईएश के ठेकेदारों, क्रेशरों के संचालको के आवागमन से गुलजार रहता है। जहां दिनभर बैठकर दीपक की लौ जलाये रखने के प्रयास को ही विकास समझा जाने लगा है। जिन्हें प्रकाश नायक के समर्थको ने पैर जमाने नही दिए वे आज उमेश के मीडिया मैनेजमेंट संभाल रहे है। जबकि ऐसे लोगो को मीडिया वाले पास फटकने भी नही देते क्यूंकि मीडिया वालों ने इन्हें स्व.रोशनलाल के कमलम मे सेटिंग के लिए जाते देखा है। टूटी कलम
नंदू भैया के समय सब्जी बाजार कभी बंद नही हुआ था…खरसिया के सूत्र बतला रहे है कि मुख्यमंत्री के आगमन के कारण खरसिया का सब्जी बाजार बंद रखने के आदेश दिए गए है जबकि नंदू भैया के मंत्रित्व काल मे बड़े बड़े आयोजन हुए मगर कभी भी गरीबो को तंग नही किया जाता था। नंदू भैया के असली वोट बैंक गरीब,मजदूर,किसान,कुली,कबाड़ी,दिहाड़ी मजदूर,हमाल,रिक्शे वाले आदि थे न कि सेठ,महाजन लोग इसी वजह से नंदू भैया लोगो के दिलो पर राज करते थे। नमन है नंदू भैया को टूटी कलम