✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम…इन दिनों शहर की चारो दिशाओ में अवैध अतिक्रमण को लेकर जोरो पर चर्चा है। लोगो द्वारा सरकारी जमीनों की घेराबंदी कर धड़ाधड़ प्लाट काटे जाने की चर्चा एवँ शिकायत होने के बाद राजस्व अगला सक्रिय हो गया एवँ एस डी एम ने बगैर उनके हस्ताक्षर पर जमीनों के नामांतरण,सीमांकन पर रोक लगा दी शहर की सीमा से सटे,सांगीतराई,ट्रांसपोर्ट नगर,कौहाकुंडा, अमलीभौना,छोटे अतरमुड़ा,बड़े अतरमुड़ा,पंडरीपानी,रामपुर आदि क्षेत्रों की भूमि की जमीनों की खरीदी,बिक्री करने एवं चौहद्दी बगैर अनुविभागीय अधिकारी के हस्ताक्षर के जारी करने पर रोक लगा दी। टूटी कलम

सबसे बड़ा सवाल…कोटवारों को जीवन यापन के लिए सरकारी जमीने उपलब्ध करवाई गई थी। जो कि अधिकांश टिकरा रूपी है। यदि इन जमीनों पर कोटवार द्वारा स्वयं के खर्चे से होटल,ढाबा आदि बनाकर जीवन यापन किया जाता है या किसी अन्य को किराये पर देकर अपना एवं अपने परिवार का पेट पालने का उपक्रम किया जाये तो उसकी भी अनुमति रहती है। संभवतया ऐसी स्थिति में आसपास संचालित व्यवसाइयों को नुकसान न हो इसलिए लिखित शिकायते करवाई जाती है ताकि निर्माणकर्ता कानूनी पचड़े में फंसे रहे। कोटवार को इतना पारिश्रमिक भी नही मिलता की अपनी तनख्वाह से परिवार का पालन पोषण बच्चों की शिक्षा दीक्षा अच्छे तरीके से कर सके। टूटी कलम
2 गज जमीन ही काफी होती है जीवन मे…यदि आत्ममंथन कर सोचा जाए तो ताजीवन सरकारी, गैर सरकारी जमीनों को घेरकर बेचने का व्यवसाय करने वालो को अंततः 2 गज सरकारी जमीन ही मयस्सर होती है। उसका अंतिम पड़ाव भी सरकारी जमीन ही होती है। टूटी कलम
नगर निगम,पालिका,पंचायत के द्वारा करवाये गए या जा रहे निर्माण भी अवैध माने जाने चाहिए ? जन सुविधाओं के लिए सरकारी जमीनों पर बना कर लाखो रुपये की बोली में बेचे जानी वाली दुकाने,अस्पताल,स्कूल,कालेजो,मंगल भवन,सामुदायिक भवन,मणी कंचन केंद्रों आदि का भी विरोध किया जाना चाहिए क्यूंकि उक्त निर्माण भी सरकारी जमीनों पर अवैध माने जाने चाहिए। इनका भी विरोध कर दावा आपत्ति लगाई जानी चाहिए की इन निर्माणों से क्षेत्र वासियो को मुसीबतों से गुजरना पड़ सकता है। टूटी कलम