✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़. जिले में निजी स्कूलों के कुछ संचालकों द्वारा शिक्षा के नाम पर न केवल व्यवसाय किया जा रहा है बल्कि बच्चों के पालकों को भी दिग्भ्रमित करके स्कूल में प्रवेश देकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एक मामला जिले में वैदिक स्कूल का सामने आया है जिसके संचालक को अभी तक रायगढ़ जिले में स्कूल संचालन की नियमानुसार अनुमति तक नही मिली है बावजूद इसके लाखों रूपये प्रचार प्रसार खर्च करके पालकों को अच्छी शिक्षा व अच्छी स्कूल बताकर अपनी ओर आकर्षित करने की भी कवायद जारी है। जबकि जिस वैदिक स्कूल का संचालन एरिसेंट स्कूल की जगह होना बताया जा रहा है। वहां आज भी एरिसेंट स्कूल का संचालन शिक्षा विभाग के पास है और दूर दूर तक वैदिक नाम की कोई भी अनुमति विभाग के पास नही है बावजूद इसके वैदिक स्कूल के संचालक द्वारा जिले के लोगों को भ्रमित करके लगातार अपना प्रचार प्रसार करते हुए अनुमति मिलने का झूठा दुष्प्रचार किया जा रहा है। टूटी कलम
शहर के सभी चौक चौराहों,सार्वजनिक स्थलों,सभी क्षेत्रों, दिशाओं में लगे बड़े बड़े होर्डिंग्स जिस पर स्कूल का रजिस्ट्रेशन नम्बर भी न होना मानो आला अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों,मंत्री को मुंह चिढ़ा रहे है।सरपट दौड़ती वैदिक लिखे स्कूल बसों को रोकने का साहस कोई नही जुटा पा रहा है। डिस्क केबल वालो के एंकर की टेबल पर वैदिक स्कूल लिखे ऐप्पल कम्पनी के लेपटॉप खामोश रहकर भी बहुत कुछ कहानी बयां कर देते है। सुनाई में आता है कि मीडिया मैनेजमेंट के पीछे स्कूल प्रबंधन के द्वारा लाखो रुपये खर्च कर नगद नारायण एवँ गिफ्ट बांटे जाते है। बगैर मान्यता मिले स्कूल का इतना व्यापक प्रचार प्रसार बगैर तिजोरी का मुंह खोले संभव नही है। कहीं धन काम कर जाता है तो कहीं आपसी रिश्तेदारी निकल पड़ती है। सुनाई में यह भी आ रहा है कि पूरे मीडिया मैनेजमेंट का प्रभार किसी स्थानीय केबल वालो को देकर हर्ष व्यक्त किया जा रहा है एवँ बहुत ही सुशील तरीके से स्कूल का व्यवसाय आगे बढ़ाया जा रहा है।
जानकार सूत्रों के अनुसार वैदिक स्कूल का संचालक ओडिसा से रायगढ़ जिले में शिक्षा का व्यवसाय करने अपने रिश्तेदारों को हर्षित करने के लिए सुशील तरीके से पहुंचा है और यहां सभी नियमों का ताक में रखकर सारंगढ़ रोड़ स्थित पटेलपाली में एरिसेंट स्कूल का परिसर खरीदकर वहां ओडिसा से मिली वैदिक स्कूल की अनुमति की आड में स्कूल का संचालन करने का जोर शोर से प्रचार कर रहा है। जबकि शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक वैदिक स्कूल के नाम से अनुमति तक नही मिली है। यहां यह बताना लाजमी होगी कि जिले में कुछ स्कूल संचालक अपने ही तरीके से निजी स्कूल संचालन करते हुए लाखों की कमाई अर्जित कर रहे हैं और नियमों को ताक में रखकर नियमों का बच्चों की पढ़ाई के नाम पर ब्लैकमेल करने में लगे हैं। वैदिक स्कूल के संचालक द्वारा भी एरिसेंट स्कूल का खरीदने के बाद एक के बाद एक नियम का उल्लंघन किया जा रहा है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा मात्र एक नोटिस देकर अनुमति संबंधी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिये है। इस मामले से माननीय न्यायालय को अवगत करवाकर। बच्चो के भविष्य के लिए लड़ाई भी लड़ी जायेगी। टूटी कलम
क्या कहते हैं जिले के शिक्षा अधिकारी
इस संबंध में हमने जिले के शिक्षा अधिकारी आरपी आदित्य से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि वैदिक स्कूल की मान्यता का मामला बिलासपुर से होना है और उनके कार्यालय में अभी तक वैदिक स्कूल की मान्यता मिलने की जानकारी नही है और जिस जगह इस स्कूल का संचालन होना बताया जा रहा है वहां एरिसेंट स्कूल के नाम से ही भर्ती हो रही है। अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी। टूटी कलम