✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़….इन दिनों पैरविकारो के द्वारा राजस्व न्यायालय का बहिष्कार कर कभी ना खत्म होने वाले भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध अपनी ऊर्जा व्यर्थ की जा रही है। एक अन्य माम्मले में वकीलों के द्वारा “अमित पांडेय” नाम के सख्स की जमानत आवेदन पर पैरवी करने से इंकार कर इस बात की ओर इंगित कर प्रश्न खड़ा कर दिया कि वकीलो की मर्जी होगी तो मुकदमा लड़ेंगे और मर्जी नही हुई तो पूरा संघ लामबंद हो जाएगा। जब वकीलों के द्वारा यह कदम उठाया जा सकता है तो पुलिस,डाक्टर, प्रशासन आदि के द्वारा इस तरह के कदम उठाने पर विरोध के स्वर मुखर नही होने चाहिए। प्रदेश के 29 जिलो,हाईकोर्ट के वकील आकर यदि पैरवी करे या कोई स्थानीय वकील रिश्तेदारी,भाई चार, दोस्ती,यारी बतलाकर पैरवी करे गा तो क्या संघ क्या करेगा ? माना कि अधिवक्ता संघ के मेंबर पैरवी नही करेंगे मगर जब अन्य जो संघ का मेम्बर न हो और वकालत की डिग्री लेकर दुकान,उद्योग,ठेला लगाकर,पत्रकारिता अन्य कोई व्यवसाय करता हो और वह अपने वकालत पास करने की डिग्री न्यायालय में पेश कर पैरवी करना चाहे तो क्या न्यायलय उसे इजाजत नही देगा। खेलो में एक्स्ट्रा प्लेयर को भी कभी कभार खेलने का मौका मिल जाता है। टूटी कलम
इंदिरा गांधी,राजीव गांधी,के हत्यारों,अफजल,कसाब आदि दुर्दांत,खूंखार आतंकवादियों की ओर से क्या बचाव पक्ष के लिए क्या वकीलों ने बहिष्कार किया था। राज्य द्रोहियों,देश द्रोहियों के बचाव के लिए क्या वकील खड़े नही होते है। टूटी कलम
यदि पुलिस हत्या,डकैती,बलात्कार,अपहरण आदि मामलों की विवेचना करने से इंकार कर दे तब….यदि पुलिस के द्वारा घटनाओं,दुर्घटनाओं आदि पर विवेचना करने से इंकार कर दिया जाये या अपराधियो के खिलाफ जमानती धराये लगा दी जाये तब पूरा मनुष्य समाज पुलिस की खिलाफ करने पर उतारू होकर अपने अपने ज्ञान बघारने लग जाता है और पुलिस की सेटिंग होने की बातें कहने लग जाता है। जमानतीय धराये लगा देने पर बचाव पक्ष करने के लिए वकीलों को फीस भी बच जायेगी। विपक्ष के वकीलों की पूछ परख इसलिए कम हो जायेगी क्योंकि पुलिस ने अपराधियो पर जमानतीय धराये लगाकर मामले की कायमी की जाएगी। पुलिस के ऊपर पूरा निर्भर करता है कि किस धारा की कायमी कर मजबूती से केस डायरी आगे बढ़ाएं। तो अमित पांडेय के मामले में लोग फांसी की सजा दिलवाने पर उतारू है या उसकी पैरवी करने से इंकार कर रहे है टूटी कलम
डॉक्टर इलाज करने से इंकार कर दे तब….इसी तरह यदि भगवान का रूप कहलाने वाले डॉक्टर यदि गंभीर रोगों के रोगियों के ईलाज या घटना दुर्घटना में मौत हो चुके मृतकों के पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दे तब स्थिति विस्फोटक बना दी जाती है। कई मामलों में डाक्टरो को दोषी मानते हुए स्वास्थ्य कर्मियों से मारपीट कर अड़पटालो में तोड़फोड़,आगजनी,जैसी घटनाओं को अंजाम क्यो दिया जाता है। स्वाभाविक मृत्यु का कारण भी डाक्टरो को मानकर दोषारोपण कर दिया जाता है इतनी घटनाएं होने के बावजूद डाक्टरो की यूनियन ने पोस्टमार्टम करने,गम्भीर बीमारियों से ग्रसित लोगो का इलाज करने से इंकार नही करते अपितु उसकी सहायता कर रिफर कर देते है तो वकील क्यो नही बतलाते की मैं यह केस नही लड़ सकता फलां या कोई अन्य वकील के पास चले जाओ। टूटी कलम
सफाई व्यवस्था चौपट कर दी जाए तब…..शहरों की साफ सफाई करने से यदि सफाई कर्मचारी इंकार कर दे तब पूरा शहर 1 माह के भीतर गंदगी से पट जाएगा। मगर ये लोग भी जन तकलीफों से सरोकार रखते है और अपने पेशे पर ध्यान रखते है। यदि ये लोग साफ सफाई न करे तो जनता इनका कुछ भी नही बिगाड़ सकती। इसी तरह यदि बिजली गुल हो जाने पर विद्युत कर्मचारी विद्युत व्यवस्था बहाल करने से पीछे हटकर अपने हांथ खड़े कर दे तब क्या होगा। टूटी कलम
मनुष्यो को जीवित रहने के लिए अलग अलग तरह की व्यवस्था है और सबके अपने अपने फर्ज होते है।यदि कोई अपने फर्ज से पीछे हट जाये तो उसकी भी व्यवस्था कानून का सहारा लेने की है मगर जब कोई कानून व्यवस्था से पीछे हट जाए तब इंसान किस पर विश्वास कर सकेगा। टूटी कलम
