🏹 टिल्लू शर्मा 🖋️ टूटी कलम रायगढ़ तेजी से पैर पसार रहे वेब पोर्टलो की वजह से इलेक्ट्रॉनिक चैनल वालों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसी भी नेता, अधिकारी आदि के द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता के उपरांत बाइट, वर्जन लेने की आपाधापी सी मच जाती है। टॉकीज की टिकट कटवाने के लिए जिस तरह से एक लोग के ऊपर एक लदे से दिखलाई देते हैं। कुछ इसी तरह का दृश्य भी प्रेस वार्ता के उपरांत देखने को मिल जाता है। इस आपाधापी के कारण वाइट या वर्जन देने वाले के भी पसीने छूट जाते हैं क्योंकि सैलरी पर रखे गए कम हाइट वाले युवकों के द्वारा माईक आईडी सामने वाले के मुंह तक में डालने का प्रयास किया जाता है । इस वजह से कई बार तू तू मैं मैं की भी स्थिति निर्मित सी हो जाती है। जिसे सुनकर , देखकर बाइट देने वाले के मन में भी मीडिया के प्रति क्या भावना उत्पन्न होती होगी यह समझा जा सकता है। प्रायः यह देखा गया है कि जिन माइको में तार नहीं लगे होते हैं या ब्लूटूथ से अटैच नहीं होते हैं । जो महज अपनी धाक जमाने के लिए ही उपयोग किए जाते हैं। वह सबसे ऊपर एवं आगे दिखलाई पड़ते हैं। यदि यह कंपलसरी कर दिया जाए कि जो जो माइक आईडी प्रेस वार्ता के दौरान लगाए गए हैं उनके द्वारा समाचारों की कटिंग संबंधितो को भेजनी होगी तो हो सकता है कि आधे से अधिक माइक आईडी रखने की जगह साफ-सुथरी हो सकेगी।
आने वाले समय में फोटो के अनुसार माइक लगाने के स्टैंड प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टेबलो पर लगाए जाएंगे एवं उनमें केवल वही माइक आईडी लगाई जाएगी जो तार से या ब्लूटूथ से मोबाइल ,कैमरे से कनेक्टेड होंगे । इस तरह की व्यवस्था मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रेस वार्ता के दौरान देखने को मिली थी। होना भी यही चाहिए कि टेबलो के किनारे माइक स्टैंड लगे रहने चाहिए एवं मीडिया कर्मी दूर बैठकर अपने प्रश्न विपिन नाम से पूछ सके एवं सामने वाला भी इत्मीनान से अपना जवाब दे सके । जिससे प्रेस एवं पत्रकार की भी गरिमा कायम रह सके।