💣 टिल्लू शर्मा ✍️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़…. विकसित होते रायगढ़ शहर का मास्टर प्लान किसी दबंग एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के आगमन की बाट जोह रहा है. वर्तमान में शहर की बदली हुई तस्वीर पूर्व कलेक्टर अमित कटारिया के बुलंद हौसलों की वजह से दिखलाई पड़ती है. कलेक्टर अमित कटारिया के तबादले के बाद मुकेश गोयल कलेक्टर ने अमित कटारिया के द्वारा किए गए विकास कार्यों को शुरू रखा था. इन दोनों कलेक्टरों के कारण रायगढ़ शहर की तस्वीर आज कुछ सुंदर सी दिखलाई पड़ती है. अमित कटारिया ने शहर के विकास को अगले 10 वर्षों का रूप दिया था. सन 2020 में शहर का मास्टर प्लान नया बनकर तैयार हो जाना चाहिए था. जिस पर विकास कार्य शुरू कर 2030 तक के लिए शहर का विकास कार्य किया जाना है परंतु वर्तमान अधिकारियों को शहर के विकास से एवं सिकुड़ती सड़कों,बढ़ते यातायात के दबाव से कोई सरोकार नहीं है. अधिकारी स्थानांतरण होकर आने के रायगढ़ जिले की कमान अवश्य संभालते हैं किंतु शायद उनकी यह सोच रहती होगी कि उन्हें रायगढ़ में डेढ़ दो साल से ज्यादा तो रहना ही नहीं है तो काहे की सिरदर्दी मोल लेकर जनता का आक्रोश झेला जाए और ऊपरी दबाव के तले कार्य किया जाए.
रायगढ़ नगर पालिका निगम अपनी तरफ से शहर के मार्गों पर अस्थाई रूप से अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को अपने पूरे लाव लश्कर के साथ 1 दिन पूर्व मुनादी करवाने के बाद बेजा कब्जा हटाने निगम के दूसरे एवं तीसरे पायदान के अधिकारी कुछ कोशिशें अवश्य करते हैं परंतु कभी निगम के पार्षद, तो कभी एमआईसी सदस्य,तो कभी विधायक,तो कभी विपक्ष भाजपा के पदाधिकारी निगम के अधिकारियों की भरे बाजार आम जनता के सामने इतनी अधिक बेज्जती कर देते हैं कि निगम के अधिकारियों को खून का घूंट पीकर रह जाना पड़ता है और अपनी कार्रवाई रोक देनी पड़ती है। निगम के उपायुक्त, इंजीनियर, सब इंजीनियर,राजस्व विभाग,तोडू दस्ता, के कर्मचारियों ने प्रत्येक शुक्रवार को अपनी घनघोर बेज्जती करवाने में शामिल कर लिया है इन पर अब किसी भी तरह की बेज्जती का कोई असर नहीं होता है और निगम का तोड़ू अमला अपनी झेंप मिटाते हुए वापस निगम चला जाता है.
जिला चिकित्सालय के केलो द्वार के सामने संजीवनी परिसर की बाउंड्री वॉल के किनारे तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा पौधारोपण किया गया था ताकि भविष्य में यहां पर अतिक्रमण किए जाने की संभावनाएं खत्म हो जाएगी परंतु इन दिनों यह देखा जा रहा है कि उक्त बाउंड्री वॉल के किनारे पुनः बेजा कब्जा पैर पसारने लगा है एवं तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा लगाए गए पौधे अपनी स्वतंत्रता का इंतजार कर रहे हैं.
निगम के अधिकारियों कर्मचारियों को बेज्जती सहना पड़े इसका सबसे सुलभ उपाय यह है कि इनके द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को सड़कों के किनारे खड़े हुए कंडम वाहनों को हाइड्रा,क्रेन,जेसीबी आदि मशीनों की मदद से उठवा कार जब्ती करते हुए निगम के मैदान में लाकर पटक देना चाहिए और वाहन स्वामियों पर मोटे जुर्माने की कार्रवाई करनी चाहिए. निगम के द्वारा यदि इस तरह का अतिक्रमण हटाना शुरू किया जाएगा तो व्यापक जनसमर्थन निश्चित रूप से मिलेगा.