रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002
🎤टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ … ब्राह्मणों में एकता की कमी की वजह से उन्हें बहुत कमजोर दीन दुखी की दृष्टि से देखा जाता है और लोगों के द्वारा संस्कार, पूजा, पाठ, कथा, भागवत ज्ञान, जन्म संस्कार, कर्मकांड, शादी, यज्ञ, आदि सभी मांगलिक एवं दुख भरे कार्य संपन्न करवाने वाले ब्राह्मणों को हेय दृष्टि से देखा जाता है. यदि ब्राह्मण के द्वारा उक्त कार्य न करवाए जाएं तो लोगो को उतना फल आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता. जितने की उम्मीद यजमान के द्वारा की जाती है. शादी पार्टी पर रशुख ,दिखावे के लिए लाखो रुपए फूंकने वाले के रस्म अदायगी,फेरे विदाई करवाने वाले करोड़पति कहलाने वालों की असलियत ब्राम्हण को मेहनताना देते समय मालूम चल जाती है. रात भर जाग कर फेरे करवाने वाले पंडित को बाहर से आए वेटरों से भी कम रुपए काफी डराने धमकाने सुनाने के बाद दिए जाते है. जिसके विपरीत परिणाम जल्द सामने आने लगते हैं.
ब्राह्मणों को सभी पूजा, पाठ, मांगलिक कार्य, क्रियाकर्म,जन्म, मृत्यु, जन्म कुंडली आदि सभी के मूल्य निर्धारित कर देने चाहिए एवं कम लेने ब्राह्मण का समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए.
(1) सत्यनारायण कथा,रुद्राभिषेक, नवग्रह शांति पाठ, आदि पूजा कथा के 5100 ₹ और भोजन, ब्रांडेड वस्त्र. (2) पितृ पक्ष का भोजन 501 ₹ ब्रांडेड वस्त्र ) ( 3) 9 दिन दुर्गा पूजा,विसर्जन 11,000 ₹ भोजन ब्रांडेड वस्त्र (4) सगाई से लेकर फेरे, विदाई तक का 51,000 ₹ भोजन,ब्रांडेड वस्त्र (5) क्रिया कर्म,पिंड दान का 7100 ₹ (6) गरुड़ पुराण वाचन,बिदाई 11,000 ₹ (7) धनतेरस,लक्ष्मी पूजन 11,000 ₹ (8) दुकान उद्घाटन,गृह प्रवेश पूजा 11,000 ₹ भोजन,ब्रांडेड वस्त्र (9) जन्म कुंडली 5100 ₹ (10) इस तरह से ब्राम्हण सूची बनाए ताकि दिन हीन न कहलाया जाए और न शर्मिंदगी महसूस हो सके.
एक वृतांत पढ़िए… एक बहुत बड़ा धन कुबेर था उसकी माता अंधी थी एक रोज वह अपने पुत्र से कहती है. बेटा मैंने सुना है कि तुम बहुत पैसा कमा लिया हो परंतु मैं देख नहीं सकती. तब पुत्र ने अपने कमरे में नगद रुपए सोना चांदी जेवर इकट्ठे करके रख दिए और अपनी माता को ले जाकर उन सब को स्पर्श करवाया. फिर ब्राह्मण को दान देने का मन बनाया. ब्राह्मण के रूप में मुझे बुलाया गया और वह सारा धन जेवर मुझे इसलिए दे दिया कि उसकी मां ने उन सब कुछ हुआ था. सेठ ने वहां सारा धन मुझे दे दिया और देने के बाद उसके मुंह से निकल गया की पंडित आज तक तुमने मुझसे बड़ा दानी नहीं देखा होगा. उसके मुंह से निकला हुआ शब्द मुझे तीर के सामान लगा और मैं भी धोती खोल कर उसे धन पर पेशाब कर दिया और कहा कि सेठ तुमने भी आज तक मेरे जैसा त्यागी नहीं देखा होगा और यह बोलकर मैं चल पड़ा. सेठ मेरे पैरों में गिरकर माफी मांगने लगा. मेरे अंदर ब्राह्मण खून दौड़ रहा था. इसलिए मैंने सेठ को हटाते हुए अपनी राह पकड़ ली. ब्राह्मण को मुझ जैसा बनना पड़ेगा तभी समाज में इज्जत होगी. वरना आजीवन सेठों के तलवे चाटते रहने पड़ेंगे. जय विप्र,जय परशुराम, जय लंकेश,जय चाणक्य,






