पूरा विश्व पिछले 2 माह से कोरोना संक्रमण महामारी से जूझ रहा है भारत में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और आज की तारीख में संक्रमित लोगों की संख्या एक लाख से ऊपर हो चुकी है। जो कि आने वाले समय में द्रुतगति से बढ़ेगी इसकी असीम संभावनाएं है। वर्तमान में प्रतिदिन 5000 के आसपास नए रोगी सामने आ रहे हैं परंतु जैसे जैसे लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है वैसे-वैसे केंद्र सरकार लाक डाउन पर अपनी पकड़ ढीली कर छूट देते जा रही है। जिसके गंभीर परिणाम आने वाले समय में शायद जनता को भुगतना पड़ सकता है। जब तक देश में रेल सेवा एवं परिवहन सेवा, ट्रांसपोर्टिंग आदि पर नियंत्रण रखा गया था तब तक कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या पर अंकुश लग गया था परंतु केंद्र सरकार ने मजदूरों एवं श्रमिकों के लिए जो ट्रेनें है चलाई जा रही है ।वह सबसे बड़ा कारण होगा की देश में चारों ओर महामारी फैल जाने का। लॉक डाउन में छूट मिलते ही श्रमिक एवं मजदूर जिस संख्या में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश जा रहे हैं उसको देखकर नहीं लगता कि देश का कोई भी प्रदेश अब कोरोना से अछूता रह पाएगा। यह सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी है कि देश के जिन प्रदेशों में कोरोनावायरस का प्रकोप है वहां के मजदूरों को भी अपने अपने प्रदेश में भेजने की व्यवस्था की जा रही है । जिसके दूरगामी परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं क्योंकि जिन मजदूरों को उनके प्रदेश,ग्रह ग्राम में पहुंचाने की जो शुरुआत की गई है वह बहुत ही कम समय में सोच समझ कर लिया गया निर्णय हो सकता है । क्योंकि सरकार के नियमानुसार सामान्य आदमी को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तो क्या दूसरे जिले में भी जाने के लिए ईपास बनवाना पड़ता है। किंतु फिलहाल जो मजदूर अपने-अपने प्रदेश में लौट रहे हैं उनको बगैर रैपिड जांच करें बसों में ट्रेनों में रवाना कर उनके घर भेजे जा रहे हैं अपने-अपने प्रदेश लौट रहे मरीजों की पूर्व में कोरोना संक्रमण की जांच नहीं की जा रही है। इन श्रमिकों के बीच में कौन-कौन कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति भी बैठकर साथ में आ रहे हैं जिससे सब अनजान रहते है। संपूर्ण देश एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश में रायगढ़ जिला ही एक ऐसा जिला था जोकि औद्योगिक नगर होने के बाद भी यहां कोरोना का एक भी मरीज नहीं पाया गया। इसे हम जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का सकारात्मक कार्य कह सकते हैं। जिला कलेक्टर यशवंत कुमार जिला पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह की कार्यशैली की ही वजह है जिसके कारण रायगढ़ जिला कोरोनावायरस के संक्रमण से अछूता रहा। जिसमें पुलिस प्रशासन की कड़ी कार्यशैली सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई ।पुलिस विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक चौबीसों घंटे चौक चौराहों पर गांव गांव में जिले की सीमाओं पर अपनी तीखी नजरें रखे हुए थे। जिले के सभी थानेदार अपने अपने थाना क्षेत्रों में अपना कार्य मुस्तैदी से कर लोगों को समझाइश के साथ हिदायत भी दे रहे थे। साथ ही सख्ती से लाकडाउन का पालन भी करवाया जा रहा था। पिछले दो माह में पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह जिला अध्यक्ष यशवंत कुमार सिंह ने जिले की सभी सीमाओं पर जाकर वहां पर चौकसी रखने के लिए मजबूत व्यवस्था की थी एवं बेरीकेटस आदि लगाकर पुलिस जवानों की नियुक्तियां भी की थी। पुलिस की इस कार्यशैली के परिणाम स्वरूप जिले में तस्करी के जरिये आने वाले मादक पदार्थों जैसे कि गांजा, शराब, तंबाकू, पान मसाले, बीड़ी, सिगरेट आदि का ग्राफ लगभग जीरो हो गया था। आपराधिक मामलों ने खामोशी की चादर ओढ़ ली थी। प्रत्येक चौक चौराहों पर पुलिस बल के साथ नगर सैनिक, महिला पुलिस, यातायात के सिपाही, अधिकारियों के अधीनस्थ कड़ी करवाई करते रहते थे। जिसकी वजह से लोग बेइज्जत होने की अपेक्षा अपने अपने घरों में रहने में ही भलाई समझते थे। जरूरत के सामानों के लिए सुबह 5:00 से 9:00 बजे तक का जो समय दिया गया था बाजार खुलने का वह वाकई आम जनता को पसंद आया एवं दुकानदार के साथ आम नागरिक भी इतने समय में ही अपने सारे काम निपटा कर घर जाकर अपने परिवार वालों के साथ पूरा समय पढ़ने पढ़ाने खेलने टीवी देखने में ही बिताया करते थे। अति उत्साही पुरुष वर्ग घर पर बैठे-बैठे पाक कला में निपुण होने लगे थे। वे प्रतिदिन अपने परिवार वालों को भाती भाती के व्यंजन बनाकर खिलाया करते थे। जैसे-जैसे लॉक डाउन में ढील दी जाने लगी वैसे वैसे बाजार में भीड़ का रेला उमड़ने लगा सोशल डिस्टेंसिंग नाम की चीज ही नहीं रही एवं तफरीह करने वालों पर कोई लगाम ना रही लोग बेवजह बे काम के बाजारों में घूम रहे हैं एवं बगैर मास्क के कहीं भी आना जाना कर रहे हैं। निगम द्वारा मास्क ना पहनने वालों पर जुर्माना कीये जाने का जो नियम बनाया था वह कब का धाराशाई होकर दराजो में बंद हो गया है।
जिले में उस समय हड़कंप मच गया एवं अफरा-तफरी की स्थिति निर्मित हो गई जब यह खबर आग की तरह फैली की ग्रीन जोन अवार्ड प्राप्त रायगढ़ जिले में भी कोरोना संक्रमित श्रमिकों की आवक हो चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कमाने खाने गए लैलूंगा क्षेत्र के श्रमिको जब वापस उनके गृह ग्राम भेजे गए तो उन्हें ग्राम सोनाजोर एवं तोलगे के क्वॉरेंटाइन सेंटरो में रखा गया था। उनके ब्लड सैंपल जांच हेतु एम्स रायपुर भेजे गए थे । जिनमें से दो लोगों का ब्लड सैंपल कोरोना पॉजिटिव पाया गया। साथ ही जिले में वापस लौटे अन्य श्रमिकों के ब्लड सैंपलो की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। जब जिले में वापस लौटे सभी श्रमिकों की रिपोर्ट आएगी तब यह तय हो सकेगा की रायगढ़ जिले में कितने कोरोना संक्रमित लोगों की आवक हो चुकी है।
रायपुर से मिले आदेश के कारण पुलिस प्रशासन का रवैया नगण्य हो गया एवं वाहनों की जांच, बेवजह घूमने वालों को सजा आदि पर पाबंदी लगाना शहर के लिए बहुत भारी पड़ने लगा है। शहर में सुबह से उमड़ रही भीड़ कहीं न कहीं,कभी भी कोरोनावायरस के शहर में आगमन के लिए अशुभ संकेत हो सकता है। साथ ही शाम होते ही सड़कों पर, गलियों पर, कालोनियों, में जिस तरह से लोग समूह बनाकर इवनिंग वॉक कर रहे हैं। इसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। शहर की कपड़ा दुकानों में सरेआम सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ती धज्जियां आसानी से देखी जा सकती है। लोगों के वाहन खड़ी करने के तौर-तरीके भी बदल चुके हैं। जिसका कारण यातायात विभाग की कारवाही शून्य हो जाना है। पुलिस विभाग एवं यातायात अमला आखिर करे तो क्या करें क्योंकि ऊपर से हर तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई है । न तो पुलिस किसी को समझा दे सकती है, ना सजा के तौर पर उठक बैठक दंड बैठक लगवा सकती है, और ना ही यातायात विभाग किसी भी वाहन का चालान एवं तालाबंदी कर सकता है। जिसके कारण लोग उद्दंडता करने लगे है।
लगातार 2 माह से पुलिस प्रशासन कोल्हू का बैल बन कर रह गया है। सारी जिम्मेदारियां पुलिस विभाग के मत्थे मढ़ दी गई है। बाजार खुलवाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने, मास्क पहने के लिए प्रेरित करने, वाहन व्यवस्थित तरीके से खड़ी करवाने, निर्धारित समय पर दुकानों को बंद करवाने, बेसहारा गरीब लोगों को भोजन बांटने, संदिग्ध लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंचाने, जिले की सीमाओं पर चौकसी रखने, प्रवासी मजदूरों को भोजन आदि करवा कर वाहन की व्यवस्था कर उनके ग्रह ग्राम भिजवाने, अवैध शराब, गांजा, तंबाकू, बीड़ी, गुड़ाखू,सिगरेट, पान मसाले, आदि की तस्करी रोकने, दैनिक रात्रि कालीन पेट्रोलिंग, सुबह 4:00 बजे उठकर पटेलपाली की थोक सब्जी मंडी को नियंत्रित करना आदि तमाम तरह के कार्य इकलौता पुलिस प्रशासन ही कर रहा है ।जबकि आबकारी विभाग, खाद्य विभाग, औषधि विभाग, परिवहन विभाग,आदि विभागों के कर्मचारी चैन की बंसी बजाते हुए अपने अपने घरों में या फिर वातानुकूलित दफ्तरों में कुर्सियां तोड़ते, गप्पे मारते, हंसी ठिठोली, करते आसानी से देखे जा सकते हैं। जबकि गृह प्रशासन धूप में तपते,लू के थपेड़े खाते,पसीने से तरबतर,अपना कार्य मुस्तैदी से करते चौक चौराहों पर डटे रहते है।महिला पुलिस कर्मी अपने अपने बच्चों को घर मे छोड़कर ड्यूटी निभाती देखी जा सकती है।