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🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़… रायगढ़ जिले में अगर राजनीति की बात करें तो कद्दावर नेताओं की गिनती में विजय अग्रवाल का नाम प्रथम पायदान पर आता है. विजय अग्रवाल एक ऐसा नाम है वे जिसकी तरफ खड़े हो जाते हैं उसका पलड़ा भारी हो जाता है. भले ही सन 2018 के विधानसभा चुनाव में वे हार गए थे और उनकी हार का सबसे बड़ा कारण भाजपा के द्वारा उन्हें चुनाव चिन्ह कमल नहीं देना था. मगर विजय अग्रवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टीवी छाप चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़कर लगभग 50,000 वोट पाए थे जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी स्वर्गीय रोशन लाल को हर का सामना करना पड़ा था और रायगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रकाश नायक चुनाव जीत गए थे. इसके बाद भाजपा ने विजय अग्रवाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया था परंतु 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें घर वापसी करवा दी थी. जिसका परिणाम यह हुआ कि रायगढ़ विधानसभा के प्रत्याशी के रूप में ओपी चौधरी ने चुनाव लड़ा था और चुनाव संचालक विजय अग्रवाल को बनाया गया था. अपनी हारी हुई खरसिया सीट छोड़कर रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर ओपी चौधरी ने रिकार्ड तोड़ मतों से जीत हासिल करते हुए. कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक को धूल चटा दी थी. जिसका पूरा श्रेय एकमात्र विजय अग्रवाल को जाता है. पूरे चुनाव के दौरान ओ पी फैक्टर से ज्यादा विजय अग्रवाल का फैक्टर काम किया. रायगढ़ के मतदाताओं में आप को लेकर पैराशूट प्रत्याशी की छवि थी. लोगों के मन में सवाल था की कॉपी अपनी परंपरागत सीट खरसिया विधानसभा छोड़कर रायगढ़ से क्यों लड़ रहे हैं मगर जब विजय अग्रवाल ने चुनाव की कमान संभाली तो लोगों के सारे प्रश्न हवा में उड़ गए.
जिस तरह से राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस एवं भाजपा के परंपरागत वोट होते हैं इस तरह से रायगढ़ विधानसभा में विजय अग्रवाल के परंपरागत वोट हो चुके हैं विजय अग्रवाल किसी गधे को भी चुनाव में खड़े कर देंगे और समर्थन दे देंगे तो वह गधा भी 50 , 60 हजार वोट निश्चित रूप से पा जाएगा. रायगढ़ विधानसभा में विजय अग्रवाल की छवि एक किंग मेकर की बन चुकी है भविष्य में जिसे भी चुनाव जीतना होगा उसे विजय अग्रवाल का आशीर्वाद प्राप्त करना होगा.
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राधेश्याम राठिया की सुनिश्चित जीत मानी जा रही है क्योंकि उन्होंने विजय अग्रवाल का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया है और वह विजय अग्रवाल को साथ लेकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. विजय अग्रवाल प्रदेश स्तर पर एक जाना पहचाना नाम और ब्रांड एंबेसडर बन चुके हैं. सारंगढ़ से लेकर जशपुर तक विजय अग्रवाल लगभग सभी कार्यकर्ताओं पदाधिकारी सरपंचों पंचों को नाम से जानते पहचानते हैं. जो एक कद्दावर नेता की पहचान होती है. सारंगढ़ रायगढ़ जशपुर तीनों जिले के किसी भी मतदान केंद्र से कांग्रेस को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिलेगा. मेनका देवी सिंह के गृह नगर सारंगढ़ से भी भाजपा को लीड मिलने की संभावना बतलाई जा रही है. 30 साल तक कांग्रेस की राजनीति से दूर रहकर एवं आम जनों से दूरी बनाकर रहने की वजह से लोगों ने सारंगढ़ गिरी विलास पैलेस के सदस्यों को भूल चुके हैं. अब स्वर्गीय इंदिरा गांधी स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम पर वोट देने वालों की संख्या भी लुप्त हो चुकी है. नए मतदाताओं का रुझान केवल नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की तरफ है. चुनाव परिणाम के बाद मालूम होगा कि मेनका सिंह है पार्टी से दूर रहने पर कितना कुछ खोया है. मेनका सिंह की हार ऐतिहासिक रूप से होगी. यह राजनीति के धुरंधरों का मानना है. अब वह जमाना चला गया. जब कांग्रेस की टिकट से कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा भी चुनाव जीत जाया करता था. अब तो मतदाता केवल एक ही सवाल करेंगे.
“जनता पूछे एक सवाल कहां थी मेनका इसने साल”………