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🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…. छत्तीसगढ़ राज्य के सभी थानों में पुलिस बल की भारी कमी देखी जा रही है. जिस वजह से अपराधियों के लिए छत्तीसगढ़ सबसे सुरक्षित और स्वर्ग समान बनता जा रहा है. जिसका एकमात्र कारण है प्रदेश सरकार के द्वारा इस दिशा में कोई सोच नहीं रखना है. जिस तरह से प्रत्येक वर्ष परीक्षायें, प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है. उसी तर्ज पर प्रत्येक वर्ष आरक्षकों की भर्ती की परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए. जितना ज्यादा पुलिस बल होगा उतना ही अपराध कम होगा और दुर्घटनाएं कम होगी. पुलिस के नाम उपस्थिति का खौफ जनमानस के दिमाग में समाया रहेगा. जो कि फिलहाल खत्म हो चुका है. प्रदेश में आए दिन गांजा, शराब,नशे की दवाइयां,आदि पदार्थों की आवक हो रही है. जो नशे का सौदागर पुलिस से बच निकला वह सिकंदर बन गया और जो पकड़ा गया वह बदकिस्मत साबित हुआ.
सीमित संसाधनो से चलता है काम .. पुलिस के द्वारा प्रति वर्ष की गई कार्रवाई का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना पड़ता है. इसलिए वृद्धि हो जा रहे आरक्षकों के द्वारा छोटे-मोटे आपराधिक मामले पड़कर संख्या बनाई रखी जाती है. चतुर,चालाक, होशियार थाना प्रभारी के द्वारा दोनों पक्षों को बुलाकर मोटिवेट कर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है. परंतु यह मोटिवेशन ज्यादा दिन तक नहीं चलता है और पुनः दोनों पक्ष थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने जा बैठते हैं. आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव संपन्न होने हैं इस मद्दे नजर पुलिस अधीक्षक यदि चाहे तो एनसीसी कैडेट, समाजसेवी, वॉलिंटियर,पत्रकार,सिक्योरिटी गार्ड, मानव सुरक्षा समिति से सहयोग लेकर बड़ी आसानी से चुनाव का कार्य संपन्न करवाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त यातायात विभाग में बल अत्यंत कम होने की वजह से विभाग उतनी मुस्तैदी से काम नहीं कर पा रहा है. इसलिए यातायात पुलिस जहां पर भी चेकिंग अभियान चलाए तो इनकी सहायता लेने पर, सफलता दुगनी तिगुनी मिलने लगेगी. इसमें कोई समस्या नहीं है.ये लोग दौड़ दौड़ कर मॉडिफाइड साइलेंसर, तीन सवारी, मोबाइल पर बात, ब्लैक फिल्म, नंबर प्लेट बगैर हेलमेट, आदि की अवहेलना करने वालों को पकड़ लेंगे. एक दो बार आजमाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इन लोगों के द्वारा आपद काल करोना के समय पुलिस की काफी मदद की थी.
पत्रकारों का रूम होना चाहिए…. अनेक मीडिया कर्मी सुबह से देर रात तक सभी पुलिस थानों, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,नगर पुलिस अधीक्षक, यातायात कार्यालय आदि का चक्कर काटते रहते हैं. पुलिस को चाहिए कि उनको सुविधा प्रदान करने हेतु एक कमरा परमानेंट उपलब्ध करवा देना चाहिए ताकि पुलिस वाले एवं मीडिया वाले को राहत मिल सके. मीडिया कर्मी अपना दोपहर का भोजन घर से टिफिन में ले आएंगे. जिस वजह से पुलिस वालों को टेंशन लेना नहीं पड़ेगा. सागर भी रोजाना प्रेस विज्ञप्ति बनाने से मुक्त हो जाएगा.