टूटी कलम रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002…. जिला ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय अखबार दैनिक जन जागरण संदेश
🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…… ऐसा समय आ गया है कि गुंडे, मवाली, अपराधी तत्वों को पुलिस के नाम का राई बराबर भी खौफ नहीं रह गया है. जिसका अहम एवम एकमात्र कारण यह है की अपराधी तत्वों का थानों में बदस्तूर,बेवजह आना जाना लगा रहता है. ऐसे तत्वों को पुलिस वालों के साथ हंसी,ठिठोली करते,एक साथ घूमते फिरते,गलबहियां करते,बातचीत करते देखा जा सकता है. यदा कदा पुलिस वालो को दबाव की वजह से अपना फर्ज निभाना पड़ता है और बड़े मामलों को कमजोर बनाते हुए जमानतीय धाराओं को जोड़ दिया जाता है. ताकि अपराधियों को आसानी से जमानत मिल सके. अपराधी जेल से बाहर आएगा कमाएगा तब तो नजराना मिल पाएगा. बिलासपुर,रायपुर, दुर्ग, भिलाई, कोरबा, आदि जगहो पर पुलिस के द्वारा अपराधी तत्वों का जुलूस निकाला जाता है ताकि अपराधी भविष्य में अपराध करने से पहले पुलिस के विषय में सोच सके. मगर रायगढ़ पुलिस ने कभी भी बड़े-बड़े अपराधियों का भी जुलूस ना निकाल कर सीधा जेल दाखिल करवा दिया जाता है. पुलिस के द्वारा शहर के गुंडा तत्वों को भी हाजिरी देने के लिए ना तो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ना ही थानों में बुलवाकर डराया, धमकाया ,चमकाया जाता है और ना ही समझाइए दी जाती है. जिस वजह कारण अपराधियों के दिलों दिमाग से पुलिस के नाम का खौफ और भय खत्म सा हो गया है.
पुलिस अपना वजूद स्वयं बनाएं… पुलिस यदि अपना स्वयं का वजूद बनाए रखना चाहती है तो उसे गुंडे मावलियों का जुलूस शहर के मुख्य चौक चौराहो पर,उन्हीं के मोहल्ले में निकालना ही पड़ेगा ताकि उनके साथ ही अपराधों की दिशा में कदम बढ़ाने वाले के मन में डर समाया रहना अति आवश्यक होना चाहिए. मनुष्य के कदम छोटे-छोटे अपराध के बाद आसानी से जमानत मिल जाने पर उसके कदम बड़े अपराध की ओर बढ़ जाते हैं. एक छोटा अपराधी बाद में खूंखार एवं दुर्दांत अपराधी बन जाता है. जिससे पुलिस भी खौफ खाने लग जाती है. इसलिए अपराधी के अपराध को प्रथम चरण में ही कुचल देना चाहिए. जिस तरह से घाव एक नासूर बनकर पीड़ा देता है इस तरह अपराधी का भी रूप बाद में कष्टदायक हो जाता है.