जब जशपुर, सारंगढ़ रायगढ़ जिला का अंग हुआ करते थे उस समय बाहर से आने वाले मरीज के परिजनों को रात के समय दवाइयां के लिए भटकना पड़ता था. लोगों की इस तकलीफ को भांपकर मेरे पिता स्वर्गीय लायन अश्वनी कुमार शर्मा के द्वारा सन 1980 में एक दवा दुकान की शुरुआत की थी और जिसका नाम डे एंड नाईट मेडिकल स्टोर रखा गया था. शुरू के कई वर्षों तक हमारे द्वारा देर रात दवाई उपलब्ध करवाने के लिए पूरी रात दुकान खुली रखी जाती थी. फिर धीरे-धीरे समय घटता चला गया क्योंकि शहर की सभी दिशाओं में औषधि निरीक्षकों ने रेवड़ी की तरह से एक नियत राशि लेकर दवाई दुकान का लाइसेंस दिया जाने लगा था. उस समय दवाई दुकान का लाइसेंस मिलना बहुत मुश्किल हुआ करता था जिसके लिए प्रदेश की राजधानी भोपाल के चक्कर काटने पड़ते थे. मगर अब प्रत्येक गांव,मोहल्ले,टिकरा,पारा मैं पान दुकान की तरह से दवाई दुकान खुल चुकी है. जिस वजह से हमें काफी राहत मिल चुकी है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का हमारी दुकान में आना-जाना लगा रहता था. जो हमारी मेहनत देखकर आश्चर्यचकित हुआ करते थे और 24 घंटे मरीज के लिए दवाई उपलब्ध करवाने के लिए हमारा हौसला अप्लाई किया करते थे. हमारे द्वारा की जा रही मानव सेवा को देखकर वर्तमान के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बहुत प्रभावित हुआ करते थे. उस समय हमें भी दवाइयों कीआपूर्ति छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करनी पड़ती. जिस वजह से हमारी दवाई दुकान डे एंड नाइट मेडिकल स्टोर को प्रदेश स्तर पर जाना पहचाना जाता था. शायद मुख्यमंत्री ने जनता की तकलीफों को समझते हुए पूरे छत्तीसगढ़ की सभी दुकाने 24 घंटे खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं. रात में दुकान खोलने पर पुलिस का अड़ंगा समाप्त कर दिया गया है. इसके विपरीत दुकान खोलने पर पुलिस के द्वारा व्यवसाईयों की मदद की जाएगी. रविवार के दिन राजधानी रायपुर की दुकाने बंद रहने और शहर सुनसान रहने का असर मुख्यमंत्री के दिमाग पर पड़ा और उन्होंने इससे छुटकारा दिलाने के लिए पूरे सप्ताह भर व्यवसाय करने के आदेश जारी कर दिए.
🥁🥁टिल्लू शर्मा ✒️✒️टूटी कलम 🎤 🎤 न्यूज़ रायगढ़ छत्तीसगढ़🏹🏹……………… मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे दुकानदारों को राहत और कर्मचारियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना (नियोजन एवं सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 और नियम 2021 को पूरे राज्य में लागू कर दिया है। इसके साथ ही पुराना अधिनियम 1958 और नियम 1959 को निरस्त कर दिया गया है। श्रम विभाग के अनुसार, नया अधिनियम पूरे राज्य में लागू होगा, जबकि पुराना अधिनियम केवल नगरीय निकाय क्षेत्रों में प्रभावी था। इस बदलाव से छोटे दुकानदारों को राहत मिलेगी, क्योंकि नया कानून केवल 10 या अधिक कर्मचारियों वाली दुकानों और स्थापनाओं पर ही लागू होगा। पहले, बिना किसी कर्मचारी के भी सभी दुकानें अधिनियम के दायरे में आती थीं।
नए नियमों के तहत, दुकान और स्थापनाओं के पंजीयन शुल्क को कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय किया गया है। न्यूनतम शुल्क 1,000 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये होगा। पहले यह शुल्क 100 रुपये से 250 रुपये तक था। श्रम विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए अधिनियम के लागू होने के 6 महीने के भीतर सभी पात्र दुकानों और स्थापनाओं को पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया श्रम विभाग के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पूरी की जा सकेगी।
कर्मचारी राज्य बीमा और भविष्य निधि में पहले से पंजीकृत दुकानें नए अधिनियम में स्वतः शामिल होंगी। पहले से पंजीकृत दुकानों को 6 महीने के भीतर श्रम पहचान संख्या प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। यदि 6 महीने बाद आवेदन किया जाता है, तो नियमानुसार शुल्क देना अनिवार्य होगा।
पुरानी व्यवस्था में दुकानों को सप्ताह में एक दिन बंद रखना अनिवार्य था। अब दुकानें 24 घंटे और पूरे सप्ताह खुली रह सकती हैं, बशर्ते कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाए। नई व्यवस्था के तहत, कुछ सुरक्षा शर्तों के साथ महिला कर्मचारियों को रात में भी काम करने दिया जाएगा। सभी नियोजकों को अपने कर्मचारियों के रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक रूप से मेंटेन करने होंगे। हर साल 15 फरवरी तक सभी दुकान एवं स्थापनाओं को अपने कर्मचारियों का वार्षिक विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना होगा। नए अधिनियम में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है, लेकिन अपराधों के कम्पाउंडिंग की सुविधा दी गई है, जिससे नियोजकों को कोर्ट की कार्रवाई से बचने का विकल्प मिलेगा। निरीक्षकों की जगह फैसिलिटेटर और मुख्य फैसिलिटेटर नियुक्त किए जाएंगे, जो व्यापारियों और नियोजकों को बेहतर मार्गदर्शन देंगे।
पहले दुकान और स्थापनाओं का पंजीयन कार्य नगरीय निकायों द्वारा किया जाता था। अब 13 फरवरी 2025 की अधिसूचना के अनुसार यह कार्य श्रम विभाग द्वारा किया जाएगा। नए नियमों से छोटे दुकानदारों को राहत मिलेगी, पंजीयन प्रक्रिया सरल होगी और कर्मचारियों के अधिकारों का बेहतर संरक्षण किया जा सकेगा।