🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹.. कहते हैं कि पुलिस के संरक्षण के बगैर ना अपराध हो सकता है और ना ही अपराधी फल फूल सकते हैं. जिसका उदाहरण रायगढ़ में देखने को मिल रहा है. प्रेस क्लब और पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर रंजीत चौहान और सुदीप मंडल ने पूरे रायगढ़ जिले में सभी ब्लॉकों में घूम-घूम कर अपने एनजीओ में नौकरी देने एवं स्वयं का कार्य करने का झांसा देकर सैकड़ो लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना डाला. सरकारी नौकरी दिलाने,सरकारी ठेके दिलाने,सामान सप्लाई करने का लालच देते हुए. बेधड़क होकर नकली सरकारी दस्तावेज, सील, मोहर, का इस्तेमाल करते हुए बाकायदा अपॉइंटमेंट लेटर तक दे दिया जाता रहा. लोगों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए रंजीत के द्वारा अनेक फर्जी सरकारी दस्तावेज दिखाकर प्रतिभूति राशि के रूप में लाखों रुपए लेकर, एक एक करोड रुपए के चैक दिए जाते रहे. किसी को सिविल वर्क,किसी को मशीनों की सप्लाई, किसी को बैंक में नौकरी दिलाने, किसी को अपने एनजीओ में अकाउंटेंट, कइयों को ब्लॉक अधिकारी बनाने के सब्जबाग दिखाकर मोटी रकम ली जाती रही. मगर अपराध छिपाने से भी नहीं जितना है एक न एक दिन सामने आ ही जाता है और ऐसा ही इस मामले में भी हुआ. ठगी के शिकार बन चुके ग्रामीणों को जब समझ में आया तो रंजीत के कारनामों का पर्दाफाश हो गया.
अन्य जिलों से भी रंजीत के ठगी के कारनामे सामने आने लगे हैं.. रंजीत ठगी का मास्टरमाइंड है जो अपने एनजीओ “असीम छाया” की आड़ में ठगी करने लगा और सफलता मिलने पर उसका लालच बढ़ता गया और वह रायगढ़ के अतिरिक्त रायगढ़ से सटे अन्य जिलों में भी सक्रिय होकर ठगी करने लगा. सक्ती जिले के मालखरौदा ग्राम से ठगी का एक मामला हमारे सूत्रों से मालूम हुआ है. जिसके अनुसार रंजीत ने मालखरौदा निवासी गजेंद्र जायसवाल नामक व्यक्ति को अपने एनजीओ के द्वारा “नाबार्ड” में काम दिलाने के नाम पर लाखों रुपए अपने खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिए और प्रभाव जमाने के लिए शुरू में ही ठगी का शिकार बने गजेंद्र को एक करोड रुपए का एडवांस चैक दे दिया गया. जब गजेंद्र को कोई काम नहीं मिला तो उसे कुछ शंका हुई और वह चैक लेकर बैंक गया तो मालूम हुआ कि रंजीत,सुदीप के द्वारा जारी किया गया चैक फर्जी है. रंजीत को उक्त विषय में बताने और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने की बात कहने पर रंजीत के द्वारा गजेंद्र को मात्र बीस हजार रुपए वापस किया और बाकी रकम बाद में देने को कहा. मगर साल बीत जाने पर भी किसी भी तरह की रकम नहीं लौटाई गई. गजेंद्र ने साइबर सेल मालखरौदा में ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करवा दी. बहुत जल्द ही गजेंद्र के द्वारा मालखरौदा थाने में रंजीत, सुदीप मंडल, असीम छाया फाउंडेशन के खिलाफ लिखित रिपोर्ट दर्ज करवाई जाएगी. रंजीत और सुदीप पर बराबर का मामला दर्ज होना चाहिए क्योंकि असीम छाया एनजीओ के दोनों ही डायरेक्टर है एवं चैंकों में दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर होते हैं. इसलिए दोनों पर ही अपराधिक प्रकरण बनना चाहिए. अलग-अलग थानों में नकली सरकारी दस्तावेजों, सील मोहर हस्ताक्षर का दुरुपयोग करने के मामले में आजीवन कारावास से भी बड़ी सजा का प्रकरण बनता है. यह सब रिपोर्ट दर्ज करने वाले के दिमाग पर निर्भर करता है कि वह कितना दिमाग का इस्तेमाल कर पता है