टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम 🎤 न्यूज़ रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹… पिछले एक माह से प्रेस क्लब के सदस्य पत्रकार के रूप में घूमने वाले अंतरजिला महा ठग रंजीत चौहान रायगढ़ पुलिस का प्रिय पात्र होने की वजह से बेधड़क, बेखौफ, होकर जिला मुख्यालय के आसपास के गांव में आराम से घूम फिर रहा है. पीड़ितों को चकमा देने के लिए अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर रहा है और उन्हें उनके रुपए वापस लौटाने का झूठा आश्वासन दे रहा है. अपनी अग्रिम जमानत करवाने के लिए बिलासपुर आना-जाना कर रहा है. इसकी जानकारी हमारे सूत्रों ने हमें दी है. जब हमारे सूत्र इतने सक्रिय हैं तो पुलिस के मुखबीर खबरीलाल एकदम अपनी निष्क्रिय क्यों है ? शायद उन्हें निष्क्रिय रहने का आदेश पुलिस के अधिकारियों को और से दिया गया होगा.
साइबर अपराध की धारा क्यों नहीं जोड़ी गई… थाना चक्रधर नगर में रंजीत चौहान के खिलाफ लिखाई गई एफ आई आर रिपोर्ट में जानबूझकर 420 की मामूली धारा लगाई गई है. ताकि उनके लाडले,चहेते, लाखों रुपए की कमाई करवाने वाले रंजीत को आसानी से जमानत मिल सके. जब भी दोनों ही मामलों में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के प्रमाण भी पीड़ितों के पास है. इसी तरह गैर जमानती धाराओ 467,468,471 को पीछे रखकर 420 की धारा को मुख्य धारा बतलाया गया ताकि माननीय न्यायाधीश की नजरें भी 420 की पहली धारा पर ही रह सके और पीछे की 467 468 471 वाली धाराओं का ध्यान ना जा सके. रिपोर्टकर्ता उत्तम प्रधान राज किशोर साहू से रकम का लेन देन बाकायदा ऑनलाइन बैंकिंग के द्वारा किया गया है. इसके बावजूद भी साइबर अपराध का मामला दर्ज नहीं किया गया है. रंजीत चौहान की ठगी का शिकार हुए पीड़ितों को विश्वास है कि वे अपने अधिवक्ता के माध्यम से अन्य कई धाराएं जुड़वाने में सफल हो जाएंगे. धाराएं नहीं जोड़ने के विषय में माननीय न्यायालय के द्वारा टी आई, एस आई, ए इस आई को न्यायालय में हाजिर होने के आदेश दिए जा सकते हैं और फटकार लगाई जा सकती है कि जब उन्हें एफ आई आर में अपराध से संबंधित सही धाराएं नहीं लिखना आता तो उनके पुलिस में कार्य करने से क्या फायदा होगा. प्रतिदिन साइबर अपराध से सतर्क रहने के लिए पुलिस की तरफ से आम जनता को सचेत करने का प्रयास किया जाता है तो साइबर अपराध होने पर आरोपी पर साइबर अपराध की धाराएं क्यों नहीं जोड़ी जाती है. क्रमशः अन्याय, शोषण, अत्याचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी