🔱टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹… रायगढ़ के अंतिम गांव डूमरपाली के निवासी ग्रामीण युवक रंजीत चौहान एवं रायगढ़ बोईरदादर शरणार्थी कॉलोनी में रहने वाले सुदीप मंडल ने देश में आई आपदा कोरोना काल के समय असीम छाया फाउंडेशन के नाम से एक एनजीओ का रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. आपद काल के समय प्रधानमंत्री कोष से इस एनजीओ को करोड़ों रुपए की वित्तीय सहायता दी गई थी. सूत्रों के अनुसार पूरे फंड को उच्च अधिकारियों के द्वारा मिली भगत कर चट कर लिया जाता था. उसमें से थोड़ा बहुत कमीशन के रूप में रंजीत और सुदीप को मिल जाया करता था.
यहीं से होती है ठगी की शुरुआत.
रंजीत और सुदीप एनजीओ के अतिरिक्त पत्रकारिता का भी कार्य कर रहे थे. जब उन्होंने देखा कि उनके एनजीओ में करोड़ों की वित्तीय सहायता मिलने पर भी उन्हें ज्यादा लाभ नहीं हो रहा है. तब ये लोग बड़ा हाथ मारने की फिराक में लग गए थे. सबसे पहले इन्होंने अपने एनजीओ में काम देने के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवक युवतियों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया और उनसे नौकरी देने के नाम पर हजारों रुपए की वसूली की गई. बाकायदा सबको कम पर रखकर सबको अलग-अलग पद मासिक वेतन देने के आधार पर बांट दिए गए. एक दो माह बीतने पर जब लोगों ने अपना वेतन मांगना शुरू किया तो किसी को 2000 ₹ किसी को 3000 ₹ दिया गया. किसी को कभी भी पूरा वेतन नहीं दिया गया. एनजीओ के माध्यम से दोना पत्तल,सेनेटरी पैड, बैंडेज पट्टी, आदि की मशीन मंगवा कर आत्मनिर्भर बनाने की बात का झांसा दिया गया और उनको मशीनों के कोटेशन दिखाकर लाखों रुपए की वसूली की गई. कमाने के लालच की वजह से महिलाओं ने महिला समूह के द्वारा बैंक से लोन लेकर अपने सोने के गहने बेचकर. इधर-उधर से मोटे ब्याज में रकम लेकर इनको दे दी गई. जब काफी समय तक कोई मशीन नहीं आई तो महिलाओं ने अपने पैसे वापस देने के लिए इन ठग राजो पर दबाव बनाना शुरू किया तो रंजीत और सुदीप ने संयुक्त हस्ताक्षर वाले फर्जी चेक चुना मुर्रा की तरह बांटे जाने लगे. जब बैंकों के द्वारा चेक को फर्जी बोगस बताते हुए वापस करना शुरू किया. तब पीड़ितों ने इस बाबत रंजीत को बतलाया तो रंजीत ने उन्हें बहाना बनाते हुए दूसरी दिनांक का चेक बनाकर दिया जाता रहा और हर बार चेक बाउंस होकर वापस आता रहा. तब लोगों को ठगी का एहसास होने पर थाना चक्रधर नगर की शरण ली और थाने में अपने साथ हुई धोखा घड़ी का आवेदन दिया गया. लगभग दो वर्ष तक चक्रधर नगर थाने में पीड़ितों के आवेदन रद्दी कागज की तरह पड़े रहे और उसे पर कोई कार्रवाई पुलिस के द्वारा नहीं की गई.
रंजीत और सुदीप खुले सांड की तरह घूम घूम कर ठगी करते रहे….
पुलिस में दिए गए आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से इन ठगराजो का मनोबल बढ़ता ही गया या फिर पुलिस ने इनको ठगी करने के लिए अपना पूरा संरक्षण दे दिया गया. जिस वजह से रंजीत और सुदीप ने अपने ठगी करने के कार्य में तेजी लाते हुए पूरे रायगढ़ जिले के सभी ब्लॉकों में घूम-घूम कर शिकार फसाना शुरू कर दिया. पुलिस की नकारात्मक कार्रवाई की वजह से इन्होंने अपना नेटवर्क बनाकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में शिकार फंसा लिए और उनसे नाबार्ड का शासकीय ठेका दिलवाने के नाम पर, शासकीय नौकरी दिलवाने के नाम पर,आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर, फर्जी दस्तावेज दिखलाकर. करोड़ों रुपए की ठगी को अंजाम दिया गया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनके द्वारा लगभग 100 करोड रुपए से ऊपर की ठगी की गई है. जिसमें प्रदेश के कुछ उच्च अधिकारियों का इनके ऊपर हाथ होने की वजह से पुलिस कार्रवाई करने से पीछे हट रही है.
बहुत बड़ा ठगी का मामला है, मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, को संज्ञान लेना होगा
कांग्रेस शासन काल में रंजीत और सुदीप के द्वारा कितने सौ करोड रुपए की ठगी की गई और उनके नेटवर्क में कौन-कौन अधिकारी,नेता मंत्री,पत्रकार शामिल थे. इसका पता रंजीत और सुदीप की गिरफ्तारी के बाद ईमानदार पुलिस अधिकारी के द्वारा उर्दना ले जाकर दो-तीन दिन कड़ाई के साथ पूछताछ करने पर बड़े-बड़े सफेदपोश लोगों के नाम उजागर होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
क्रमशः