🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 जहां रायगढ़ के चोंगाधारी स्वयं को बहुत बड़ी मीडिया कर्मी समझने वाले पुलिस की चाटुकारिता,जी हजूरी करने वाले, मीडिया की आड़ में अवैध कार्य करने वाले, स्वयंभू लोगों की वजह से पुलिस की कार्य प्रणाली पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. पुलिस के द्वारा सबसे सरल काम प्रेमी को दुष्कर्मी बतलाकर, 20 लीटर शराब को 200 लीटर बनाकर, 10 ग्राम गांजा को 2 किलो बतलाकर, मोबाइल वितरण कर,, फक्कड़ लोगों को आईपीएल का सटोरिया बताकर, बकरी चोर,साइकिल चोर आदि जैसे कार्यों को सामने रखकर प्रेस वार्ता कर, 001 समोसा 006 आलू, थोड़ा सा मिक्सचर, एक मीठा एक हाफ चाय, पानी की एक छोटी बोतल देकर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर प्रेस विज्ञप्ति,वीडियो जारी की जाती है. जो कॉपी पेस्ट करने मीडिया वालों के लिए पत्रकार कहलाने के काम आती है.
पुलिस की जानकारी और बाइट में कोई फर्क नहीं होता है
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किसी बुद्धिमान पुलिस वाले के द्वारा तैयार की गई स्क्रिप्ट को कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथि के द्वारा वाचन किया जाता है. जब पुलिस से सवाल जवाब करने का समय होता है तो उपस्थित तथा कथित मीडिया वालो के द्वारा बेतुके प्रश्न किए जाते हैं. सवाल सुन कर कर उपस्थित मुख्य अतिथि मन ही मन मुस्कुराते रहते हैं और मीडिया कर्मियों की बुद्धिमत्ता का लोहा मान लेते हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद दर्जनों चोंगे अतिथि के मुंह से सटा दिए जाते हैं. कुछ लोगों के द्वारा अतिथि के कालर में ब्लूटूथ लगाकर स्वयं को अतिथि का करीबी साबित करने का प्रयास किया जाता है. चोंगे मुंह से सटाकर वही प्रश्न किए जाते हैं. जिनका जवाब स्क्रिप्ट वाचन के दौरान दे दिए जाते हैं.
रिपोर्ट दर्ज करवाने से पहले कई चक्कर कटवाती है पुलिस
यदि कोई पीड़ित न्याय की आस लिए थाना पहुंच जाता है तो, उसके बुरे दिन उसी समय से शुरू हो जाते हैं. पीड़ित थाना प्रभारी और दिवस अधिकारी के चक्कर में उलझ कर रह जाता है. थाना प्रभारी के द्वारा पीड़ित को जब रिपोर्ट दर्ज करने दिवस अधिकारी के पास भेजते हैं तो दिवस अधिकारी पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में मिलता है जो पीड़ितों से पूरे घटनाक्रम सुनने के बाद तमाम तरह की गलतियां बताते हुए उन्हें लिखित आवेदन लिख कर देने के नाम से थाने से विदा कर दिया जाता है. पीड़ित जब आवेदन लेकर दोबारा पहुंचता है तो वहीं से उसके परेशानियों के दिन शुरू हो जाते. आवेदन में भी अनेक खामियां निकाल कर पीड़ितों को डांट डपटकर लिखित आवेदन ले लिया जाता है और पावती देकर कहां जाता है कि जिस दिन रिपोर्ट दर्ज की जाएगी उस दिन आपको फोन करके सूचना दे दी जाएगी. सूचना बहुत कम लोगों को दी जाती है और लिखित आवेदन फाइलों में दबा दिया जाता है. आखिरकार त्रस्त होते हुए पीड़ित न्याय की गुहार लगाने पुलिस अधीक्षक कार्यालय,आईजी कार्यालय, डीजीपी कार्यालय, गृह सचिव, गृह मंत्री मुख्यमंत्री के दफ्तरों का चक्कर लगाना शुरू कर देता है. पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश जब ऊपर से आता है. तब भी कई दिनों तक चक्कर कटवाए जाते हैं और रिपोर्ट लिखने के बाद मामला कोर्ट में नहीं भेजा जाता है और ना ही जांच पड़ताल कर अभियुक्त आरोपी को पकड़ा जाता है. इसके विपरीत आरोपी से सांठ गांठ कर मोटी रकम लेकर उन्हें छुट्टे सांड की तरह घूमने फिरने का लाइसेंस प्रदान कर दिया जाता है.
अन्य जिलों से रिपोर्ट लिखवाने आने वालो जरूर से ज्यादा परेशान किया जाता है. कोई भी इंसान अपना काम धाम, घर परिवार,कमाई छोड़कर पूरा दिन खराब कर भला कोई बारंबार कैसे आ सकता है. आने जाने में खाने-पीने में अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है. जिसको हर कोई वहन नहीं कर सकता है. इसलिए मामला नंदलाल पर छोड़ दिया जाता है.