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🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹…

अगर कहीं समदर्शी व्यवहार और आशीर्वाद मिलता है तो वह है. रायगढ़ जिले के ग्राम बनोरा स्थित अघोर गुरुपीठ ब्रह्म निष्ठालय में परम पूज्य अघोरेश्वर अवधूत भगवान श्री राम के परम शिष्य संत शिरोमणि प्रियदर्शी राम जी ने घनघोर जंगल के बीच एक शक्ति ध्वज गाड़कर मानव कल्याण के लिए अपनी उपासना शुरू की थी. बाबा की तपस्या को भंग करने के लिए हिंसक जंगली जानवर, जहरीले सांप बिच्छू आया करते थे किंतु वे बाबा के चरण स्पर्श कर लौट जाया करते थे. अच्छे से अच्छा हिम्मती जिगर वाला भी शाम के बाद पहाड़ मंदिर के आगे लोइंग,महापल्ली ग्राम नहीं जाया करते थे.जशपुर जिले के ग्राम सोगडा में बाबा श्री प्रियदर्शी राम जी ने 10 वर्षों तक अघोरेश्वर के सानिध्य में रहकर शिक्षा दीक्षा प्राप्त की प्रियदर्शी राम जी का मन आदिवासियों को शिक्षित करने का रहा एवं बीमारियों से मुक्त करने का रहा. बाबा जी ने अथक परिश्रम कर अपने सभी आश्रमों में स्वास्थ्य शिक्षा की ओर जोर दिया जाता है. बाबा चाहते हैं कि देश के लोग शिक्षित बने ताकि निरक्षरता दूर की जा सके एवं स्वस्थ रहें.
रायगढ़ के बनोरा आश्रम में स्कूल संचालित है. जिसमें पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा, यूनिफॉर्म, कापी पुस्तके आदि निशुल्क दिए जाते हैं. आश्रम में समय-समय पर निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया जाता है. जिसमें अनेक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टरो को बुलवाकर स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाता है और दवाइयां चश्में निशुल्क दिए जाते हैं. आश्रम के अंदर होम्योपैथिक दवा खाना संचालित है जिसमें प्रतिदिन रोगियों को मुक्त दवाइयां दी जाती है. आश्रम में सर्व सुविधायुक्त ऑपरेशन थिएटर भी है. जिसमें मोतियाबिंद, हाइड्रोसील, आदि का ऑपरेशन किया जाता है ताकि गरीब ग्रामीणों को इलाज के लिए शहर जाकर भटकना न पड़े.
समाज सेवा में अग्रणी है बनोरा आश्रम
समाज सेवा के लिए आश्रम के द्वारा अनेक कार्य किए जाते हैं. शीतकाल में गरीबों को कंबल, स्कूली छात्र-छात्राओं को स्वेटर,मोजा , बारिश में बाढ़ आने पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राशन, बांस,बल्ली,तिरपाल,छाते,रेनकोट, ग्रीष्म ऋतु में कई स्थानों पर प्याऊ लगाया जाता है. जिसमें मटको का शीतल जल, गुड़ के टुकड़े राहगीरों को दे कर प्यासे कंठो को तृप्त किया जाता है. यह आश्रम की प्रति वर्ष की कार्यप्रणाली है. इसके अतिरिक्त कोरोना आपदाकाल के समय आश्रम की तरफ से मास्क, दवाइयां, राशन सामग्रियां, भरपूर मात्रा में बाटी गई थी. अघोर आश्रमों में अंग भंग व्यक्तियों का इलाज किया जाता है और उनके प्रभावित शरीर के अंग का नाप लेकर कृत्रिम अंग बाहर से मंगवा जाते हैं और उन्हें लगाए जाते हैं.
अनुशासन प्रिय है बाबा श्री प्रियदर्शी राम जी
संत शिरोमणि बाबा श्री प्रियदर्शी राम जी काफी अनुशासन प्रिय है. जो समय के एकदम पाबंद है. आश्रम की सभी गतिविधियां समयानुसार घड़ी की सुइयों पर संचालित होती है. बाबा को हरियाली बहुत पसंद है और फल फूल पत्तों से बेहद लगाव है. बाबा को पेड़ पौधों से बहुत लगाव है इसलिए गर्मियों के दिनों में भी आश्रम में हरियाली कम नहीं होती है.जो बारहों माह एक समान रहती है. आश्रम के पत्ते पत्ते पर बाबा की उपस्थिति का एहसास होता है. बाबा नशे के सख्त खिलाफ होते हैं. आश्रम के भीतर किसी भी तरह का नशा करके जाने वालों को अंदर घुसने नहीं दिया जाता है और आश्रम के अंदर पान, पानमसाला सिगरेट,बीडी का सेवन करना पूर्ण प्रतिबंध है. बाबा के द्वारा मनुष्यों को अपना जीवन सुधारने के लिए जुआ, सट्टा, शराब, मांस,पराई नारी से दूर रहने की नसीहत दी जाती है. अगर कोई माने तो ठीक ना माने तो उसके अपने कर्म है. बाबा दहेज लेने देने के बिल्कुल पक्ष में नहीं होते हैं. आश्रम के अंदर बाबा के भक्तों के द्वारा शादियां भी करवाई जाती है.
बाबा के लाखों भक्त हैं, कई आश्रम है… बनोड़ा में अध्यात्म का रोपा गया पौधा आज विशालकाय वट वृक्ष का रूप ले चुका है जिसकी शाखाएं रेणुकूट, अंबिकापुर, डभरा,शिवरीनारायण में है और कई आश्रम का निर्माण कार्य चल रहा है. सभी शाखाएं बाबा प्रियदर्शी राम जी के द्वारा संचालित की जाती है. जिसका मुख्यालय रायगढ़ जिले का बनोरा ग्राम में है. संत शिरोमणि के पूरे देश भर में लाखों अनुयाई है. जो गुरु पूर्णिमा के दिन बनोरा आश्रम में जुटते है.जो गुरु दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र आदि प्रांतों से भक्त बनोरा पहुंचते हैं. बाहर से आए हुए आगंतुकों के लिए आश्रम के अंदर स्थित धर्मशाला में ठहरने, खानपान, सभी की उत्कृष्ट व्यवस्था रहती है. जिसकी वजह से बाबा के भक्तों का हजारों रुपया बच जाता है.
समान व्यवहार सामान आशीर्वाद.. बाबा की नजरों में उनके सभी भक्त एक समान होते हैं. बाबा मुख्यमंत्री से लेकर सामान्य आदमी तक को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं और भंडारा में पहुंचे सभी लोगों की प्रसाद ग्रहण करने की एक ही व्यवस्था पंगत में बैठकर खाने की रहती है. अति विशिष्ट लोगों के लिए टेबल कुर्सी पर बैठकर खाने की व्यवस्था नहीं की जाती है. आश्रम के अंदर कोई भी छोटा और कोई भी बड़ा नहीं होता है कोई भी अति विशिष्ट, विशिष्ट, सामान्य जैसी कोई व्यवस्था नहीं रहती है. बाबा का दर्शन करने के लिए सबको नंबर के अनुसार लाइन में आना पड़ता है. इति श्री