नंबर वन की तरफ तेजी से बढ़ रहा *टूटी कलम समाचार* पत्रकारिता करना हमारा शौक है, जुनून है, आदत है, दिनचर्या है, कमजोरी है,लगन है,धुन है, पागलपन है ,पत्रकारिता करना हमारे पेट भरने का साधन नहीं है, और ना ही ब्लैकमेलिंग, धमकी,चमकी,देकर, विज्ञापन के नाम पर उगाही,वसूली करने का लाइसेंस मिला हुआ है, संपादक टिल्लू शर्मा लेखक, विश्लेषक, कवि,व्यंगकार,स्तंभकार, विचारक, माता सरस्वती का उपासक,परशुराम का वंशज,रावण भक्त,कबीर से प्रभावित,कलम का मास्टरमाइंड, सही और कड़वी सच्चाई लिखने में माहिर, जहां से लोगों की सोचना बंद कर देते है हम वहां से सोचना शुरू करते है, टिल्लू शर्मा के ✍️समाचार ज्यों नाविक के तीर,🏹 देखन म छोटे लागे, घाव करे गंभीर, लोगों की पहली पसंद टूटी कलम समाचार बन चुका है, सरकार एवं जिला प्रशासन का व्यवस्थाओं समस्याओं पर ध्यान आकर्षण करवाना हमारा पहला कर्तव्य है
एक कलेक्टर से सीधे मंत्री बने… और अब जनता–कार्यकर्ताओं से कितनी दूरी बना ली है, यह चिट्ठी खुद बयान कर रही है।

🔱टिल्लू शर्मा ✍️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 भाजपा के ही वरिष्ठ नेता और डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मिलने उनके बंगले पहुँचा। पीए से समय लेकर गए थे, लेकिन अंदर पहुँचने के बाद भी पौन घंटे इंतज़ार और फिर भी मुलाक़ात नहीं। अंततः वे सब खाली हाथ, निराश होकर लौटे और जाते-जाते यह चिट्ठी छोड़ आए।
यह वही ओपी चौधरी हैं जिन्हें पार्टी ने बिना पसीना बहाए सीधे मंत्री और सबसे ताक़तवर चेहरा बना दिया। लेकिन अफ़सोस… जब अपने ही साथी, पूर्व विधायक और संगठन के पदाधिकारी ही इस तरह लौट जाएँ तो फिर आम कार्यकर्ता और जनता के लिए दरवाज़े कितने खुले होंगे, यह समझना मुश्किल नहीं।
इस चिट्ठी पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व चिकित्सकों के नाम साफ़ दर्ज हैं -डॉ. विमल चोपड़ा (पूर्व विधायक), डॉ. अशोक त्रिपाठी, डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ. कृष्णदास मानिकपुरी, डॉ. मनीष ठाकुर, डॉ. मनोज ठाकुर, डॉ. साहू समेत अन्य हस्ताक्षर मौजूद हैं।
यही उपेक्षा हाल ही में पूर्व युवा मोर्चा अध्यक्ष रवि भगत के साथ भी हुई, जिसने अपनी आवाज़ सार्वजनिक रखी और उसकी कीमत पद से हटकर चुकाई।
जनता का हाल और बुरा है -रोज़गार पर सिर्फ़ भाषण,NHM कर्मियों का स्थायीकरण खजाने में दबा,बिजली के बढ़े बिलों से महतारी वंदन योजना ढकी.. अन्य कितने मुद्दे..
नेता वही बड़ा होता है, जो हर साथी और जनता से संवाद रखे।
वरना ऊँचे बंगले, पीए की चौखट और लम्बे इंतज़ार… ये सब जनसेवक नहीं, सत्ता सेवक की पहचान है।
सोचिए, जब अपने ही अपमानित हों… तो आम जनता की बारी क्या बाकी रहेगी?”








