रायगढ़—— देश मे खुले बड़े बड़े अस्पताल, रिसर्च सेंटरो का शायद कोई महत्व नही है क्योंकि लकवे(पक्षाघात) का इलाज रायगढ़ के पूर्वाचल क्षेत्र के गांव में एक युवक द्वारा बगैर डाक्टर की डिग्री हासिल किए बड़े ही खुलेआम तौर पर किया जा रहा है। जहां सुबह 5 बजे से ही चार पहिया के माध्यम से दूर दराज लकवा के मरीज आते है। अगर माने तो इस युवक के एजेंट रायगढ़ शहर के डॉक्टरों की क्लीनिकों के बाहर शिकार पर नजरें जमाये रहते है जो पीड़ित मरीजो को पूर्वांचल में सही ईलाज होने की कहानी बयां कर दिमाग दिग्भ्रमित कर नया मुर्गा फांस लेते है। जिसकी एवज में इन एजेंटों को मोटा कमीशन भी दिया जाता है साथ ही शहर के प्राइवेट एम्बुलेंस संचालको,ड्राइवरों को मरीज लाने के लिया मोटा पुरस्कार भी दिया जाता है।
प्रत्यक्ष रूप से देखने पर यह पाया गया कि इस युवक के प्रगाढ़ सम्बंध सफेदपोश नेताओ एवं खाकी वालो से है। जिनकी सरपरस्ती में इसका धंधा खूब फलफूल रहा है। पीड़ित मरीजो ने यह बतलाया कि ईलाज के नाम पर एक इंजेक्शन लगाया जाता है एवं दवाइयां दी जाती है। मालिश करने के लिये कई तरह के तेलों का मिश्रण दिया जाता है। जिसकी एवज में मोटी धनराशि की उगाही की जाती है।
हमने पाया कि इस स्थान पर कोविड 19 के नियमो को तार तार किया जा रहा है। न सोशल डिस्टेंनसिंग, न मास्क,न सेनेटाइजर, न ओड़िसा एवं अन्य जिलों से आये लोगो की थर्मल स्क्रीनिंग की कोई सुविधा है। यहां तक कि ईलाज करने वाला युवक भी न तो मास्क लगाता है और नही हांथो में दस्ताने पहनता है। चूंकि अब पूर्वांचल में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है। अतः संक्रमण बढ़ने की आशंका बलवती हो गई है। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, क्लिनिक एवं नर्सिंग एक्ट विभाग की टीम को इस दिशा में ध्यान दिया जाना चाहिए। टूटी कलम के अंक में क्रमशः