रायगढ़ जिले में कृषि विभाग की ओर से किए जाने वाला फर्जीवाड़ा भ्रष्टाचार का रोज परिभाषा गढ़ रहा है हाल ही में हमने इस विभाग की ओर से फर्जी कोटेशन और फर्जी बैठक के फर्जी दस्तावेज बनवाने और उसके माध्यम से भुगतान प्राप्त करने का खुलासा किया था। यह फर्जी दस्तावेज अप्लाई के फॉर्म के नाम से कूट रचनाकर बनाए गए थे और अब हम जिस भ्रष्टाचार का खुलासा करने जा रहे हैं वह मजदूरों और कारपेंटर के नाम से किया गया फर्जीवाड़ा इस फर्जीवाड़े में भी तरीका एक ही है।
फर्जी दस्तावेज तैयार करते नहीं कांपे हाथ
फर्जीवाड़े की यह पूरी कहानी रायगढ़ के उपसंचालक कृषि विभाग की है जहां फर्जी दस्तावेज कोई और नहीं बल्कि उपसंचालक कृषि के दस्तखत और उनके अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों के दस्तखत से बनाए गए हैं। इन फर्जी दस्तावेजों को तैयार कर सप्लाई कम काम और ज्यादा भुगतान करते हुए मनचाहे व्यक्ति से सप्लाई करवा ली गई और काम करवा लिया गया। फर्जी दस्तावेजों के सहारे जो बच गया वह ऊपर की अवैध कमाई है।
हमने कोटेशन नहीं दिया हमारे नाम से किसी ने फर्जी लेटर तैयार किया
आरटीआई की जानकारी सामने आने के बाद जब हमने कृषि विभाग में किए गए काम और उसके बदले भुगतान की जानकारी ली तो पता चला कि संबंधित व्यक्ति ना कोटेशन के बारे में जानता है और ना ही अन्य दस्तावेजों के बारे में बल्कि उसका कहना है कि वह तो कृषि विभाग के उपसंचालक के मोहल्ले में काम करता था और उनके कहने पर उसने कुछ दिनों तक यहां काम किया है जबकि उनसे ना तो कोटेशन मांगे गये और ना ही अन्य कोई दस्तावेज मांगे गए।