🔴सत्ता की खौफ़ के आगे नतमस्तक हुआ खनिज विभाग 🔴डंके की चोट पर जारी है रेत तस्करी का खेल🔴सरकार को लगाया जा रहा करोड़ो का चूना🔴
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घरघोड़ा—–घरघोड़ा के कुरकुट नाले से हो रहे अवैध रेत तस्करी की खबर पर हमने मौके पर जाकर करीब से इस खेल को जानने की कोशिश की तो हमारे भी होश फ़ाखते हो गए। यहाँ पिछले कुछ सालों से रेत उत्खनन और तस्करी का अवैध धंधा जमकर फल फूल रहा है। यहाँ से बाकायदा सिंडिकेट बना कर खनिज विभाग के खुले संरक्षण में नगर के एक छुटभैये नेता द्वारा इस घाट से रेत का अवैध उत्खनन करवाया जा रहा है। बता दें कि इस घाट से रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन होता है।
विदित हो कि इन दिनों घरघोड़ा से 6 कि.मी. दूर कुरकुट नाले पर स्थित आमापाली घाट रेत तस्करों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। कहने को तो इस घाट का ठेका पहले ही निरस्त हो चुका है, लेकिन देखा जाए तो पर्दे के पीछे से यहाँ का अप्रत्यक्ष ठेका एक स्थानीय छुटभैए नेता को दे दिया गया है। यह नेता बाकायदा एक सिस्टम बनाकर यहां से रेत उठाने वाले ट्रैक्टर मालिकों से प्रति ट्रिप 200 रुपये की दर से वसूली करता है और इस राशि से राजस्व व खनिज विभाग के आकाओं को खुश करता है। अगर कोई ट्रैक्टर मालिक निर्धारित राशि देने में आनाकानी करे तो वह इस घाट से रेत नहीं उठा सकता, अगर किसी तरह रेत उठाने में कामयाब हो भी जाए तो उसे आगे पकड़वा दिया जाता है। इस तरह के दर्जनों मामले अब तक देखने को मिल चुके हैं। गौरतलब है कि आज ही ग्रामीणों की शिकायत पर जब खनिज विभाग का छापामार दस्ता यहाँ पहुंचा तब यहाँ 15- 20 ट्रैक्टरों में धड़ल्ले से अवैध बालू लोड किया जा रहा था। इन ट्रैक्टरों को खनिज विभाग के दस्ते ने रंगे हाथों पकड़ा। मगर आश्चर्य की बात यह है कि सिर्फ़ 2 ट्रैक्टरों पर ही कार्यवाही की गई और प्रति ट्रैक्टर खर्चा वसूल कर बाकी गाड़ियों को मौके से बाइज्जत जाने दिया गया। इसके बाद कुछ ग्रामीणों और ट्रैक्टर मालिकों ने इस पक्षपात पूर्ण कार्यवाही का विरोध किया पर उन्हें थाने में बंद करा देने की धमकी देते हुए डराधमका कर वहाँ से भगा दिया गया।
रेत माफियाओं के आगे अधिकारियों ने टेके घुटने
पर्दे के पीछे से कर रहे तस्करों की मदद
यहाँ यह जानने को मिला कि स्थानीय ग्रामीणों की शिकायतों और समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने के बाद भी अब तक यह खुला खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बल्कि स्थानीय अधिकारियों की शह पर यह धंधा दिन प्रतिनिधि और बुलंदियां छूता जा रहा है। कुरकुट नदी में आमा पाली घाट से दिनदहाड़े सैकड़ों ट्रैक्टर रेत की रोजाना तस्करी की जा रही है। विगत दिनों स्थानीय ग्रामीणों और कुछ जनप्रतिनिधियों की शिकायतों के बाद समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने पर एक बारगी ऐसा लगा था कि जल्द ही इन रेत माफियाओं पर प्रशासनिक शिकंजा कसा जाएगा। पर आश्चर्य की बात है कि सबकुछ इसका उल्टा हो रहा है। इन रेत माफियाओं की सेटिंग और पहुंच काफी ऊंची है यही कारण है कि जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर चुपचाप यह खेल देख रहे हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों ने जब इन अधिकारियों के सामने आवाज उठानी चाही तब उक्त अधिकारियों ने दो टूक कह दिया कि शिकायत करनी है तो लिखित में करिए, मौखिक शिकायत पर हम कुछ नहीं कर सकते। जबकि इन्हीं अधिकारियों और उनके कार्यालयों के सामने से ही रोजाना सैकड़ों ट्रेक्टर धड़ल्ले से पार होते हैं। गौरतलब है कि नगर के चौक चौराहों व्यापारिक प्रतिष्ठानों और थाने सहित सरकारी ऑफिसों में कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनमें रोजाना इन तस्करों के ट्रैक्टरों की वीडियो फुटेज रीकार्ड होती है। लेकिन जब इन अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो यह सबूत मांगते हैं, और वीडियो फुटेज दिखाने पर बगले झांकने लग जाते हैं।
रेत तस्करी के इस खेल में सरकारी मिलीभगत की ताजा तस्वीर तब देखने को मिली जब स्थानीय प्रशासन द्वारा पूंजीपथरा के फैक्ट्रियों से डस्ट मटेरियल लाकर घरघोड़ा से कूडूमकेला जामपाली तक की सड़क के गड्ढों को पाटने का काम किया गया। उल्लेखनीय है कि बकायदा इसी डस्ट मटेरियल से रेत तस्करी पॉइंट आमापाली घाट तक की कच्ची सड़क का मरम्मत भी किया गया, जिससे यहाँ लगने वाले ट्रेक्टर आसानी से घाट तक आ-जा सकें। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि तस्करों और अधिकारियों की यारी किस हद तक जा पहुंची हैं।
डंके की चोट पर रेत तस्करी
खबर छपने के बाद लगा दिए दुगुने ट्रैक्टर
आमापाली घाट से चल रहे अवैध रेत उत्खनन और तस्करी की खबरें विगत दिनों से लगातार समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी हुई हैं। लेकिन प्रशासनिक मौन सहमति के कारण तस्करों के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
इससे जुड़ी खबरें प्रकाशित होने के बाद कथित तस्कर नगर में खुला चैलेंज करते हुए यह कहते हुए नजर आए कि जितनी खबर छापनी है छाप लें, पर काम डंके की चोट पर जारी रहेगा। और हुआ भी यही कि आज आमापाली घाट पर दोगुनी संख्या में ट्रैक्टर लगाकर खुलेआम तस्करी का खेल जारी रहा।
ज्ञातव्य है कि इतनी शिकायतों और अखबारबाजी के बाद भी रेत तस्करों और उनको संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ है। आज दिनदहाड़े कई ट्रैक्टर सीसीटीवी कैमरों की परवाह किए बिना थाने और एसडीम कार्यालय के सामने से गुजरते नजर आए।
एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री कई बार रेत सहित अन्य खनिजों के अवैध उत्खनन पर सख्त कार्यवाही की बात कह चुके हैं, वहीं दूसरी ओर घरघोड़ा के इस मामले को देखने पर पता लगता है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना विरोधाभास है।

