बीजापुर । शनिवार को नक्सलियों और जवानों के बीच हुए मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए हैं। इस पूरे ऑपरेशन को पिपुल्स लिब्रेशन गोरिल्ला आर्मी ने किया, जिसका कमांडर हिडमा है। जवानों को खबर मिली थी कि हिड़मा सुकमा के जोनागुडा, टेकलगुड़ुम और जीरागांव में देखा गया है, जिसके बाद जवान उसे पकड़ने के लिए मिशन पर निकले थे। पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस हिड़मा और नक्सलियों ने तबातोड़ फायरिंग कर 22 जवानों को मार डाला। पुलिस ने दावा किया है कि इस मुठभेड़ में 12 से अधिक नक्सली भी मारे गए हैं।
आपको बता दें कि हिड़मा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का लीडर है। चार साल पहले सुकमा में चलाए गए ऑपरेशन में वह गोली से घायल हो गया था लेकिन बच गया। पुलिस ने उस पर 25 लाख रूपये का इनाम रखा है। वह एकलौता ऐसा लीडर है जो मूलतः बस्तर का रहने वाला है और सबसे खूंखार बटालियन का सरगना है।

हिडमा इससे पहले भी कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है। सुकमा के ही भेज्जी में हुए मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए थे। उसके पीछे हिड़मा का ही हाथ था। इसके अलावा 2013 में झीरम घाटी में हुए कांग्रेसी नेताओं के हमले में भी हिडमा शामिल था। इसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं समेत 30 लोगों की हत्या की गयी थी। 2010 में चिंतलनार के करीब ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत का इल्जाम हिड़मा पर लगा है।
हिड़मा का पूरा नाम मांडवी हिड़मा उर्फ इदमुल पोडियाम भीमा है। वह जगरगुंड़ा के गांव पुड़अती का रहने वाला है। वह कभी स्कूल नहीं गया लेकिन फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है और कम्प्यूटर का जानकार है। दो शादियां करने वाले हिड़मा को गुरिल्ला वार करने में महारत हासिल है। जिसने निपटने के लिए भारतीय सेना के गुरिल्लों की मदद लेनी पड़ सकती है।हिड़मा की पत्नियां भी नक्सल गतिविधियों में शामिल हैं। हिड़मा के भाई मांडवी देवा और मांडवी दुल्ला गांव में ही खेती करते हैं, वहीं तीसरा भाई नंदा गांव में नक्सलियों को पढ़ता है। उसकी बहन भीमे दोरनापाल में रहती है। डेटाबेस के हिडमा अनुसार उसकी उम्र अभी करीब 51 साल होगी। जो शायद आंध्रप्रदेश वासी हो सकता है।
हिड़मा का फोर्स गांववालों को डराने का काम करता है। वह उनकी हत्या करने और लूटने से भी पीछे नहीं हटता। अधिकारियों का कहना है कि यदि बस्तर से नक्सल समस्या खत्म करना है तो हिड़मा के बटालियन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई जरूरी है।