टूटी कलम रायगढ़—– रायगढ़ जिले से शनै शनै कानून व्यवस्था छिन्न भिन्न होते जा रही है।किसी को भी किसी का ख़ौफ नही रह गया है। जिले के छोटे से छोटे गांव,पारा,मोहल्ला,टोला में अवैध शराब,गांजा,जुआ,सट्टा का व्यवसाय तेजी से फलने फूलने लगा है। शहर का ऐसा कौन सा वार्ड है।जिसे इन वस्तुओं से अनछुआ कहा जा सकता है। शराब,गांजा की तो चौबीसों घँटे सप्लाई चालू रहती है। अवैध कबाड़,कोयले,लकड़ी तस्करी का तो मानो गढ़ बन गया है रायगढ़। देहव्यापार का तो कहना ही क्या है। मेडिकल कालेज रोड, कमला नेहरू पार्क,एस ई सी एल,मरीन ड्राइव,जिला अस्पताल, रेलवे क्षेत्र,टी वी टावर मार्ग,बुजी भवन मार्ग आदि कई जगहों पर गर्म गोश्त आसानी से उपलब्ध हो जाता है। कारण की पुलिस इस ओर ध्यान न देकर मोटी कमाई की ओर मुस्तैद रहती है। पुलिस के मुखबिर तंत्र भी छोटी कमाई को नजरअंदाज कर मोटी मछली की तलाश में जुटे रहते है ताकि उनको कमीशन अच्छे से मिल सके। कई तो अपनी सरपरस्ती में इन कार्यो को फलने फूलने देते है ताकि उनका साईड बिजनेस चलता रहे । अरे जाने दो न सर,हुजूर,माई बाप ये अपना ही है मिन्नते कर मोटा मुर्गा फँसवाने का आश्वासन देकर अपने आप को चरित्रवान साबित करने में लगे रहते है।
शहर में पहले अवैध अंग्रेजी शराब निर्माण की फैक्ट्री और कुछ दिनों पूर्व महुआ शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ाई परन्तु दोनो ही मामलों में पुलिस के हाँथ रशुखदारो की गर्दनों तक पहुंचने से खाली रह गए। अवैध शराब निर्माण का कार्य कोई नया तो शुरू नही किया गया था। बरसो पुराने कारोबार में लेनदेन के खेल में सेटिंग न होने पर कार्रवाई की गई। अभी भी न जाने कितनी अवैध शराब बनाने की फैक्ट्रीयां मुखबिरों की छत्रछाया में फल फूल रही होगी। जिनका भांडा भी तभी फूटेगा जब लेनदेन में विवाद उतपन्न होगा।
शहर से गायब यातायात विभाग—– इन दिनों शहर में कोई यातायात विभाग मतलब ट्रैफिक पुलिस नाम की कोई व्यवस्था भी होती है। इसे लोग पूरी तरह से भूल चुके है। कोरोना गाइडलाइंस के नियमो की धज्जियां उड़ती कहीं भी देखी जा सकती है। दुपहिया में 3 सवारी बगैर मास्क,चार पहिया वाहनों में ठूंस ठूंस कर भरे लोग मानो विभाग को मुंह चिढ़ाते हो। शहर की सड़कों पर बेतरबी से खड़े वाहनों को देखकर भी यातायात की खटारा पेट्रोलिंग ट्रैक्स में बैठे जवान नजरें फेर लेते है। इस खटारा वाहन का कोई परमानेंट चालक नही है। प्रतिदिन नये नये चेहरे ड्राइविंग सीखते नजर आते है। समस्त एकांगी मार्ग दोआंगी बने हुए है। चौक चौराहों पर एक भी ट्रैफिक जवान तैनात नही दिखता। शहर की बाहरी सीमाओं,बाईपास मार्गो पर ये अलसुबह से मध्यरात्रि तक कोयले,कबाड़, एंगार्ड लदे वाहनों,अन्य प्रांतों के भारी वाहनों से चौथ वसूलते आसानी से देखे जा सकते है। भारी वाहनों के ड्राइवर,खलासी दरवाजे से बाहर हाँथ लटकाते है और ट्रैफिक जवान का हाँथ सीधे पैंट की जेबो में समा जाता है। जवान बकायदा रास्ता बनाते हुए वाहन की पासिंग करवा देते है।
विदेशी शराब को छूट,महुआ शराब पर पूरा फोकस —– पुलिस भी राज्य सरकार का राजस्व बढ़ाने में जी जान से जुटी हुई है। भले ही अंग्रेजी शराब,बियर,रम,बोदका आदि पान ठेलो में गांजे की पुड़िया की तर्ज पर बिक जाए परन्तु महुआ शराब नही बिकनी चाहिए क्योंकि सस्ती होने की वजह से सरकारी शराब की बिक्री होने की वजह से शासन की आय में फर्क पड़ सकता है। इसलिए इन दिनों सारे कार्य छोड़कर पुलिस पूरे दमखम के सांथ महुआ शराब की बिक्री न हो सके पर तेजी से हाँथ पैर चला रही है।
महज दिखावे के लिए शहर की सड़कों पर कर रहे ब्रीथिंग टेस्ट—- शहर के सभी मैदान नटवर स्कूल,संजय मैदान,रामलीला मैदान,संजय काम्प्लेक्स, इतवारी बाजार,मरीन ड्राइव,रामलीला मैदान आदि शराब के शौकीनों के लिए महफूज स्थान है। झुंड के झुंड बैठे युवाओ को शराबखोरी करते कौन नही देखता है। पुलिस को चाहिए कि इन स्थानों की घेराबंदी कर माउथ ब्रीथिंग टेस्ट कर 151 की कार्रवाई रोज नही तो यदा कदा ही कर दे। चौक चौराहों पर टेस्टिंग करने की नौटंकी क्यो करती है।