टूटी कलम रायगढ़--बढ़ता शहर सिकुड़ती सड़के वाहनों की रेलमपेल जाम सरीखी स्थिति दुकानों के बाहर मनमाने तरीके से वाहनों के खड़े करने पर से जाम होते ट्रैफिक पर यातायात अमले ने वाहनों को लॉक लगाना शुरू किया तो व्यवसाइयों ने आपत्ति की तो कुछ लोगो ने व्यवसाइयों को उकसाकर दुकाने बंद कर सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने को प्रोत्साहित किया गया। व्यवसाइयों के द्वारा सड़को पर बैठ जाने से शहर की यातायात व्यवस्था लगभग 4 घँटे चरमरा गई।इस प्रदर्शन के कारण आने जाने हलाकान हो गए। कोविड 19 कि जमकर धज्जियां तो उड़ाई ही गई सांथ ही अस्पताल जाने के लिए भी मरीजो को काफी हलाकान होना पड़ा। भाजपाई पार्षदों ने मौके का भरपूर फायदा उठाकर शहर की चरमराती व्यवस्था में व्यवसाइयों का सांथ देकर अपनी राजनीति रोटी सेकने का भरपूर प्रयास किया।
सुभाष चौक पर बगैर सूचना दिए आवागमन बाधित करने की सूचना मिलने पर कोतवाली थाना प्रभारी मनीष नागर,यातायात डी एस पी पुष्पेंद्र बघेल दलबदल सहित प्रदर्शनकारियों को समझाने बुझाने स्थल पर पहुंचे तब भाजपाई पार्षद के द्वारा इन लोगो के सांथ काफी हुज्जतबाजी,वाद विवाद कर अपनी छवि चमकाने का प्रयास किया गया। उक्त पार्षद द्वारा पूर्व में भी इतवारी बाजार से अवैध अतिक्रमण हटाने पहुंचे एस डी एम,आयुक्त आदि सरकारी अधिकारियो,कर्मचारियों से काफी बहसबाजी की गई थी। प्रदेश में सरकार एवं निगम में कांग्रेस का वर्चस्व होने की वजह से भाजपाई पार्षदों की बौखलाहट सामने आ रही है।
जिला कलेक्टर भीम सिंह के द्वारा बिगड़ी यातयात व्यवस्था को सुधारने के लिये माह भर पहले ही पार्किंग व्यवस्था,नो पार्किंग जोन, एकांगी मार्ग चिन्हांकित करवा दिए थे एवं पीली पट्टी के अंदर वाहन खड़े करने के निर्देश दिए गए है। यातायात विभाग डी एस पी द्वारा लोगो से लगातार अपील कर वाहनों को व्यवस्थित खड़े करने की समझाइश दी जा रही थी। मगर व्यवसाइयों के कानों पर जूं तक नही रेंगी। जब अव्यवस्थित खड़े वाहनों पर लॉक लगाने और जुर्माने की कार्रवाई शुरू की तो व्यापारी अपनी गलती न मानते हुए लाकडाउन का रोना रोकर दुकाने बंद कर दिए।
आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ हो गई — इस मामले को लेकर व्यवसाई कलेक्टर से मिलने गए तो कलेक्टर के उपस्थित न रहने पर ए डी एम कटारा से बातचीत का हल निकालना चाहा तो पाशा उल्टा पड़ गया। कटारा ने व्यवसाइयों को दुकानों के बाहर से 1 सप्ताह के भीतर अवैध अतिक्रमण हटाने के आदेश दे एवं पीली पट्टी के भीतर वाहन खड़े करने के आदेश दे दिए।अगर 1 सप्ताह के भीतर दुकानों के चबूतरे नही हटाये जाएंगे तो जिला प्रशासन कार्रवाई करने पर बाध्य होगा।
न सूत, न कपास,जुलाहों से लठ्ठम लठ्ठा — बतलाया जा रहा है कि जो लोग व्यवसाइयों का पक्ष रखने गए थे। उनकी कोई दुकान उक्त मार्ग पर नही है। महज जबरिया फोकट की नेतागिरी करने का प्रयास किया गया है। व्यवसाई अब अपने आप को कोस रहे है कि क्यों उन लोगो ने ऐसे लोगो को सांथ ले गए जो कढ़ी बिगाड़ कर दिए। ज्ञात रहे कि पूर्व पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह, निगम आयुक्त आशुतोष पांडेय के रहते कोई विरोध करने का साहस भी नही बंटोर पाता था सड़को के बीच लोहे की जाली,इतवारी बाजार के अतिक्रमणों पर एक्सीवेटर चलवाने का साहस आशुतोष पांडेय ने ही दिखलाया था।
गांधी प्रतिमा हटते वक्त कहां चले गए थे पार्षद– बतलाया जा रहा है कि जो पार्षद सभी अधिकारियों से हुज्जतबाजी, व्यवाईयो को भड़वाने का प्रयास कर रहा था। वह उस समय कहां छिप गया था जब 50 साल से स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा अन्यंत्र हटाकर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में विस्थापित की जा रही थी। उस समय विरोध इसलिये नही हो सका कि निगम कमिश्नर आशुतोष पांडेय थे। जबकि गांधी प्रतिमा उक्त पार्षद के वार्ड में ही स्थापित थी। जो अब शायद अन्य वार्ड की पुलिस अधीक्षक कार्यालय की शोभा बढ़ा रही है।
आशुतोष पांडेय ने दुकानों के छज्जे हटाने के आदेश दिए थे—— पूर्व निगम कमिश्नर आशुतोष पांडेय ने रविशंकर शुक्ल,न्यू मार्केट की दुकानों के बाहर निकले छज्जे हटाने के आदेश दिए थे। जिस पर व्यवसाइयों ने कोई दिलचस्पी नही दिखलाई। किसी भी व्यवसाई ने छज्जे का एक स्क्रू तक ढीला नही किया और आशुतोष पांडेय का तबादला हो गया। जिस वजह से उक्त कार्य आगे न बढ़ सका। अगर पूर्व कमिश्नर कार्यरत होते तो छज्जे कब के निकल गए होते। वर्तमान कमिश्नर कौन है? यह भी बहुत कम लोग ही जानते होंगे। लगता है कि उनको शहर के विकास कार्यो से कोई वास्ता नही है और न ही कोई प्लानिंग है। निगम का भी सारा दारोमदार कलेक्टर भीम सिंह के कंधों पर आ पड़ा है।