टूटी कलम रायगढ़— अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद अस्तित्व में आया छत्तीसगढ़ राज्य देश के धनाढ्य राज्यो की सूची में स्थान बना लिया है। प्रदेश में कोयला प्रचुर मात्रा में प्रकृति द्वारा प्रदत्त किया है। जिस पर सबसे पहले उपयोग में लाने का कार्य जिंदल ग्रुप ने शुरू किया था। शनै शनै रायगढ़ जिले की पहचान ओद्योगिक जिले में होने लगी। बाहर से आकर बड़े व्यवसाइयों ने अपनी किस्मत आजमानी शुरू की तो जिले के सभी खानदानी रईस कहलाने वाले बहुत पीछे छूटते चले गए। हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार,बंगाल से आकर उद्योगपतियो ने अपने पैरों को अंगद की तरह से जमा लिए। जिन्हें अब उखाड़ पाना असंभव है।
जल,जंगल,जमीन,कोयले,नदी,नालों,तालाबो,बॉक्साइट,डोलोमाइट आदि प्रकृति द्वारा प्रदत्त है– जो पहले से ही था। मगर इस ओर लोगो का ध्यान तब गया जब भारी भारी वाहनों की रेलमपेल मची। कभी भरपूर जंगल होने वाली जगहो पर उद्योग स्थापित हुए तब लोग बढ़ चढ़ कर सस्ती जमीन दिलवाने के लिए उद्योगपतियों के लिए चाकरी किये।
उद्योगों की क्षमता में विस्तार होना इस बात के संकेत है कि उद्योगपतियो को यहां से भरपूर लाभ एवं समर्थन मिलता है। उद्योगों के विस्तार होने पर लोगो के रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे, जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर होगा,शिक्षा, स्वास्थ्य,आदि में इजाफा होगा। बाजारों की चमक बढ़ेगी,लोगो का जीवन स्तर बढ़ेगा। विरोध प्रकट करने वालो को मिलने वाले लिफाफा का वजन बढ़ेगा । एक घर मे 8-10 लिफाफो की मांग की जाएगी। ढंग से,सही तरीके से लिख न पाने वालो के नाम भी लिफाफों की सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए हाँथ पैर पटके जायेंगे। नये नये मीडिया कर्मियों की पैदावार तैयार की जाएगी। यह सब हथकंडे इस बात का प्रमाण है कि हमारा जिला विकास की करवट ले रहा है। मगर इंसान भी पंगु बन रहे है।