सरकारी दफ्तर,बैंक,स्कूल, कालेज,कोचिंग संस्थान, आदि के अतिरिक्त, पंजीकृत दुकाने,प्रतिष्ठान,दवा दुकान,डेयरी,पेट्रोल पंप,होटल,रेस्टोरेंट,एल पी गैस एजेंसी, डेयरी,क्लब,जिम,फुटकर विक्रेताओं की दुकाने अपने निर्धारित समय सीमा अंतर्गत खोले एवं बंद किये जायेंगे। अगर बौद्धिक दृष्टिकोण से सोचा जाये तो केवल फुटपाथ के व्यवसाइयों,ठेले,खोमचे,चाट,गुपचुप,चखना,गुमटियों,नाश्ते के टपरो आदि पर ही बंद के आदेश लागू होंगे। यह आदेश केवल उन व्यवसाइयों के हितों में रखकर दिए गए है। जो कि अपनी दुकाने, प्रतिष्ठान बुधवार को बंद रख कर,रायपुर,बिलासपुर, कोलकाता आदि जगह जाकर अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए खरीदी करने के लिए जा सकेंगे।
रविवार को सरकारी साप्ताहिक अवकाश रहता है। इसलिए रविवार को बंद से मुक्त रखकर मंडी मैदान में लगने वाले इतवारी बाजार को पुनः इंसानों की भीड़ लगाने के लिए खोला जा रहा है। जबकि अभी कोरोना का कहर थमा जरूर है मगर खत्म नही हुआ है। इससे उत्तम तो यही होता कि रविवार को पूर्ण लाकडाउन कर दिया जाए ताकि सरकारी अवकाश के सांथ ही बाजार बंद रखा जाता।
अब रविवार को बाजार भरेगा पूरा बाजार खुला रहेगा। केवल सरकारी दफ्तरों,बैंक,स्कूल,कालजो के लिये लाकडाउन क्रियाशील होगा तो बुधवार को व्यवसाइयों के लिए स्वैच्छिक लाकडाउन रहेगा। कुल मिलाकर शहर अपने पुराने ढर्रे पर लौट गया है। जारी किए गए आदेश में कोई कड़ाई करने का बिंदु ही नही रखा गया है। जिससे लोग मनमानी करने से पीछे नही हटेंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि सम्पूर्ण रायगढ़ जिला टीकाकृत हो चुका है। जिससे कोरोना संक्रमण का डर भय लोगो के मन से खत्म हो चुका है। जिससे लोग लापरवाह,बेफिक्र हो गये है। बंद के सम्बंध में जनप्रतिनिधियों से कोई पूछ परख तक नही की गई। इसके विपरीत इतवारी बाजार लगने की अनुमति कलेक्टर के देने पर महापौर इसे अपनी जीत बतलाने से कहीं भी नही चूक रही है। अब अगर यदि कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक हो जाये तो इसका जिम्मेवार किसे माना जायेगा। यह भविष्य के गर्त में है ❔