
टूटी कलम रायगढ़- पिछले एक साल के भीतर हांथियो ने 156 इंसानों को सूंड से पटककर,पैरों तले कुचलकर मार डाला तो 45 हांथियो की संदिग्ध मौत हुई। जिसको वन विभाग गम्भीरता से न लेकर जंगलों को जलवाने,कटवाने में ही सक्रिय रहता है। जब जंगलों में आग लगेगी या फिर हरे भरे वृक्ष,बांस काट डाले जाएंगे तो हांथी गावों शहर की ओर रुख करेंगे ही। वन जल संसाधनों को वन विभाग उद्योगपतियो को दे देगा तो भूख- प्यास से व्याकुल होकर गजराज का पगला जाना कोई अप्रत्याशित बात नही है।
हांथी पृथ्वी का सबसे बड़ा होता है। इसका वजन 5000 किलो तक होता है। इसके बावजूद हांथी प्रति घँटे 6 किलोमीटर चल लेता है। यह एक दिन में 300-400 किलो आहार धकेल लेता है। हांथी बुद्धि के मामले में इंसान से पीछे नही है। यह बहुत बुद्धिजीवी एवं शांत स्वभाव का होता है एवं झुंड में रहना पसंद करता है। तेज रोशनी में देखने मे यह सक्षम नही होता। गर्मी इसको बर्दास्त नही होती। केला,गन्ना,नरम पत्ते इसे पसंद होते है। जन्म के जन्म नवजात हांथी का वजन 104 किलो होता है। जो जन्म लेने के 20 मिनट बाद उठ खड़ा होता है एवं 1 घँटे बाद झुंड में शामिल होकर विचरण करने लगता है। यह एक तेज दिमाग का पालतू एवं महावत का वफादार होता है। इसी लिए इन्हें हांथी मेरे सांथी कहा जाता है। टूटी कलम
इनको छेड़ने या इनके साथ सेल्फी लेने पर ये नाराज हो जाते है। इन सब बातों का ज्ञान बघारने वन मण्डलाधिकारी ने गुपचुप तरीके से प्रेस वार्ता की आड़ में पिछले दिनों इंदिरा विहार में अवैध तरीके से कांटे गए सैकड़ो बांस के मामले को दबाने का प्रयास किया गया।
ज्ञात रहे कि जून माह से सितंबर माह तक बांसों को किसी के आदेश पर भी नही काटा जा सकता क्यूंकि यह बांसों का प्रजनन वाला होता है। इसीलिए करील बेचना भी अपराध की श्रेणी में आता है। अगर वह विभाग के अधिकारी कर्मचारी ही बांसों की हत्या करवाएंगे तो इन पर कौन सा अपराध दर्ज किया जाना चाहिए ? इस कृत्य पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर को तत्काल संज्ञान लेने की महती आवश्यकता है।
वन विभाग हांथियो को खदेड़ने के लिए प्रति वर्ष लाखो रुपये का बजट बनाकर धनराशि की बंदरबांट कर कुछ पटाखे फोड़ कर हल्ला मचा देता है जबकि वास्तविकता यह है कि ग्रामीणों द्वारा गांव के आसपास हांथियो के विचरण करने की खबर बीट गार्ड के माध्यम से वन अनुविभागीय अधिकारी, उपमंडलाधिकारी,रेंजर,वन मण्डलाधिकारी के कानों तक पहुंचाई जाती है। मगर हांथियो को उन्मादी न मानकर वन अमला लंबी चादर तानकर सोता रहता है। जब किसी हादसे होने की खबर मीडिया उछालती है तब आनन फानन में वन अमला सक्रिय हो उठता है।
जंगल का जलना, कटना,कैंपा मद,बारबेट वायर की खरीदी,लाठी,टार्च,हेलमेट की खरीदी,विस्फोटकों की खरीदी,दवाइयों की खरीदी,वृक्षारोपण आदि सैकड़ो तरह के कार्य है। जिसकी वजह से वन विभाग हरा भरा,हरीतिमा युक्त रहता है। आर टी आई के माध्यम से जानकारी मांगने पर भी आर टी आई को रद्दी कागज समझकर फेंक दिया जाता है। वन विभाग के पर्यटन स्थल,पार्क,बाग बगीचे देखरेख के अभाव में खंडहर बनते जा रहे है। लकड़ी तस्कर बेलगाम होकर तस्करी कर रहे है। प्रत्येक मोहल्लों,गांवों में अवैध चिरान से फर्नीचर निर्माण किये जा रहे है। लकड़ी टालो में सागौन,शीशम,बीजा आदि इमारती लकड़ी जितनी चाहिए उपलब्ध हो जाती है। कोतरलिया,दघोरा, जामगांव, संबलपुरी,विजयपुर,बंगुरसिया, खैरपुर,उर्दना,दनोट,लाखा, गेरवानी, आदि क्षेत्रों से लकड़ियों की तस्करी बदस्तूर जारी है सांथ ही वन परीक्षेत्रो में अवैध कोयले, गिट्टी,रेत,लाल ईंटो,फ्लाईएश का खेल भी निर्बाध गति से जारी है।
बगैर प्रेस क्लब को सूचित किये प्रेस वार्ता के क्या मायने है ? कुछ एक पत्रकारो के द्वारा पूछे गए को डीएफओ ने टालकर विशेष आमंत्रित सर्प मित्र के द्वारा सांप पकड़ने के करतब दिखलाकर मुद्दे से भटकाने का प्रयास किया गया। उपस्थित लोगों ने इस पर ताली पीटकर अधिकारी का समर्थन किया। विषय हांथी का एवं करतब साँप पकड़ने के, वाह क्या जुगत भिड़ाई है सहाब ने ? क्रमशः