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किसी सेठ की शह पर भरतकूप लीलने की राह पर बढ़ रहे है आहिस्ता आहिस्ता कदम…12 से 18 दुकानें,शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाकर बेचने का चल रहा है सुनियोजित षडयंत्र….

CHANDRAKANT TILLU SHARMA by CHANDRAKANT TILLU SHARMA
25th October 2021
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@टिल्लू शर्मा. टूटी कलम.कॉम.… टूटी कलम ने पूर्व में सत्तीगुड़ी चौक स्थित ऐतिहासिक भरतकूप एवं शिव मंदिर को लेकर जिला प्रशासन,सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट,प्रबुद्धजनों एवँ क्षेत्र वासियों का ध्यानाकर्षण करवाया था। जिसे शायद सब कोविड 19 के कारण से भूला दिया गया। असंवेदनशील ट्रस्ट से तो कुछ उम्मीद नही की जा सकती परन्तु क्षेत्र वासियो,प्रबुद्धजनों,जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करने की आस अभी भी लगी हुई है। टूटी कलम पोल खोल समाचार

स्व.सेठ किरोड़ीमल जी धरोहर है “भरत कूप”…स्व.सेठ किरोड़ीमल जी ने भरतलाल की स्मृति में शहर के 0 (शून्य) किलोमीटर वाले स्थान सत्तीगुड़ी चौक पर सन 1964 में जनकल्याण हेतु कुंआ खुदवाया था। जल दान को अत्यंत पुण्य कार्य माना गया है। 108 कुओं का पानी डाला गया है इस कुएं में..कुँए के समीप पेंटिंग का व्यवसाय करने वाले संतु पेंटर ने टूटी कलम को जानकारी देते हुए बतलाया कि उस समय जब आवागमन के पर्याप्त साधन उपलब्ध नही थे। तब स्व.सेठ किरोड़ीमल जी के भागीरथी प्रयास से देश के कोने कोने से 108 कुओं का पानी मंगवाकर संग्रहण किया गया था। जिसे भरत कूप के लोकार्पण वाले दिन उक्त कुँए के स्वच्छ जल में मिश्रित कर दिया गया था। जिसके बाद से उक्त कुँए के जल को गंगा जल से भी पवित्र माना जाने लगा। हिंदुओ के धार्मिक,समाजिक अनुष्ठान इस कुँए के जल के उपयोग बगैर अपूर्ण माने जाते थे। गंगा स्नान,कुंआ पूजन,जलवा,जन्म-मृत्यु,पूजा,हवन,यज्ञ, कार्तिक पूर्णिमा, होली,दुर्गापूजन, दशहरा,धनतेरस,दीपावली आदि में भरतकूप के जल की महत्ता रहती थी। टूटी कलम विशेष

बेरंग कर दिया गया भरतकूप

भरतकूप के किनारे बनाये गए है कोटना—निरीह एवं मूक बधिर पशुओं की प्यास बुझाने के लिए कोटना बनवाये गए थे। जिनमे सुबह-शाम पानी भरने की जिम्मेवारी मंदिर के पुजारी पर होती है। मगर अब ये कोटने डस्टबीन के काम आ रहे है। टूटी कलम

सूखे पड़े कोटने

भरतकूप के मुहाने पर चारो ओर कुँए से पानी खिंचने के लिये लोहे की वजनदार घिर्रीयाँ लगाई गई थी। जो अब देखरेख के अभाव में कबाड़ियों के यहां बेची जा चुकी है। भरतकूप के अंदर से पानी निकालने के लिए वाटरपंप भी लगाया गया था। जो भी निकालकर शायद बेचा जा चुका है। भरतकूप के बाहर नल एवं हैंडपंप भी इस वजह सर लगाए गए थे कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति भी आसानी से पानी अपने घडो मे भर सके एवं प्यासे लोगो अपने कंठ आसानी से तृप्त कर प्यास बुझा सके। टूटी कलम

गायब लोहे की घिर्रियाँ

भरतकूप के अंदर भी डाल दिये जा रहे है अपशिष्ट पदार्थ…कुँए के साफ-सुथरे सफेद चबूतरे पर बैठकर लोग शराबखोरी करते,गांजे के सुट्टे लगाते,जुआ खेलते देखे जा सकते है। जो उपयोग करने के बाद डिस्पोजल गिलास,चिप्स,पान पाउच,शराब की बोतलें,मिक्चर आदि के कागज,गंदे कपड़े,चप्पल,जूते,आदि कुँए के अंदर फेंक देते है। इनसे बचाव के लिये शायद किसी धर्मप्रेमी ने अंदर लोहे की जाली लगवा दी। मगर लोग अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे है। टूटी कलम

जाली पर फेके जा रहे है उपयोग के बाद वस्तुए

भरतकूप के जल से किया जाता था महादेव का जलाभिषेक…. गंगा की तरह पवित्र भरतकूप के जल से शिव के जलाभिषेक करने के लिए पास ही शिवालय का भी निर्माण करवाया गया था ताकि क्षेत्र वासियो के मन मे धार्मिक भावना भी बनी रह सके। मंदिर में पूजा अर्चना करवाने के लिए पुजारी भी रखे गए थे। जहां शिवरात्रि पर भंडारा का भी आयोजन किया जाता था। शिवप्रेमी रामझरना से लाकर जलाभिषेक किया करते थे। प्रत्येक सोमवार को कुँए के चबूतरे पर बैठकर भजन,कीर्तन किये जाते थे।त्यौहारों के समय शिवालय एवँ भरतकूप पर विद्युत झालरों की साज सज्जा भी की जाती थी। टूटी कलम

अपने उद्धार को तरसता शिवालय

नाम न छापने की शर्त पर भरतकूप के आसपास के व्यवसाइयों ने बतलाया कि शिवालय की मनमानी चरम पर है। मन्दिर के पट पुजारी की स्वेच्छा से खुलते एवँ बंद होते है। कई कई दिन तो पट खुलते भी नही है। कभी अगरबत्ती,धूप,कपूर की सुगंध से सुगन्धित होने वाला क्षेत्र अब गांजे,शराब की बदबू से महकता रहता है। कभी घण्टी,मन्त्रो,श्लोकों,आरती,ॐ नमः शिवाय से गूंजने वाला मंदिर क्षेत्र अश्लील गालियों,लड़ाई,झगड़े से गूंजने लगा है। शिव की उपासक युवतियां,महिलाओं ने तो लगभग यहां आना बंद कर निकले महादेव का रुख कर लिया है। टूटी कलम

टूटी कलम को बतलाया गया कि झकझक सफेद करते भरतकूप, शिवालय के निर्माण में शायद संगमरमर पत्थर लगाए गए थे। जिस वजह से आकर्षक छटा दिखलाई पड़ती थी। जिस पर स्व.सेठ किरोड़ी मल जी का नाम ,भरतकूप,सन आदि लिखे हुए थे। मंदिर के चारो तरफ रामायण आदि की चौपाइयां भी लिखी हुई थी। इन सब पर व्हाईट सीमेंट पुतवाकर स्व.किरोड़ीमल जी की धरोहर को हड़पने की साजिश फलफूल रही है। जिसके पीछे किसी तथाकथित समाजसेवी का हाँथ होना बतलाया जा रहा है। टूटी कलम

मंदिर के चबूतरे पर बन रहे होटल की खाद्य सामग्री
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●प्रधान संपादक● छत्तीसगढ़ स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रहा, रायगढ़ जिले का नंबर 1, रायगढ़ के दिल की धड़कन “✒️टूटी कलम 📱वेब पोर्टल न्यूज़” जिसका कारण आप लोगों का असीम प्रेम है। हम अपने सिद्धांतों पर चलते हैं क्योंकि “इतिहास टकराने वालों का लिखा जाता है। तलवे चाटने वालों का नहीं” इसलिए पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। “बहते हुए पानी में मुर्दे बहा करते हैं” जिंदा लोग बहाव के विपरीत तैरकर किनारे पर आ जाते हैं। पत्रकारिता करने के लिए शेर के जैसा जिगर होना चाहिए और मन में “सोचना क्या जो भी होगा देखा जाएगा” होना चाहिए। आवत ही हरसे नहीं, 👀नैनन नहीं सनेह टिल्लू तहां न जाईए चाहे कंचन बरस मेह ।

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